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Health News Greater Noida: क्या आप भी सीढ़ियां चढ़ना, किसी चीज को उठाना, यहां तक कि पैदल चलने से भी बचने लगे हैं..  ?

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Health News Greater Noida:/ अंजना भागी/  इस दुनिया में कोई भी इतना अमीर नहीं है कि अपना बचपन या युवा अवस्था वापिस खरीद सके। उम्र बढ़ने के परिणामस्वरूप कंकाल की मांसपेशियों और ताकत के नुकसान का ही नाम सार्कोपेनिया है। यह एक भयानक स्थिति है। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है , वैसे-वैसे ही हमारे पैरों को हमें और भी सक्रिय और मजबूत रखना चाहिए। क्योंकि बुढ़ापा पैरों के ऊपर से शुरू होता है। इसकी शुरुआत के साथ ही कुछ लोग तो बिल्कुल ही घर में बैठ जाते हैं।

मांसपेशियों और ताकत के नुकसान का ही नाम है सार्कोपेनिया

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ग्रेटर नोएडा के डॉक्टर रमेश वर्मा (अधिकारी केन्द्रीय चिकत्सा CGHS) के अनुसार सरकोपेनिया 50 की उम्र के बाद लगभग 10% लोगों पर प्रभाव डाल ही देता है। होता यूं है कि इस आयु के बाद लोगों में लगभग 3% मसल्स स्ट्रैंथ कम होने लगती है। यह स्थिति ही सरकोपेनिया है। इसका कारण है मसल्स ग्रोथ के सिग्नल और टियर्डाउन सिगनल्स के बीच इमबैलेंस होना। मसल्स में कमी आने के कारण व्यक्ति की स्ट्रेंथ कम होने लगती है। इसके साथ ही बैलेंस करने की क्षमता भी कम होती जाती है। सरकोपेनिया की वजह से ही इंसान अपनी हर रोज करने वाली गतिविधियों को करने से भी थोड़ा जी सा चुराने लगता है। जैसे सीढ़ियां चढ़ना, किसी चीज को उठाना, यहां तक कि लोग तो पैदल चलना भी छोड देते हैं। वैसे हेल्दी लाइफस्टाइल और डाइट से इससे बचा भी जा सकता है। भाग भाग कर नहीं तो धीरे-2 ही सही पर सीढ़ियाँ चढ़ें। छोड़ें नहीं । इंटरनेशनल ओस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन के अनुसार यह 60 और 70 की उम्र के बाद और तेजी से होने लगता है। क्योंकि मसल्स फाइबर में कमी और मसल्स साइज में कमी यह दोनों ही मसल्स मास में कमी का कारण बनते हैं। कम और छोटे मसल्स फाइबर की कॉम्बिनेशन से ही मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं ।

मसल्स स्ट्रैंथ कम होने लगती है

परेशानी यह है कि इस कमी को लोग सीरियसली नहीं लेते। बल्कि कहते हैं अब तो हम बूढे हो रहे हैं। शरीर हमें कमजोरी थकान बीमार फील करवाना गिरना आदि के लक्षण बताने लगता है। फिर भी हम अटकलें लगाने में मशगूल रहते हैं। जबकि इसका कारण है सरकोपेनिया।  यह भोजन में प्रोटीन की कमी के कारण तथा साथ ही असंतुलित डाइट के कारण शुरू होता है। लेकिन क्रॉनिक लिवर डिजीज, क्रॉनिक हार्ट फेल्योर, क्रोनिक किडनी डिजीज या कैंसर के मरीजों में उनकी बीमारी के कारण क्योंकि मसल्स लॉस ज्यादा होता है। इसलिए उन्हें तो सरकोपिनिया हो ही जाता है। वैसे इसके लक्षण हैं। बायो मास् साइज में कमी आना, थकान का अनुभव होना, शरीर का संतुलन बिगड़ना,  बार-बार गिरने लगना, चक्कर आना, कहीं जाने से भी डरने लगना।

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उपाय

1. खड़े होने में सक्षम होने की आदत विकसित करने के लिए कम बैठिए  और अगर आप बैठ सकते हैं तो बेवजह लेटें नहीं ।
2. यदि कोई बुजुर्ग बीमार पड़ जाता है। अस्पताल में भर्ती है। पर जब वह ठीक हो जाता है  तो उसे और आराम के लिए न कहें। या बेवजह लेटने को जिद न करें क्योंकि वह अस्पताल से आए हैं। यदि वे चल पाते हैं तो उन्हें चलने दें। क्योंकि एक हफ्ते तक लेटे रहने से कम से कम 5% मसल मास कम हो जाता है। और बुजुर्ग  अपनी मांसपेशियों को ठीक नहीं कर सकता ।
आम तौर पर, अपने काम करने के लिए सहायकों को नियुक्त करने वाले कई सीनियर लोग अपनी मांसपेशियों को तेज़ी से खो देते हैं। क्योंकि दुनिया एक अंगूठे तथा स्क्रीन तक ही सीमित नहीं है। पैसा, पद, शोहरत, नौकरी ये सब कमा लेने के बाद यदि हैल्थ ही नहीं है। तो सब बेकार। जीवन तो  अपने भविष्य के लिए पैसा कमाने की अंधी दौड़ में लगाया। अब जश्न मनाने को सहायकों पर निर्भर हो रहे हैं। तो यकीन मानिए जल्दी ही कटी पतंग की तरह एक कोने में पड़ जाएँगे। इसलिए कम से कम अपने लिए तो एक्टिव रहिए।
3. सार्कोपेनिया तो  ऑस्टियोपोरोसिस से भी भयानक है। ऑस्टियोपोरोसिस के साथ तो हमें बस गिरने से बचने के लिए सावधान रहने की आवश्यकता होती है। जबकि सार्कोपेनिया तो जीवन की गुणवत्ता को ही ले बैठता है। बल्कि अपर्याप्त मांसपेशियों के कारण कभी कभी तो हाई डायबिटीज  भी हो जाता है।
4. यदि कोई व्यक्ति अधिक बैठा या लेटा ही रहता है तो पैर नहीं हिलते जिससे पैरों की मांसपेशियों की ताकत प्रभावित होती है। इसलिए सबसे तेज नुकसान टांगों की पेशियों में होता है। हम सभी को सरकोपेनिया से सावधान रहना चाहिए। अपने काम हमें स्वयम करने को उतावले रहना चाहिए। सीढ़ियों से ऊपर और नीचे आना जाना और साइकिल चलाना सभी  बेहतरीन  अच्छे व्यायाम हैं। और मांसपेशियों  को भी  बढ़ा सकते हैं! Health News Greater Noida

बेवजह लेटे ना रहें

Health News Greater Noida वृद्धावस्था में  बेहतर जीवन स्तर के लिए बेवजह लेटे अपनी मांसपेशियों को बर्बाद मत करो। जो भी काम स्वयम कर सकते हो अवश्य करो। क्योंकि जैसे-जैसे हम प्रतिदिन बड़े और बड़े होते जाते हैं, वैसे वैसे ही हमें अपने पैरों को अत्यधिक सक्रिय और मजबूत रखने की आवश्यकता होती है। लेकिन हम तो लेटने लग जाते हैं। क्या आप जानते हैं की अगर आप सिर्फ 2 हफ्तों  तक अपने पैरों को नहीं हिलाएंगे तो आपके पैरों की असली ताकत 10 साल कम हो जाएगी। नियमित व्यायाम जैसे टहलना बहुत ही महत्वपूर्ण है। पैर एक प्रकार के स्तंभ होते हैं जो मानव शरीर का संपूर्ण भार वहन करते हैं। इसलिए हर दिन टहलें।  व्यक्ति की 50% हड्डियां और 50% मांसपेशियां पैरों में ही होती हैं। मानव शरीर के सबसे बड़े और मजबूत जोड़ और हड्डियाँ भी पैरों में ही पाई जाती हैं। पैर ही हमारे शरीर की गति का केंद्र हैं।  मानव जीवन में 70% मानवीय गतिविधि और ऊर्जा का दहन पैरों द्वारा ही किया जाता है। दोनों पैरों में मिलाकर मानव शरीर की 50% नसें, 50% रक्त वाहिकाएं और 50% रक्त उनसे होकर बहता है। पैरों का व्यायाम करने में कभी देर नहीं होती। यहाँ तक की सत्तर और अस्सी की उम्र के बाद भी आप पैरों के व्यायाम कर सकते हैं। आप अपने घर में भी  कम से कम 30-40 मिनट टहल सकते हैं। इसमें यह सुनिश्चित है कि इससे आपके पैरों को पर्याप्त व्यायाम मिलेगा और आपकी टांगों की मांसपेशियां भी स्वस्थ रहेंगी। आज कल मल्टीनेशनल की नौकेरियोन में लंबी सिटिंग से पैरों की हलचल तो लगभग बंद ही हो जाती है। इसीलिए हर कोई हर दिन बूढ़ा होता जाता है। वॉकिंग भी मसल्स मास को बढ़ाने का काम करती है। वॉकिंग एक ऐसी एक्सरसाइज है जिसे कोई भी किसी भी उम्र में आसानी से कर सकता है। लेकिन यदि आप किसी सीवियर कंडीशन से जूझ रहे हैं तब तो  वॉक  डॉक्टर की  सलाह से ही करें ।

अपनी डाइट में शामिल करें पोषक तत्व

Health News Greater Noida : एडल्ट्स को बॉडीवेट के प्रति किलोग्राम पर 1.0-1.2 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए। जिसमें सीफूड  साल्मन प्रोटीन का अच्छा सोर्स हैं। जो वेजिटेरियन हैं। मीट नहीं खाते हैं। वे अपनी डाइट में टोफू, हर प्रकार की दालें  बींस, क्विनवा शामिल कर सकते हैं। क्योंकि ये सभी प्रोटीन के अच्छे सोर्स हैं। घबरा कर घर बैठ जाना नहीं बल्कि सावधानी तथा उपाय ये ही है सार्कोपेनिया से बचा जा सकता है ।

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