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6 फरवरी को ठहराया था दोषी
इमरान और कुरैशी को छह फरवरी को दोषी ठहराया गया था। दोनों को अदालत के समक्ष पेश किया गया। इमरान खान ने बताया कि उन्हें नौ मई को इस्लामाबाद हाई कोर्ट के परिसर से अन्यायपूर्वक गिरफ्तार किया गया था। भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तारी होने के बाद नौ मई को देशभर में भड़के दंगों से संबंधित कई मामलों में इमरान पर मामला दर्ज किया गया था।
जमानत आवेदनों पर एटीसी न्यायाधीश मलिक इजाज आसिफ ने फैसला सुनाया कि पीटीआई संस्थापक को हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है और 9 मई के मामलों में सभी संदिग्धों को जमानत दे दी गई। इमरान और कुरैशी को 6 फरवरी को आरोपों के अनुसार दोषी ठहराया गया था। जज ने मामलों की प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में शामिल दावों को खारिज कर दिया।
भ्रष्टाचार के एक मामले में हिरासत में लिए जाने के बाद 9 मई को देश भर में भड़के दंगों से संबंधित कई मामलों में इमरान पर मामला दर्ज किया गया था। रावलपिंडी में दर्ज की गई शिकायतों में जनरल हेडक्वार्टर (जीएचक्यू) के गेट पर हमला, एक संवेदनशील संस्थान के कार्यालय में दंगा और अन्य घटनाएं शामिल थीं।
इमरान पर हिंसा भड़काने का आरोप
पिछले साल जुलाई में, 9 मई की हिंसा की जांच कर रही एक उच्च स्तरीय संयुक्त जांच टीम (जेआईटी) ने जीएचक्यू पर हमले सहित दो आतंकवादी मामलों में पूर्व प्रधानमंत्री पर केस चलाने का फैसला किया था। पीटीआई प्रमुख पर हिंसा की योजना बनाने और भड़काने का आरोप लगाया गया। बता दें कि इमरान खान को जमानत ऐसे वक्त दी गई है जब 8 फरवरी को हुए पाकिस्तान आम चुनाव के नतीजों में उनकी पार्टी समर्थित नेताओं को सबसे ज्यादा सीट मिली है।
जानिए पूरा मामला
इस्लामाबाद में अर्धसैनिक बलों ने इमरान खान को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। इसी दौरान हुई हिंसा में रावलपिंडी में सेना मुख्यालय सहित 20 से अधिक सैन्य प्रतिष्ठान और राज्य भवन क्षतिग्रस्त हो गए थे। इसके साथ ही लाहौर के कोर कमांडर के घर, अस्करी टावर, शादमान पुलिस स्टेशन पर को भी निशाना बनाया गया था। इसके अलावा इमरान खान के जमान पार्क आवास के बाहर पुलिस कर्मियों पर हमला किया गया था। जानकारी के लिए बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी के कई नेता अप्रैल 2022 में इमरान के प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के बाद से कई मामलों का सामना कर रहे हैं। इमरान को अविश्वास मत के माध्यम से प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया था। जिसके बाद से लगातार इमरान खान की मुश्किलें बढ़ती जा रही थी।
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