Site icon चेतना मंच

Munshi Premchand Jayanti 2023: कानपुर के मारवाड़ी कॉलेज के प्रधानाचार्य थे मुंशी प्रेमचंद, आज भी उनकी कुर्सी है सलामत

Munshi Premchand Jayanti 2023

Munshi Premchand Jayanti 2023

 

 

Munshi Premchand Jayanti 2023:  मुंशी प्रेमचंद जी का जो व्यक्तित्व था वह सभी को अपनी और आकर्षित कर लेता था, कानपुर में मारवाड़ी कॉलेज के प्रधानाचार्य के रूप में वह जिस कुर्सी पर बैठते थे वह आज भी वैसे ही है….

आज उपन्यासकार व कहानीकार मुंशी प्रेमचंद जी को उनकी बेहतरीन लेखनी के लिए दुनिया याद करती है। उनका कानपुर से भी गहरा नाता रहा है। वह 1921 में श्री मारवाड़ी विद्यालय इंटर कॉलेज कानपुर के प्रधानाचार्य बने और पूरा एक साल गुजारा। इस छोटे से कार्यकाल में वह कानपुर वासियों के दिल में जगह बनाने में कामयाब रहे। कार्यकाल भले ही छोटा रहा हो लेकिन प्रेमचंद जी सबके दिलों में आज भी जीवंत है। 31 जुलाई को उनके जन्म दिवस के अवसर पर मारवाड़ी कॉलेज में आज भी कार्यक्रम का आयोजन होता है। इसमें पूर्व प्रधानाचार्य और पूर्व छात्रों का अलंकरण समारोह आयोजित किया जाता है।

आज भी सहेज कर रखी है उनकी कुर्सी

 

Munshi Premchand Jayanti 2023

प्रबंधक सुनील कुमार मुरारका ने बताया कि मारवाड़ी कॉलेज में आज भी मुंशी प्रेमचंद जी की वह कुर्सी बहुत सहेज कर रखी गई है। उस कुर्सी में कोई भी व्यक्ति बैठता नहीं है। कुर्सी पर मुंशी प्रेमचंद जी की तस्वीर रखी जाती है। प्रधानाचार्य अखिलेश कुमार मिश्रा ने बताया कि विद्यालय में आज भी मुंशी प्रेमचंद की बातें छिड़ जाती हैं। यह हम लोगों का सौभाग्य है कि आज इस स्कूल में हम लोगों को भी पढ़ाने का मौका मिला है।

110 साल पुराना है ये कॉलेज

अंग्रेजी हुकूमत के समय कानपुर में अंग्रेजों की कपड़ा मिले चला करती थी। उस समय मारवाड़ी समाज के कुछ लोगों ने विद्यालय स्थापित करने की रूपरेखा बनाई थी। कपड़ा व्यापारी बंशीधर कसेरा, गिल्लू मल बजाज, रामकुमार नेवटिया ने जेके समूह के कमलापत सिंघानिया से इस विचार को साझा किया तो उन्होंने नहर किनारे स्थित एक जमीन विद्यालय के नाम पर दे दी। समाज ने मिलकर 1913 में मारवाड़ी विद्यालय का निर्माण शुरू करा दिया। इतिहासकार नारायण प्रसाद अरोड़ा इस विद्यालय के प्रथम प्रधानाचार्य बने और 10 साल इस कुर्सी पर अपनी जिम्मेदारी को संभाला। दूसरे प्रधानाचार्य के रूप में मुंशी प्रेमचंद जी आए, जिन्होंने पूरा एक साल गुजारा।

बच्चों के साथ बिताते थे समय

 

Munshi Premchand Jayanti 2023

विद्यालय के शिक्षकों ने बताया कि उस दौरान हम लोग तो नहीं थे लेकिन सुना करते हैं कि मुंशी प्रेमचंद जी बच्चों के बीच समय बिताना ज्यादा पसंद करते थे। विद्यालय जब सुबह खुलता था तो उनकी नजर हर बच्चों पर रहती थी। क्लास के अंदर भी वह बच्चों से बहुत घुल मिलकर रहते थे। उनको हिंदी और उर्दू भाषा का बहुत अच्छा ज्ञान था। दोनों ही भाषाओं का ज्ञान होने के कारण अन्य साहित्यकार और लेखक उन्हें बहुत पसंद करते थे।

कानपुर वासियों के दिल पर छा गए

मुंशी प्रेमचंद जी का जो व्यक्तित्व था वह सभी को अपनी और आकर्षित कर लेता था, जब अंग्रेजों का समय था उस समय भी वह सभी के दिलों में राज किया करते थे। कानपुर में भले ही 1 साल का समय बिताया हो, लेकिन उन 1 सालों की काफी यादें आज भी लोगों के दिलों में जीवंत हैं। स्कूल के अलावा वह बाकी का अपना समय समाज के बीच में बिताते थे। लोगों से मिलना जुलना उनके स्वभाव में था।

इन पुस्तकों का किया प्रकाशन

 

Munshi Premchand Jayanti 2023

मुंशी प्रेमचंद ने सभी प्रमुख उर्दू और हिंदी पत्रिकाओं जैसे जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चांद, सुधा पुस्तक लिखी। इसके अलावा हिंदी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में होने के कारण बंद कर दिया गया था। प्रेमचंद जी फिल्मों की पटकथा लिखने के लिए 3 साल मुंबई में भी रहे थे।

Baba Bageshwar : “मैनेजमेंट” का मास्टर निकला बाबा बागेश्वर धाम वाले धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का चेला, कर दिया बड़ा खेल

Exit mobile version