Jama Masjid Shahi Imam: दिल्ली की जामा मस्जिद को नया शाही इमाम मिल गया है। नए इमाम का एलान 25 फरवरी शब-ए-बारात के मौके पर हुआ। इसके लिए इमाम सैयद अहमद बुखारी ने ‘दस्तारबंदी’ यानी पगड़ी पहनाने की रस्म करने अपने बेटे सैयद शाबान बुखारी को नया इमाम घोषित किया है। इस मौके पर जामा मजिस्द में हुए आयोजित कार्यक्रम के दौरान कई शख्सियत मौजूद रही। इससे पहले वे नायब इमाम थे. इस समय उनकी उम्र 29 साल है. उनके परिवार ने अपनी पिछली 13 पीढ़ियों से जामा मस्जिद की अध्यक्षता की है. जामा मस्जिद का निर्माण 1650 में किया गया था।
कहा तक पढ़े है शाबान बुखारी
जमा मजिस्द के नए इमाम सैयद शाबान बुखारी का जन्म 11 मार्च 1995 को दिल्ली में हुआ था। एमिटी यूनिवर्सिटी से सोशल वर्क में मास्टर डिग्री की है। इसके अलावा इस्लामी धर्मशास्त्र में आलमियत और फजीलत की है। सैयद शाबान बुखारी ने इस्लाम की बुनियाद तालीम के साथ व्यापक अध्यन मदरसा जामिया अरबिया शम्सुल उलूम दिल्ली से की है।
कब और किससे हुई शादी
आपको इस बारे में जानकर हैरानी होगी कि जामा मजिस्द के नए इमाम की शादी 13 नवंबर 2015 को गाजियाबाद की एक हिंदू लड़की हुई थी। शुरुआत में उनका परिवार भी शादी को लेकर के राजी नहीं था लेकिन बाद में पूरा परिवार शादी के लिए राजी हो गया है और धूमधाम से उनकी शादी हुई। शादी के बाद 15 नवंबर को महिपालपुर के एक फार्महाउस में ग्रैंड रिसेप्शन दिया गया। शाबान के फिलहाल 2 बच्चे है उनकी पत्नी शबानी है।
Jama Masjid Shahi Imam
जामा मस्जिद के14वे शाही इमाम
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सैयद शाबान बुखारी जामा मस्जिद के14वे शाही इमाम बने है। जामा मस्जिद से जुड़े लोगों के मुताबिक शाबान को 2014 में नायब इमाम की जिम्मेदारी मिली थी। जिसके बाद से ही वो देश में ही नही बल्कि और विदेशों में धर्म से जुड़ी ट्रेनिंग ले रहे थे। शाही इमाम के पद पर होने के लिए इस्लाम से जुड़ी तमाम तरह की जानकारी हासिल करना जरूरी होता है।
शाही इमाम को कितनी मिलती है सैलरी
वैसे तो शाही इमाम की सैलरी ज्यादा नहीं होती। मस्जिदों के इमाम को सैलानी सरकार की तरफ से नहीं बल्कि वक्फ बोर्ड की तरफ से मिलती है..वक्फ बोर्ड अपनी संपत्तियों से मिलने वाली आए अपने कर्मचारियों और मस्जिद के इमाम को देते हैं। वर्तमान में शाही इमाम की सैलरी 16 से 18 हजार रुपए होती है जिसको वक्फ बोर्ड की तरफ से दिया जाता है।
कब बनी थी जामा मजिस्द
बता दे मुगल बादशाह शाहजहां ने 1650 में जमा मस्जिद का निर्माण कराया था। तब उन्होंने बुखारा के शासकों को इमाम की जरूरत बताई थी। इसके बाद अब्दुल गुफार बुखारी को भारत भेजा गया। उनको शाही इमाम का खिताब दिया गया। शाही का मतलब होता है राजा और इमाम वह होते हैं जो मस्जिद में नमाज अदा करते हैं। ऐसे में शाही इमाम का अर्थ होता है राजा की ओर से नियुक्त किया गया इमाम। Jama Masjid Shahi Imam:
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