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यूपी का एक ऐसा अनोखा नाला,जिसका सवाल IAS और PCS की परीक्षा में भी पूछा जाता है

Uttar Pradesh News

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Uttar Pradesh News : यूपी का एक ऐसा अनोखा नाला है जिसका सवाल IAS  और PCS की परीक्षा में भी पूछा जाता है । आखिर इस नाले की खासियत क्या है आपके मन में भी भी ये सवाल जरूर आ रहा होगा , आइये हम आपको बताते हैं । उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक कटहल नाला है, इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि ये नाला छह महीने दक्षिण से उत्तर तो छः महीने उत्तर से दक्षिण की तरफ बहता है। इससे सम्बन्धित प्रश्न IAS और PCS की परीक्षा में भी पूछा जा चुका है ,कि ऐसा कौन सा नाला है जो छः महीने उल्टा तो छः महीने सीधा प्रवाहित होता है। महावीर घाट से निकल कर शहर के पश्चिमी छोर से होते हुए सुरहाताल तक जाने वाले कटहल नाले का अपना ही इतिहास है।

कटहल नाले की कहानी

उत्तरप्रदेश का कटहल नाला जिसका वास्तविक नाम कष्टहर नाला है अर्थात कष्टों को हरने वाला नाला। यह कष्टहर नाला सीधे गंगा को सुरहा ताल से जोड़ता है। कटहल नाले का निर्माण जल जमाव एवं बाढ़ से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से किया गया था। प्राचीन काल में गंगा, शंकरपुर एवं बालखण्डीनाथ के स्थान से होते हुए सुरसा ताल क्षेत्र से होकर आगे पूरब दिशा में मुड़कर रेवती के पास घाघरा से मिलती थी। कुछ वर्ष बाद जब गंगा नदी का मार्ग परिवर्तित हुआ तो सुरसा ताल ने प्राकृतिक ताल का रूप ग्रहण कर लिया। प्रचलित कथा के अनुसार एक बार जब नेपाल नरेश राजा सूरथ का राज पाट छिन गया और वे कोढ़ी हो गए तो भ्रमण करते हुए इस क्षेत्र में आए और सुरहा ताल क्षेत्र के रमणीय स्थल को देखकर इस क्षेत्र में रहने लगे।  सुरसा के जल में स्नान और मिट्टी के लेप से, वे पूर्णत: स्वस्थ हो गए और उनके मन में इस पवित्र क्षेत्र की तरफ आस्था जगी,तब राजा ने सुरसा ताल का उद्धार कराया, इसीलिए इस ताल का नाम राजा सुरथ के नाम पर सुरहा ताल पड़ गया । राजा सुरथ ने देखा कि इस ताल में जल जमाव हो से इस क्षेत्र के लोगों को कष्ट क्षेलना पड़ रहा है, तो उन्होंने गंगा के पुराने प्रवाह मार्ग की खोदाई करके एक नाले का निर्माण कराया, जिसका नाम कष्टहर नाला पड़ा, जो बाद में अपभ्रंश होकर कटहल नाला हो गया। चूंकि यह नाला सुरसा क्षेत्र के अतिरिक्त जल जमाव को गंगा नदी की तरफ प्रवाहित कर देता है एवं बाढ़ के समय गंगा में आए अतिरिक्त जल को सुरहा की तरफ प्रवाहित कर देता है, जिससे जलजमाव एवं बाढ़ दोनों से छुटकारा मिलता है, इसीलिए इसे कष्टहर या अपभ्रंश होकर कटहल नाला कहा जाता है।

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6 महीने सीधा तो 6 महीने उल्टा बहता है

उत्तरप्रदेश के इस नाले की सबसे बड़ी खासियत है कि ये नाला छह महीने दक्षिण से उत्तर तो छः महीने उत्तर से दक्षिण की तरफ बहता है। इस नाले को बलिया जिले की ऐतिहासिक धरोहर कहा जाता है। इस नाले का काफी महत्व है, यहाँ संजीवनी जैसी औषधीयों का भी भंडार पाया जाता है। Uttar Pradesh News

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