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Nuh Violence: किसने लगाई नूंह में आग, क्यों जल रहा है हरियाणा ,पढ़े पूरी पड़ताल

Nuh Violence

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Nuh Violence: 31 जुलाई, सोमवार को हरियाणा के नूंह में एक धार्मिक यात्रा के दौरान हिंसा भड़क उठी। इस हिंसा का असर राज्य के कई और जिलों में भी हुआ। आखिर इस हिंसा के क्या कारण थे? इसके पीछे कौन लोग थे? क्या इस हिंसा को भड़कने से रोका जा सकता था? आखिर क्यों मेवात के इस क्षेत्र को मिनी पाकिस्तान भी कहा जाता है और ये क्षेत्र बार-बार क्यों सुलग उठता है? आइए इन सवालों के जवाब ढूंढते हैं।

आखिर क्यों भड़की नूंह में हिंसा? कौन लोग हैं इस घटना के पीछे?

Nuh Violence: नूंह में हुई हिंसा (Nuh Violence) के पीछे कारणों की बात करें, तो इसके पूर्व नियोजित होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। इस बात के कुछ सबूत भी मिलते हैं, जिससे ये हिंसा सुनियोजित लगती है। इसमें बाहरी ताकतों के हाथ होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता। साथ ही आने वाले चुनावों के मद्देनजर इस हिंसा के राजनीतिक मायने भी हो सकते हैं! ये सारी बातें जांच का विषय हैं।

इस हिंसा में भीड़ के पास भारी मात्रा में हथियार होना, उसका बेखौफ होकर फायरिंग करना, भारी मात्रा में पथराव के लिए पत्थर का पहले से जमा होना और पुलिस बल और थानों पर भी निडरता के साथ हमला करना, ये सारी चीजें इस हिंसा के पूर्व नियोजित होने के संकेत देते हैं। ये सारी बातें ये साबित करती हैं, ये हिंसा अचानक से नहीं भड़की, बल्कि ये एक सुनियोजित और संगठित साजिश थी।

Nuh Violence:

Nuh Violence: इस हिंसा के भड़कने का एक कारण ब्रजमंडल जलाभिषेक भगवा यात्रा में शामिल होने के लिए मोनू मानेसर उर्फ मोहित यादव और बिट्टू बजरंगी जैसे विवादित छवि वाले लोगों के आने की सूचना को भी माना जा रहा है। मोनू दो मुस्लिम युवकों की हत्या का आरोपी भी है। इन दोनों ने इस यात्रा में शामिल होने की जानकारी खुद सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर दी थी। हालांकि मोनू को पुलिस ने इस यात्रा में शामिल होने से रोक दिया था, लेकिन बिट्टू इस यात्रा में शामिल हुआ था।

बताया जा रहा है कि इन दोनों ने अपने वीडियो में इस यात्रा में शामिल होने को लेकर दूसरे समुदाय को उकसाने वाली कुछ बातें भी कहीं थीं, जिससे दूसरे पक्ष के लोग भड़क गए। उन्होंने इन दोनों को सबक सिखाने की प्लानिंग कर ली, जिसका परिणाम इस हिंसा के रूप में सामने आया। हालांकि इन दोनों का तो कुछ नहीं बिगड़ा, लेकिन बेकसूर और मासूम लोगों को अपनी जान और माल से हाथ धोना पड़ा।

क्या हिंसा को भड़कने से रोका जा सकता था?

Nuh Violence: विवादास्पद छवि वाले मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी के इस धार्मिक यात्रा में शामिल होने की जानकारी खुफिया तंत्र को जरूर रही होगी। सभी जानते हैं कि हमारे देश का खुफिया तंत्र बहुत मजबूत है, जिस कारण ये माना जा रहा है कि उसके पास इस साजिश की आशंका की जानकारी जरूर रही होगी और उनसे राज्य सरकार को ये जानकारी दी भी होगी। लेकिन फिर भी इस तरह की घटना घट गई क्यों? स्थानीय प्रशासन ने क्या इस चेतावनी को नजरंदाज कर दिया?

लगता तो कुछ यही है, क्योंकि यदि प्रशासन मुस्तैद होता, तो इतनी बड़ी घटना नहीं घटती। यदि सरकार सचेत रहती तो इस घटना को रोका जा सकता था। यदि प्रदेश सरकार समय से जागरूक हो जाती तो इस जान-माल के नुकसान को कम तो किया ही जा सकता था। इसलिए इस मामले में कोताही बरती गई, संभावना तो यही लग रही है। आखिर चूक कहाँ हुई? इसकी निष्पक्षता से पूरी जांच होनी चाहिए।

Nuh Violence:

इसे मिनी पाकिस्तान क्यों कहा जाता है? और क्यों ये बार-बार सुलग उठता है?

Nuh Violence: मेवात (Mewat) का ये क्षेत्र मिनी पाकिस्तान के नाम से भी प्रसिद्ध है, इसकी वजह यहाँ की लगभग 80 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है, जबकि हिन्दू आबादी लगभग 20 प्रतिशत ही है। गुरूग्राम से लगभग 50 किमी दूर स्थित ये क्षेत्र राजस्थान बॉर्डर से भी सटा हुआ है, इस क्षेत्र का उपयोग तस्करी के लिए भी किया जाता है, इसलिए इसे एक संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है।

इस क्षेत्र के पिछड़े होने के कारण, यहाँ अशिक्षा और बेरोजगारी भी बहुत है, जिस के कारण भी इस क्षेत्र को गलत कम करने वाले लोग आसानी से टारगेट बना लेते हैं। पिछले कुछ समय से ये गौ तस्करी के कारण भी बदनाम है। असामाजिक तत्व अपने फायदे के लिए इस संवेदनशील इलाके को निशाना बनाकर सुलगाते रहते हैं।

इस हिंसा का प्रभाव

Nuh Violence: नूंह की इस हिंसा में 5 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। काफी सारे लोग घायल भी हुए। इस हिंसा में नूंह में 5 लोगों की मृत्यु के बाद गुरूग्राम में भी 1 व्यक्ति की मृत्यु होने के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 6 जा पहुंची। इस हिंसा का असर राज्य के कई और जिलों में भी हुआ। राज्य के गुरूग्राम, फरीदाबाद और पलवल जिले भी इस हिंसा की चपेट में आ गए। गुरूग्राम के सोहना इलाके में भी स्थिति काफी खराब हो गई। पुलिस-प्रशासन स्थ्ति को नियंत्रण में करने के प्रयास में लगा हुआ है।

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