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Marriage Problem Solution: क्या पति भी हो रहे हैं अपनी पत्नी की प्रताड़ना का शिकार?

Marriage Problem Solution

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Marriage Problem Solution: : आज एक तरफ महिला पायलट, डॉक्टर, पत्रकार, वैज्ञानिक बनकर सफलता के चरम पर पहुंच रही है, लेकिन विडंबना ये भी है कि आज घरेलू स्तर पर बदलती जीवन शैली में महिलाओं का एक बड़ा वर्ग एक अजीब स्थिति से गुजर रहा है। जिसमें  कन्फ्यूजन की स्थिति है। बदलते जीवन शैली में आज एक वर्ग ऐसा सामने आया है, जिसमें होटल, रेस्टोरेंट की जगमगाहट, इंस्टाग्राम की दोस्ती, फेसबुक पर अपने जीवन शैली के फोटोग्राफ, इमेज और Reel डालकर शान शौकत की जिंदगी का चस्का लग रहा है। देखने में आया है की कुछ पत्नियों ने तो इस शान शौकत की जिंदगी के लिए अपने पति को गुलाम जैसी स्थिति में भी पहुंचाने में कसर नहीं छोड़ी है। होटल में खानपान ऑनलाइन जंक फूड के ऑर्डर, घर के कामों के लिए नौकरानियों पर रहने की आदत और नौकर न होने पर बेचारे पति पर 24 घंटे गुर्राना, ऐसी मानसिकता के साथ तमाम घरों की चारदीवारी में आपसी टूट के मामले बढ़ रहे हैं।

होटल ,रेस्टोरेंट इंस्टाग्राम और बाहर घूमने की प्रवृत्ति तोड़ रही है अपना ही घर संसार

जिस घर में पहले लड़कियां शादी होने के बाद अपने पति को भगवान का दर्जा देती थी, शारीरिक संबंधों जैसी बातें सिर्फ सहेलियां या मित्रों के बीच हल्की सी  ठिठौली के साथ शेयर की जाती थी, लेकिन आज शराब की लत, आए दिन घूमने की प्रवृत्ति अपने ही पति और बच्चों से दूर कर रही है। जो महिला छुईमुई लाज के साथ अपने पति से लता की तरह चिपक जाया करती थी, और उनका एक अस्तित्व होता था। आज ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें पति घर के बंद दरवाजे के पीछे प्रताड़ित हो रहे हैं और वो कुछ कह भी नहीं कर पाते। घर की बाउंड्री में कदम रखते ही उनका जीना मुहाल हो जाता है। ऐसे मामले ना थाने में जा पाते हैं और ना ही सामाजिक मुद्दा बन रहे हैं। अंदर ही अंदर रिश्तो में घुटन आ रही है। और इस घुटन का कारण है अपना स्वार्थ, अपने पति को पति न समझना। अपने बच्चों को बच्चा नहीं समझना , अपने घर में अगर छोटा सा झाड़ू लगा लेने, या खाना बना लेते ही ये कहना कि – मैं नौकरानी नहीं हूं, मुझे 4000 मेड का काम करने के बदले का दो ,6000 मुझे खाना बनाने का दो, 3000 मुझे घर संभालने का दो। मैं तुम्हारे बच्चे की आया नहीं हूं, मेरा भी अपना अस्तित्व है। वह अपने अस्तित्व को अपने घर के संसार को खुद टुकड़ों में बांटने पर अमादा है, और ऐसे शब्द पति को छलनी छलनी कर देते हैं। और वो भी उस पति को जो अपनी नौकरी, अपने माता- पिता, भाई – बहन के संसार को पूरी तरह भूलकर अपनी पत्नी की हसरतों को पूरा करने में किसी जिन्न के तरह लगा रहता है।

घूमने फिरने की मौज मस्ती और पारिवारिक टूटन : बदलती जीवन शैली के साथ

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ये कैसा रिश्ता है? जन्मो जन्म तक साथ बांधने वाले फेरे कहां चले गए…. जब नाजुक सी कली के समान सज धज कर पत्नी अपने वर् के साथ फेरे लेती है, और दोनों एक दूसरे के साथ जीने- मरने की कसमें खाते हैं… क्या वो एक ड्रामा है ,कहां गई वो मीठी परंपरा जो हमारे रिश्तों को मधुर बनाती थी… रिश्तो को लाज, शर्म और पल्लू से बांधने वाली एक मां , एक पत्नी, एक बहन, एक ननद कहां है??? सब कुछ धुंधलाता जा रहा है। इन रिश्तों को क्या हम सिर्फ इसलिए बना रहे हैं कि एक मुफ्त की छत मिले! एक मुफ्त का गुलाम मिले! ननद और सास भी मुफ्त की मिले, जो सिर्फ बच्चा पैदा करवाने के समय, बीमारी में आपके घर आकर चुपचाप खड़ी हो जाए ,खाना बनाएं, सेवा करें और फिर मिस्टर इंडिया की तरह गायब हो जाए…. और जब पति पत्नी के डिमांड के बीच रिश्ता घुटन के कगार पर हो, सुसाइड जैसी धमकियां घर के माहौल को खराब कर दें और प्यार के नाम पर विदेशी नस्ल के कुत्ते आपकी गोद में बैठे हो और बच्चा एक कोने में टीवी देख रहा हो या मैगी खा रहा हो या फिर हर पल बिना मतलब की डांट खा रहा हो? तूने होमवर्क नहीं किया? तूने स्कूल जाने के लिए कपड़े नहीं पहने? तूने आइसक्रीम खाई थी इसलिए बीमार है…. हर पल डांट में पलता है जब एक बच्चा, तब क्या वह श्रवण कुमार की तरह मां बाप को याद करेगा। या फिर वो अपने मां बाप के लड़ते, झगड़ते लात , गलियां खाते हुए माहौल को देखकर अपने बचपन में ही मेच्योर बन जाएगा? उसका बचपन मां के पल्लू से अब नहीं बनता… अब तो जिंदगी की भागम भाग में सिर्फ सेल्फी बची है….

हर वक्त जंक फूड की भूख

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हर वक्त जंक फूड की भूख ,होटल की मौज मस्ती, आए दिन पिकनिक और रेस्टोरेंट में जाने की मानसिकता, घर चलाने वाले एक मध्यम वर्ग के पति के लिए मुसीबत बन रही है । सबसे बड़ी विडंबना ये है कि ऐसी पत्नियों की ये मानसिकता कहीं रुकने को तैयार नहीं, एक टूर खत्म होता है तो दूसरे की तैयारी… एक रेस्टोरेंट पर जाते हैं तो दूसरे की तैयारी …घर में दिन भर सोना, बच्चों की देखरेख न करना ,घर के किसी काम में दिलचस्पी न लेना और इतना ही नहीं पत्नी इस सब में अपने मायके वालों को भी अपने साथ इंवॉल्व करने से बाज नहीं आ रही। इस सब में कहीं ना कहीं उनके मायके वालों का हाथ भी होता है, जो इस मानसिकता को नियंत्रित करने के बजाय मूक दर्शक की तरह अपनी बेटियों के बदलते तेवर पर ध्यान नहीं देते और ना उन्हें इसके बुरे अंजाम के बारे में आगाह करते हैं।

प्रतिक्रियाओं पर आधारित इस लेख में हमने बदलती जीवन शैली के दुष्प्रभावों को साझा करने की कोशिश की है। जिसमें ये छोटी- छोटी समस्या एक दिन विकराल रूप लेकर सुसाइड तक पहुंच जाती है या किसी बड़े हादसे की वजह बन जाती है। प्रतिक्रियाओं में नाम बदले हुए हैं, लेकिन घटनाएं अपनी सच्ची दास्तान कह रही हैं।

जब बेटा बन गया पत्नी की हसरतों को पूरा करने वाला  जिन्न: वीरा देवी

वीरा देवी का बेटा रोहित एक ऐसा ही प्रताड़ित पति है, जो सिर्फ कमाने की मशीन है या फिर अपनी पत्नी की हसरतों को पूरा करने के लिए 24 घंटे का एक गुलाम। वीरा बताती है – जब मैं बेटे की शादी कर पतली दुबली सांवली सलोनी सी बहू ब्याह कर लाई थी, सोचा भी ना था कि एक साधारण से घर की बेटी एक दिन दारू के नशे में मेरे ही बेटे पर हावी हो जायेगी, या लात घुसे चला रही होगी, या गलियों की बौछार कर रही होगी। यही नहीं हसरतों को पूरा करने के लिए उसका दिमाग इस हद तक सनकी हो जाएगा कि डिमांड पूरी ना होने पर बदहवास हो जाएगी।एक बात का जवाब न मिले तो उसे भी बर्दाश्त नहीं कर सकती…. और जैसे ही उसके पति ने अपनी बिजनेस मीटिंग में उसे ले जाने से इनकार किया और उसे पता चला कि मीटिंग होटल में थी, तो वो पागल सी हो गई। बार-बार फोन करती रही…. और गालियां व्हाट्सएप कि तू होटल में___क्या कर रहा है? इतना ही नहीं उसने अपनी मां को फोन मिलाकर कहा कि मुझे आकर तुरंत ले जाओ। उसका हर महीने का ही यही सिलसिला था, इसलिए मैंने कहा मैं नहीं आ सकती मेरी मां खुद बीमार है। तब उसने अपनी मां को कहा कि मैं नस काट कर मर रही हूं और फोन स्विच ऑफ कर दिया। जब फोन नहीं उठा उसने घबराकर रोते हुए बेटे की मां को फोन किया, जल्दी से जाओ देखो क्या हो रहा है वहां। ऐसा ना हो देर हो जाए..  बेटी ने अपनी कलाई पर पेंसिल शार्पनर वाली ब्लेड से 8-10 स्क्रैचेज कर लिए। और यह भी नहीं सोचा कि इसका अंजाम जीवन लीला समाप्त करना हो सकता है। ईश्वर ने इतना सब कुछ दिया है आखिर इतना पागलपन क्यों?

Marriage Problem Solution बदलता लाइफ स्टाइल

घटना सुनने में अजीब सी लगती है क्या ऐसा भी हो सकता है? की एक महिला पति को ऐसे काबू कर ले।  भारतीय समाज में ऐसी घटनाएं सुनने को तो नहीं मिलती। भारतीय नारी कितने भी ऊंचे पदों पर पहुंच जाए ,आज भी वो अपने पति और परिवार की इज्जत के लिए समर्पण की मूर्ति बन जाती है। पति द्वारा दहेज मांगने और ससुराल वाले सदस्यों द्वारा बहु को प्रताड़ित करने की तो बहुत खबरें आया करती थी, लेकिन बदलते परिवेश में कुछ आश्चर्यचकित करने वाला कारनामा भी हो रहा था।

वीरा ने बताया कि जब वह अपने बेटे की बहू के लिए शादी करके लाई , तब हमारा संयुक्त परिवार था। बेटा- बेटी बच्चे सब साथ रहते थे। लेकिन बहू के आने पर घर में अलग कमरे की व्यवस्था पूरी तरह करना मुश्किल था। एक दो महीने भी नहीं हुए थे की बेटे बहु को अलग फ्लैट दिलाने का निर्णय लेना पड़ा। बेटे की अच्छी कमाई थी। ठीक-ठाक नौकरी चल रही थी। हम दूर से ही फोन पर खैर खबर लेते रहते थे। बस फोन पर ही गुड मॉर्निंग होती थी, या फिर कहीं किसी का बर्थडे है तो आपस में मिलते। धीरे-धीरे बर्थडे पर भी आना जाना कम हो गया। लेकिन थोड़ा फर्क था, हम जब उनके यहां जाते तो बहू अक्सर सोई ही रहती थी, बेटे की नाइट ड्यूटी होती थी। वह भी देर से उठता था। हम जब भी जाते… तो हमें ऐसा लगता हमने वहां पहुंचकर गलती कर दी, हम उन्हें डिस्टर्ब करने आए हैं। धीरे-धीरे दूरियां बनने लगी।

लेकिन फोन पर आए दिन हमें पता चलता कि वो आज नैनीताल गए हैं, तो कल गोवा। अगले महीने लखनऊ गए हैं, तो अगले 15 हफ्तों में मथुरा और वृंदावन। एक मां को आश्चर्य हो रहा था की एक नौकरी पेशा करने वाला कुछ संभलकर क्यों नहीं चल रहा? कल क्या होगा नौकरी कैसे टिकेगी? यह जो एक चिंता थी निराधार नहीं थी. आखिरकार एक दिन मुसीबत ने दस्तक दी। बेटे की नौकरी चली गई। उस पर कर्ज भी हो गया। एक के बाद एक नौकरी बीबी की हसरतें पूरी करने में छूटती रही।

प्रकाशो शर्मा भी बनी पति के बल पर अप्सरा…Marriage Problem Solution

उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव में रहने वाली प्रकाशो की शादी एक टीचर के बेटे से हुई। उस टीचर ने अपना जीवन पूरी तरह अपने बच्चों के पालन पोषण में लगाया। अपनी छोटी सी सैलरी के बल पर अपने बच्चों का ब्याह शादी, पढ़ाई-लिखाई से लेकर दवाई तक सभी कुछ उसने किया। उनके पति कांस्टेबल थे, छोटी सी सैलरी में बाहर रहते थे, जो थोड़ा बहुत बचत होती अपने परिवार पर लगाते। लेकिन जब उनकी उम्र 65 पार कर गई और घर में बहू आई। तो बहू प्रकाशो देवी परी की तरह मॉडल बन गई । प्रकाशो की सास ने बताया कि हमने सोचा हमारी बहू आधुनिक परिवेश की है, हमें देखकर अच्छा लगा। उसके आए दिन नए-नए परिधान होटल रेस्टोरेंट में खाने पीने जाना …शुरू में हम बहुत खुश होते थे, लेकिन आखिरकार उसने भी न सिर्फ अपने पति को काबू में करने की कोशिश की बल्कि घूमने फिरने की सनक में अपने घर की सारी जिम्मेदारियां भूल गई । डायबिटीज से बीमार सास का ध्यान रखने की बजाय उसको गालियां देती? तूने क्यों जिंदगी हराम कर रखी है, तूने तो अपनी जिंदगी कभी जी नहीं… हमें तो जीने दे कम से कम। … अपने बच्चों को भी इस बुढ़िया पर छोड़ कर चल देती।ससुर या सब देखकर दुखी होते लेकिन उनमें बोलने की हिम्मत नहीं थी । अगर बोलते तो बेटा बेटी और बहू का झगड़ा शुरू हो जाता और घर दंगल जैसा हो जाता। लेकिन बहू के कदम कभी अपने मायके में होते तो कभी दूसरे सहेलियों के साथ पिकनिक पर। कभी रेस्टोरेंट में तो कभी शॉपिंग मॉल में।

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नेहा ने भी बदले अपने तेवर…. नेहा पढ़ी लिखी है, पढ़ी लिखी होने के बावजूद नौकरी नहीं करती , पति कॉमर्स विभाग में कार्यरत है। एक छोटे परिवार के गुजर बसर लायक काफी कमा लेता है । लेकिन उसकी बीवी उससे कभी संतुष्ट नहीं रहती। उसे हर वीकेंड पर माल की शॉपिंग चाहिए या फिर टूर… जैसे ही छुट्टी पड़ती है, उसका पति बच्चे की तरह से परेशान होने लगता है, जैसे बच्चे स्कूल में परेशान होते हैं की छुट्टी कब मिलेगी, उसका पति सोचता है काश मेरी छुट्टी ना हो और मैं घर ना जाऊं। क्योंकि घर में बैठते ही उसका पहला ही प्रश्न होता है, कुछ ऑनलाइन मंगा ले भूख लगी है। खाने का आर्डर होता है, शाम के खाने का समय होता है तो फिर से कहने लगती है मेरे सर में दर्द है, कहीं बाहर चले खाना खाने। आपको तो पता है ना की 15 दिन पहले मेरा ऑपरेशन हुआ था, तबीयत ठीक नहीं है।

उसका पति खीझता है तबीयत ठीक नहीं है तो आराम करो घर में खिचड़ी बना देता हूं। वह चिल्लाने लगती है तुम कभी मुझे बाहर ले भी जाते हो। वह कहता है अभी तो तुम मायके से आई हो और पिछले महीने वाटर पार्क गई थी। और पिछले संडे तुम माल से शॉपिंग करने गई थी। लेकिन उसकी  नहीं चलती आखिरकार उसे गाड़ी उठा कर रेस्टोरेंट जाना ही पड़ता है।

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खान पान और रेस्टोरेंट और होटल की मानसिकता क्यों  क्यों बन रही है पति की प्रताड़ना का कारण

जंक फूड, इंस्टाग्रामकल्चर होटल की शान की बदलती जीवन शैली, बाबा को अपनी तरफ खींच रही है। बड़ी-बड़ी कंपनी ब्याह शादी या कुछ खास मौके पर होटल में खाने का चलन पार्टियों का चलन… तो समय की मांग हो सकता है, लेकिन घर, परिवार , नौकरी और बच्चों को इग्नोर करके पति को जिन्न समझना ये  किसकी देन है? ऐसी बदलती जीवन शैली पर हमारी बातचीत हुई, मार्केटिंग कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी रोहतास (बदला हुआ नाम) से,जो आए दिन घर से बाहर अपने काम की वजह से रहते हैं । रोहतास ने बताया कि मेरे साले की पत्नी है और हम जब भी देखते हैं, हमारे साले के चेहरे पर 12 बजे होते हैं। वो काम की मशीन तो बना हुआ है, उतना तो ठीक है लेकिन आए दिन उसकी नौकरी छूट जाती है और फिर बदलनी पड़ती है ,यह बात गले नहीं उतर रही। वो बहुत टैलेंटेड है, इंटरव्यू देकर जल्दी से नौकरी भी लग जाती है । मगर एक दो महीने उसकी नौकरी नहीं टिकती… जैसे ही पैसा आता है पता चलता है पति पत्नी घूमने गए हैं …पत्नी कभी मायके जाती है तो रास्ते में तीन-तीन दिन होटल में रुकना। वापस आकर कहती है सर में दर्द है या अन्य तमाम बीमारी की शिकायतें…. लेकिन हर शिकायत के पीछे इसका एक ही मकसद होता है, बाहर घूमने जाना। उनका 7 साल का बच्चा हमेशा उपेक्षित रहता है, गाड़ी में पीछे की सीट पर बैठना, अकेले-अकेले चिल्लाना या टीवी की स्क्रीन पर अपनी आंखें गड़ाए रखना। उसका अकेलापन दूर करने के लिए घर में दो कुत्ते भी ला दिए गए हैं। पत्नी बच्चा कुछ समय उन कुत्तों से खेलने में और उन्हें गोद में लेकर कुछ करने में लगाती है। कुत्तों का खर्च भी 15-20 हजार से कम नहीं। पैसा बहुत आता है लेकिन कहां चला चला जाता है पता नहीं चलता…. हमारे साले का वजन 80 से घटकर 64 हो गया है। उसके चेहरे पर कभी खुशी नहीं दिखती बढ़ी हुई दाढ़ी… हर बात में खीझना या चुप रह जाना…. अगर साले साहब एक घंटे के लिए भी अपनी पत्नी के साथ में आए हो तो उसकी नजर हर कोई देखता है. पत्नी, पति को घूरती है, गुर्राती है, जैसे ही उसके गुलाम ने अनदेखी कर दी तूफान आ जाता है। तुम मेरा ब्लाउज नहीं लाए। तुमने बच्चों को रोटी नहीं खिलाई, देखो भूखा बैठा है, देखो बच्चा लड़ रहा है, तुम उसे चुप भी नहीं कर सकते, देखो उसके शरीर पर कितने दाने बने है तुम डॉक्टर को दिखाने नहीं ले गए….ये सब हम देख रहे थे, लेकिन सास, बहू, ननद किसी की ये हिम्मत नहीं थी कि उनके बीच में पड़ जाएं। हां उनके बीच में सिर्फ हमेशा बहू की मां, कभी बहू की बहन, कभी बहू की नानी उनके घर आती जाती थी, इसलिए बेटी के घर से सभी ने आना जाना छोड़ दिया। संबंध सिर्फ फोन तक रह गए।

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पार्टी दारू होटल के शौक ने जब पहुंचाया सुसाइड तक..

जब किया बहू ने सुसाइड कर ड्रामा, खिसक गई मां और सास के पैर के नीचे की जमीन

. इस घटना में एक दिन बहू के मायके से फोन आया ,(बदला हुआ नाम सीमा….)

सीमा बोल रही हूं आज अचानक कैसे चांद निकल आया। बेटे की मां बोली। नहीं मैंने इतनी रात को इसलिए फोन किया कि आपके बेटे बहु में आपस में बहुत झगड़ा हो रहा है जाकर संभाल लो मैं बहुत दूर बैठी हूं लखनऊ में हूं। देखो कहीं कुछ अनहोनी ना हो जाए ।आपका बेटा रो रहा है कह रहा है मैं तंग आ गया हूं अब और नहीं झेला जा रहा। उनका रोना नहीं देखा जा रहा। और मेरी बेटी का भी फोन आया है, वो कह रही है तुरंत आकर मुझे ले जाओ। ऐसा एक या दो बार नहीं पिछले दो-तीन साल से हो रहा है। आपने मुझे क्यों नहीं बताया। चलो मैं कल बात करती हूं बच्चों से। उन्होंने तो मुझे कुछ नहीं बताया। कल भी बात हुई थी और बेटा बता रहा था कि उसकी बीवी ने 2 दिन पहले ही नौकरी ज्वाइन कर ली है और वह सेल्फ डिपेंड बनना चाहती है, कहती है अब तुम जब तब मुझसे कहते हो मैं काम रहा हूं, तुम्हारी रोटी भी तो चलानी है, घर तो चलाना है, मैं तुम्हारी ये बातें सुन सुन कर थक चुकी हूं कि घर चलाना है, घर चलाना है । पैसा फ्री में नहीं आता

दोनों ने बात करके फोन रख दिया। लेकिन आधे घंटे बाद फिर से फोन आया जल्दी जाओ वो कमरे में है और नस  काटने की बात कही है और कहा है मैं तुमसे बहुत दूर चली जाऊंगी और उसका फोन स्विच ऑफ जा रहा है, वो घर में अकेली है।

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बेटे की मां को समझ नहीं जा रहा था रात को क्या करे, किस फोन लगाए।  घर में गाड़ी नहीं थी, रात को ऑटो वाले भी नहीं मिलते… उसने जल्दी से अपने दामाद को फोन लगाया, लेकिन वो कम से कम 50 किलोमीटर की दूरी पर थे। दूसरे दामाद को फोन लगाया वो सो चुके थे, फोन नहीं लग रहा था। सबसे पहले बेटे को भी फोन कर दिया था कहां है तू घर पर नहीं है क्या ? तेरी सासू मां का फोन आया था, जल्दी पहुंच शायद तेरी बीवी ने कुछ कर लिया है। वो नस काटने की बात कर रही थी। तेरी मम्मी जी रो रही थी। वह बेटा ऐसा डेढ़ सौ की स्पीड से अपने छोटे से 7 साल के बेटे  के साथ वापस घर पहुंचा। साथ में उसका असिस्टेंट भी था। 150 की स्पीड शहर की गलियां कुछ भी हो सकता था, किसी को मारना या खुद मर जाना एक के बाद एक मुसीबत… बेटे को मां ने फिर से फोन किया, बेटा कहां पहुंचे।  उसने कहा चिंता मत करो, मैं पहुंच गया हूं। ये ठीक है, इसने अपने हाथों पर स्क्रैचेज मार रखी है….Marriage Problem Solution

बेटी की मां कह रही थी दामाद जी तो इतने अच्छे हैं,  जब भी मैं दामाद  जी के घर आती हूं, मेरे लिए भी वही खाना बनाते हैं। उनका स्वास्थ्य पहले से ढीला  हो गया है ,बहुत मेहनत करते हैं। एक मेरी बेटी है जिसे सोने से फुर्सत नहीं या फिर घूमने से.. बेटे  ने फफकते हुए कहा मुझे बचा लो माँ.. इस औरत ने  मेरा जीना हराम कर रखा है। अब इस छत के नीचे इसके साथ रहना मुमकिन नहीं।  बस बेटे की वजह से झेल रहा हूं। गाली गलौच,दारू पीकर हंगामा इसकी आदत बन गई है। मैं किसी दिन मर जाऊंगा,मेरी छाती पर लात भी मारी थी इसने। जब पूछा गया क्यों मारी थी?  तो उसने बताया क्योंकि मेरे बिजनेस पार्टनर का फोन आ गया था और ये दारू में धुत थी। इसने कहा मैं फोन नहीं उठाने दूंगी. कहीं ऐसा ना हो ये ऑफिस में बुला ले और उसकी पार्टी अधूरी रह जाए। बेटे की मां ये सुनकर धक सी रह गई और बोली मैंने अपने बेटे को इसलिए नहीं पैदा किया। रात रात भर गीले बिस्तर पर अपनी छाती पर लिटा कर इसलिए नहीं पाला कि कोई पराया आकर मेरे बेटे की छाती पर लात मारे।

बहु की मां का फोन आया , तुम इसे संभाल लेना क्योंकि मेरी मां बीमार है जब तक मैं आती हूं देख लेना। बेटे की मां ने फिर भी समझदारी के साथ बहु को अपने घर बुलाया और समझाया। बेटे की मां और बेटी की मां दोनों ने फोन पर रास्ता निकालने के लिए कहा कि हम उसे कहेंगे अगर तू अपने पति को पसंद नहीं कर रही, तो हम तेरा तलाक करा देंगे लेकिन मरने मारने की जरूरत नहीं।

अगले दिन बहू के सामने उसने यही बात रखी तो उसने कहा मेरी मर्जी है तलाक दू ना  दूं। कोई, कौन होता है मुझे अलग करने वाला। इस पर उसकी बहन और मां ने कहा हम अपने बेटे को तेरे पास पल पल मरने के लिए  नहीं छोड़ सकते। ना तुझे मरने के लिए छोड़ सकते हैं, जब तुम्हारी आपस में नहीं बन रही, तो अपने अपने रास्ते अलग करो। शादी के 8 साल में तुमने पूरा इंडिया घूम लिया फिर भी समझ नहीं आ रहा और क्या चाहिए ,कपड़ा , घूमना,मस्ती तुम्हें सब कुछ मिला  है। तुम एक महीना भी अपने घर को ढंग से संभाल नहीं सकती।

Marriage Problem Solution झगड़े का क्या कारण है जब बेटे से पूछा

जब सास ने पूछा हर रोज झगड़ा क्यों होता है तो बेटे ने कहा कि मैं अपना काम करूं, मीटिंग में जाऊं, रात की ड्यूटी करूं, तो भी यह उम्मीद करती है  मैं  इसे हर रोज खाना ऑनलाइन मंगाकर दूं । बच्चा बीमार था, उसको उल्टी आ रही थी, फिर भी ये जाकर सो गई क्योंकि नशे में रहती है, या फिर कहती है मैं तो थक गई। किस बात में थक गई? अगर यह पूछा तो बवाल खड़ा कर देती है। आखिर मुझे भी तो गुस्सा आएगा और कहती है एक मारोगे तो दो मारूंगी, इतना ही नहीं गालियों का तो इसके पास ऐसा भंडार है, जैसा कोई सोच भी नहीं सकता। पंद्रह दिन अपने बच्चों को छोड़कर अपनी मायके चली जाती है, सास ने पूछा कहीं कोई चक्कर तो नहीं चल रहा है इसका, बेटे ने फिर भी उसी का फेवर लिया… नहीं बस यह मुझ पर ही हर टाइम चढ़ती रहती है।Marriage Problem Solution

इस बात को लेकर जब घरवालों से बात हुई तो सभी ने कहा की बहू तो  मरने का ड्रामा कर रही थी। अगर सचमुच उसका कुछ बुरा हो जाता, अनहोनी हो जाती, तो पुलिस वाले तो पूरे परिवार को जेल भेज देते।  बेटा इतना झेल रहा है और भगवान ना करे बेटा भी उसकी प्रताड़ना से तंग आकर कुछ कर ले तो क्या करोगी। इससे बेहतर है उनके रास्ते अलग  कर दें। या फिर बहु अपना दिमाग सही करें।

बहु को अगले दिन बेटा लेकर घर पर पंहुचा Marriage Problem Solution

बहू के ससुराल वालों ने जब सामने बैठ कर बात की, तो कुछ देर तो वो चुप रही, फिर बोली तुम तो अपने बेटे का ही फेवर ले रही हो, तुमने 10 बार कह दिया कि मैंने बेटे को लात मारी है, मुझे तुमसे बात नहीं करनी। बेटे की मां इसलिए चुप थी क्योंकि उसने बहू की मां से वादा किया था कि वह तब तक उसका ध्यान रखेगी जब तक वह उनसे मिलने  ना आ जाए। ताकि फिर से सुसाइड की नौबत ना आए।। हालांकि  मन ही मन उसे बहुत गुस्सा आ रहा था और दुख की वजह से बार-बार गला भर रहा था, लेकिन उसने अपने को संभाल रखा था।

बहू ने फिर से अपने पति के ऊपर चिल्लाना  शुरू किया। ससुराल वालों के सामने ही। मैं पुराने जमाने की बहू नहीं कि मार खा लूं, कोई मुझे जरा सा छू दे तो मैं उसको दो-चार लगाऊंगी। मां समझ गई  मेरा बेटा खतरे में है। एक दारु बाज बहू की गिरफ्त में आ गया है बेटा, और समाज की इज्जत के लिए कुछ बोल भी नहीं रहा ,समझ नहीं आ रहा था क्या करे?

मनोवैज्ञानिक पहलू Marriage Problem Solution

आप कितने ही अध्ययन कर लीजिए तो आप देखेंगे की जब-जब हम संघर्ष के रास्ते पर चलकर कुछ हासिल करते हैं, तब हम अपनी सफलता की बुलंदियों का एहसास करते हैं। और जब-जब हमें कुछ मुफ्त में मिलता है हम उसे लुटाकर प्रिंस प्रिंसेस की तरह कुछ पलों के राजा बन जाते हैं। मनोवैज्ञानिक पहलू पर साइकोलॉजी की एक युवा कॉलेज स्टूडेंट का कहना है- यह वैज्ञानिक सोच बताती है कि जब तक हमारे मां बाप  उन्हें ऐसी मानसिकता नहीं देती कि हमें फालतू खर्च नहीं करना चाहिए, तब तक उन्हें ना पैसे की कीमत पता नही लगती है ,न संचय करने की…संचय चाहे रिश्तो का हो अथवा घर की जरूरत के लिए पैसे का, या  रिश्ते की भावनाओं को संभालने के लिए समर्पण की भावना का सवाल हो, हम सभी में एक दूसरे के प्रति समर्पित होने की मानसिकता ही हमें सफलता की तरफ ले जाती है अन्यथा एक झटके से परिवार टूटने में देर नहीं लगती। ये कैसी मानसिकता है कि हमने शादी कर ली तो वो हमारी सारी जरूरत पूरी करें? ऐसे  सवाल आज होटल और इंस्टाग्राम संस्कृति में जन्म ले रहे हैं? हमें रिश्तो के सच्चे रिश्तों को खंगालने की ज़रूरत है।Marriage Problem Solution

मीना कौशिक

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