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क्या कानूनी दांव-पेंच के बीच दफन हो जाएगा नोएडा के निठारी कांड का सच ?

Nithari Kand case history

Nithari Kand case history

Nithari Kand case history : उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले से बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। सवाल यह है क्या नोएडा के निठारी कांड का सच फाइलों में दफन हो जाएगा ? लोग यह सवाल भी पूछ रहे हैं कि जिन डेढ़ दर्जन मासूम बच्चों को निठारी की खूनी कोठी का काला साया लील गया था उन बच्चों को न्याय मिलेगा भी अथवा नहीं ?

Nithari Kand case history

हाईकोर्ट के फैसले से खड़े हुए सवाल

दरअसल, नोएडा के निठारी कांड को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद अनेक सवाल खड़े हो गए हैं। हाईकोर्ट ने दर्जनों बच्चों के अपहरण, हत्या व मानव अंगों की तस्करी के आरोपी नर पिशाच सुरेन्द्र कोली व उसके मालिक मनिन्दर सिंह पंधेर को दोषमुक्त करार दे दिया है। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद जघन्य आरोपों से घिरे सुरेन्द्र कोली व मनिन्दर सिंह पंधेर के बाईज्जत बरी हो जाने की संभावना पैदा हो गई है। हाईकोर्ट का यह फैसला दोनों आरोपियों के वकीलों के इस तर्क के आधार पर आया है कि किसी भी मामले का न तो कोई चश्मदीद गवाह है और न ही कोई ठोस सबूत उनके खिलाफ मिला है। दोनों आरोपियों के वकीलों ने कोर्ट को इस बात से संतुष्ट कर दिया है कि उनके खिलाफ सीबीआई ने केवल वैज्ञानिक आधार पर परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर आरोप-पत्र दायर किए थे। हाईकोर्ट ने वकीलों की दलील मान ली और दोनों आरोपियों को दोषमुक्त करार दे दिया।

इस फैसले से सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हुआ है कि कानून की पेचीदगियों के कारण क्या निठारी के मासूम बच्चों की मौत फाइलों में दफन होकर रह जाएगी ? क्या नोएडा के निठारी कांड की खूनी कोठी का पूरा सच अब कभी सामने नहीं आ पाएगा ? इस मामले को लेकर कानूनविदों का मत है कि हाईकोर्ट ने कानून के अनुासर ही फैसला सुनाया है।

निठारी कांड का पूरा सच

आपको शायद याद भी न हो नोएडा के निठारी गांव का वह कांड जिसके कारण पूरी मानवता दहल गई थी। वर्ष-2006 में हुआ यह कांड नोएडा के निठारी गांव के बगल में नोएडा शहर के सेक्टर-31 में स्थित कोठी नंबर डी-5 के आसपास स्थित घटित हुआ था। नोएडा के सेक्टर-31 में स्थित डी-5 कोठी को आज भी नोएडा शहर के नागरिक खूनी कोठी के नाम से जानते हैं। इस खूनी कोठी के पीछे बहने वाले नाले में से एक दो नहीं बल्कि 17 मासूम बच्चों के नर कंकाल बरामद हुए थे। यें सभी बच्चे निठारी गांव से लापता हुए थे। इसी कारण इस कांड को निठारी कांड के नाम से जाना जाता है। 17 बच्चों के नर कंकाल मिलने के बाद मचे बवाल के कारण इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। 11 जनवरी 2007 को सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की थी। सीबीआई की जांच में पूरी मानवता को दहला देने वाले खुलासे हुए थे।

सीबीआई का खुलासा

निठारी कांड की जांच करने वाली सीबीआई की टीम ने चौंकाने वाले खुलासे किए थे। इस टीम ने दावा किया था कि जेसीबी नामक कंपनी चलाने वाला मनिन्दर सिंह पंधेर नोएडा के सेक्टर-31 की डी-5 कोठी में अकेला रहता था। सीबीआई का कहना है कि पंधेर एक अय्याश किस्म का व्यक्ति है। वह आए दिन डी-5 कोठी पर कालगर्ल बुलाता था। उसके इस धंधे की देखभाल उसका विश्वासपात्र नौकर सुरेन्द्र कोली करता था। बाद में सुरेन्द्र कोली निठारी की भोली-भाली लड़कियों को बहला-फुसलाकर कोठी पर बुलाने लगा। उन नाबालिग लड़कियों के साथ मालिक व नौकर रेप करते थे। फिर उनकी हत्या कर देते थे। कई बार तो उनकी लाश के साथ भी कुकर्म करते थे, उनकी हत्या करने के बाद उनके अंगों को काट-काटकर नाले में बहा देते थे। सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ बच्चों के शरीर के अंगों की तस्करी करके विदेशों तक में बेचा गया था। इन्हीं नाबालिग लड़कियों में रिम्पा हलधर नाम की एक लड़की भी थी। इसी लड़की के मामले की जांच से पूरे निठारी कांड का पर्दाफाश करने का दावा सीबीआई ने किया था।

डेढ़ साल तक चला था सिलसिला

सीबीआई के दस्तावेजों में दर्ज निठारी कांड का पूरा सिलसिला डेढ़ साल तक चला था। सीबीआई की जांच के आधार पर इस मामले के आरोपी महिन्दर सिंह पंधेर के नौकरी सुरेन्द्र कोली को रिम्पा हलदर नामक एक लड़की की 2005 में हत्या के जुर्म में निचली अदालत ने मृत्यु दंड सुनाया था, जिसकी पुष्टि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी कर दी थी। बाद में उच्चतम न्यायालय ने 15 फरवरी 2011 को इस फैसले पर अपनी मुहर लगाई थी।

कोली को सिलसिलेवार हत्यारा करार देते हुए अदालत ने कहा था कि उसके प्रति कोई दया नहीं दिखाई जानी चाहिए। कोली के खिलाफ कुल 16 मामले दर्ज किए गए थे। उसके नियोक्ता मोनिन्दर सिंह पंढेर को भी रिम्पा हलदर मामले में मृत्युदंड सुनाया गया था, लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसे बरी कर दिया था।
कोली के खिलाफ दर्ज 16 मामलों में से पांच में उसे मृत्युदंड सुनाया था। 13 फरवरी 2009 को सीबीआई विशेष न्यायाधीश रमा जैन ने सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंधेर को फांसी की सजा सुनाई थी। कालांतर में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंधेर को बरी कर दिया। जबकि सुरेंद्र की सजा बरकरार रखी थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी सुरेंद्र कोली की सजा को बरकरार रखते हुए उसकी अपील को खारिज कर दिया था।

वहीं, निठारी कांड में ही आरती मर्डर केस में 12 मई 2010 को इस मामले में सीर्बीआई विशेष न्यायाधीश डा. एके सिंह ने आरोपी सुरेंद्र कोली को दोषी मानते हुए उसे फांसी की सजा सुनाई थी।

जबकि दीपाली मर्डर केस में 12 दिसंबर 2010 को सीबीआई कोर्ट ने दीपाली मर्डर के लिए सुरेंद्र कोली को दोषी माना और फांसी की सजा सुनाई। वहीं 28 सितंबर 2010 को रचना लाल मर्डर केस में सीबीआई विशेष न्यायाधीश डा. एके सिंह ने सुरेंद्र कोली को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।

24 दिसंबर 2012 को सीबीआई विशेष न्यायाधीश एस.लाल ने आरोपी सुरेंद्र कोली को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। फैसले में न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि ‘अभियुक्त के मन में हमेशा यही भावना बनी रहती है कि किसको मारूं, काटूं व खाऊं। अभियुक्त इन परिस्थितियों में समाज के लिए खतरा हैं। उसके सुधार और पुनर्वास की संभावनाएं भी नहीं हैं। मृतका की आत्मा को तभी शांति मिल सकती है, जब अभियुक्त को मृत्यु दंड से ही दंडित किया जाए। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अभियुक्त को गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए, जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए।

निठारी के जो 17 बच्चे समां गए थे मौत के मुहं में

नोएडा के निठारी में हुए दिल दहला देने वाले निठारी कांड के दौरान जिन 17 बच्चों के कंकाल खूनी कोठी के पीछे नाले में से मिले थे, उनमें मासूम बच्ची अंजली, आरती, सोनी, रचना, रिम्पा हलदर, कुमारी बीना, पायल, ज्योति, हर्ष, कुमारी निशा, पुष्पा विश्वास, सतेंद्र उर्फ मैक्स, दीपाली, नंदा देवी, पिंकी सरकार, दीपिका उर्फ पायल, शेख रजा खान शामिल हैं। इनके अलावा 18 बच्चे ऐसे थे जो आज तक भी अज्ञात में दर्ज हैं। इस कांड की ठीक से जांच न करने के आरोप में उस समय नोएडा के 13 पुलिस अधिकारी व कर्मचारी निलंबित किए गए थे। इन अधिकारियों व कर्मचारियों पर आरोप था कि जब एक के बाद एक बच्चे निठारी से गायब हो रहे थे तो इन पुलिस वालों ने उन बच्चों को खोजने का कोई गंभीर प्रयास क्यों नहीं किया।

जानिए निठारी काण्ड वाली खूनी कोठी का पूरा सच

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