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नोएडा शहर को कंकरीट से नहीं हरियाली से सजाने की गाथा

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Noida News : नोएडा शहर में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता तथा चेतना मंच (Chetna Manch) की संवाददाता अंजना भागी  ने नोएडा शहर की हरियाली को लेकर एक विश्लेषण किया है। नोएडा शहर में अंजना भागी के जानकारों को पता है कि अंजना भागी किसी भी विषय पर जब लिखती हैं तो अपने ही अंदाज में लिखती हैं। उनका लेखन का अंदाज कुछ अलग ढंग का है। यहां हम आपको पढ़वा रहे हैं अंजना भागी द्वारा नोएडा की हरियाली पर लिखा गया ताजा लेख। उम्मीद है कि यह लेख नोएडा के नागरिकों को खूब पसंद आएगा।

नोएडा प्राधिकरण  (Noida Authority) का हॉर्टीकल्चर विभाग (Horticulture Department) ही एक ऐसा विभाग है जो कि कंकरीट का जंगल बनते जा रहे नोएडा शहर को प्राणदायनी वायु आक्सीजन देने को सदा तत्पर रहता है। नोएडा को कंकरीट से नहीं बल्कि हरियाली से सजाने वाले इस विभाग को निन्दा भी बहुत अधिक झेलनी पड़ती है। कारण इनका प्रकृति के प्रति प्रेम ही है। 3 साल पहले मैंने नोएडा के सेक्टर-11 में अपने घर के सामने दो बहुत अच्छी क्वालिटी के आम के पौधे लगाए। इन पौधों की सुरक्षा के लिए मैंने नोएडा प्राधिकरण के उद्यान विभाग को निवेदन कर उन पर ट्री गार्ड्स भी लगवाए। ठेकेदार प्रमोद चौहान की लेबर की मेहनत के कारण आज तक बड़े होते इन पौधों का एक पत्ता नहीं टूटा। पूरे तीन साल से मैं पाल रही थी उनको। 3 महीने के पौधे थे जब नर्सरी से लाई थी बहुत ही अच्छी नस्ल भी है कितनी भी गर्मी हो, सर्दी हो, मैंने उनका सदा ध्यान रखा। लेकिन पिछले तीन दिन हुए कोई उनमें से एक पेड़ को बिल्कुल ऊपर से तोडक़र ही ले गया। उस आम पर मुश्किल से 15 पत्ते थे, लेकिन इतने जरूर थे कि कोई अपने घर पर बंदनवार सजा ले या उनका पूजा में इस्तेमाल कर ले। मेरा घर नोएडा के ऐसे सेक्टर में है जहां पढ़े-लिखे सभी प्रकृति प्रेमी लोग रहते हैं। वे तो ऐसी हरकत कर ही नहीं सकते।

अत: इस पेड़ की यह दुर्दशा जरूर कोई आता-जाता ही कर गया होगा। शिवरात्रि से अगले दिन जब मैंने यह देखा तो यह कष्ट मुझे बहुत ही भारी पड़ रहा था। इसके निवारण के लिए मैं नोएडा प्राधिकरण के हॉर्टीकल्चर विभाग के डायरेक्टर महेंद्र प्रकाश जी से मिलने उनके पास गई उनके हाथ में एक एप्लीकेशन दी कि सर कृपया हमारे सेक्टर को इतना हरा भरा कर दें कि ले जाने वाले कितना भी इन वृक्षों पौधों को काटें पर हमारे सेक्टर में हरियाली ही हरियाली नजर आए। महेंद्र प्रकाश जी का इसमें बहुत योगदान भी रहा है। हर सेक्टर की अपनी ग्रीन बेल्ट हैं। जिन सेक्टरों ने अपनी ग्रीन बेल्ट को संभाला है। इसमें उन सेक्टरों की आरडब्लूए तथा वहाँ के रेजिडेंट्स का भी हरियाली के प्रति लगाव मुख्य कारण हैं।

नोएडा  Noida में सेक्टर-20 के अध्यक्ष रामपाल भाटी तथा वहाँ ए ब्लॉक में रहने वाले एक वकील साहब जिन्होंने ग्रीन बेल्ट इतनी खूबसूरत कर रखी है कि आप यदि वहाँ से गुजरें तो 10 मिनट वहाँ अवश्य रुक जाएंगे। नोएडा के कुछ सेक्टरों में वहाँ रहने वालों ने इसको गायब ही कर दिया। नोएडा के सेक्टर-19 में एलआईजी फ्लैट्स के सामने तथा सेक्टर-22 में नाले के किनारे (एच ब्लॉक के अध्यक्ष) प्रदीप वोहरा ने नाले की बदबू को ग्रीन बेल्ट की खूबसूरती से ढंकने की पूरी कोशिश की है। जिन सेक्टरों में पार्क छोटे हैं या हैं या फिर हैं ही नहीं जैसे कि सेक्टर-45। वहाँ ग्रीन बेल्टस ही शान बढाए हुए हैं। बल्कि ओपन जिम भी इन्हीं में लगे हैं। सेक्टर-14 में ग्रीन बेल्ट का वॉकिंग पाथ और दोनों और घने पेड़। ऐसे ही सेक्टर-21, 25 की ग्रीन बेल्ट में बडे होते पेड़ इन सेक्टरों की खूबसूरती बढ़ा रहे हैं। पॉल्यूशन तो कम होगा ही। जिन सेक्टरों में आरडब्लूए ने अपनी ग्रीन बेल्ट को इग्नोर किया वहाँ उद्यान विभाग कितना भी प्रयत्न कर ले। कुछ रेजिडेंट्स ने मलबे के ढेर भी वहीं लगाए थे। कुछ सेक्टरों ने अपनी ग्रीन बेल्ट को अत्यधिक संवारा जैसे सेक्टर-17, 14, 14ए, 15ए उनकी ग्रीन बेल्ट भी देखते ही बनती हैं।

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महेंद्र प्रकाश जी के अनुसार इसमें नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) का सहयोग वहां रहने वाले नागरिक तथा आरडब्लूए कर रही हैं। इसीलिए ये संभव भी है। प्राधिकरण पेड़ लगवाकर देगा उनको पानी भी देगा, लेकिन पौधों से पेड़ बनने तक देखभाल वहाँ आसपास रहने वालों की भी जिम्मेदारी है। ये सही भी है। नोएडा के सेक्टर-11 की ग्रीन बेल्ट जिस पर बहुत वर्षों से पहले कब्जा था। महेंद्र प्रकाश जी से निवेदन किया तब ही खाली हो पाई। उन्होंने सालों पुराने उस कब्जे को हटवाया ही नहीं बल्कि वहाँ पेड़ भी लगवाकर दिए हैं। पुराना सेक्टर है ग्रीन बेल्ट की बाउंड्री अब टूट रही है। हम पेड़ लगाते हैं, पेड़ों को ऊपर से पत्तों वाला पूरा भाग ही कोई काट देता है। सेक्टर-11 जो कि पहले 1978 में इंडस्ट्रियल सेक्टर के रूप में बनाया गया था लेकिन उस समय प्राधिकरण को यह उम्मीद न थी कि यहां पर कोई इंडस्ट्री लगाएगा भी। तब उन्होंने इस सेक्टर को आधा रेजिडेंशियल भी कर दिया जिसके कारण हमारे यहां पार्क बहुत ही छोटे हैं। बड़ा पार्क तो कोई है ही नहीं। ले-देकर 6 पार्क हैं वे भी छोटे। आर ब्लॉक में तो वो भी नहीं हैं। छोटे बच्चे कहाँ पर खेलें। पार्क में बच्चे खेलें तो घास कहां से आए। घास लगाएं तो बच्चे कहां जाएं बच्चे खेलते हैं धूल उड़ती है तो सीनियर सिटीजन उसमें नहीं बैठ सकते। इस समस्या के समाधान के लिए नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी जब महेंद्र प्रकाश जी से मैंने अपनी चिंता जताई। छोटे बच्चों की समस्या रखी कि छोटे बच्चों के खेलने के लिए तो कोई जगह ही नहीं है। कृपया आप हमारी ग्रीन बेल्ट को ही एक अच्छे पार्क की तरह डेवलप करवा दें। उन्होंने इस बात का आश्वासन दिया कि वे ऐसा अवश्य करेंगे। यकीन मानिए हमें भी उन पर पूरा भरोसा है कि वे हमें पूरी ग्रीन बेल्ट डेवलप करवा कर देंगे। जिसमें हमारे छोटे बच्चे खेलें-कूदे सीनियर सिटीजन भी उसमें वॉक करें सेक्टर-11 के अंदर के पार्कों में भी घास लग जाएगी और सेक्टर फिर से हरा भरा हो जाएगा।

कटाई नहीं छंटाई

कंक्रीट का जंगल बनते नोएडा में प्राण वायु का संचार करता नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) का हॉर्टिकल्चर विभाग कभी भी पेड़ों की कटाई नहीं बल्कि छँटाई करवाता है। जैसे हम लोगों के नाखून बढ़ते हुए बाल हमें परेशान करते हैं ऐसे पेड़ भी चाहता है कि उसकी टूटी, सूखी डांडिया छाँट दी जाएँ। उद्यान विभाग के इन्स्पेक्टर डॉ. उमेश का तो कहना है कि विज्ञान ने तो यह भी साबित कर दिया है कि पेड़ भी बातें करते हैं। जीवित तो हैं ही क्योंकि एक बीज से इतना बड़ा वृक्ष तभी बन सकता है यदि उसमें जीवन है पर इन नासमझों को कौन समझाए। बंदनवार टाँगने को एक क्षण में 3 वर्ष का वृक्ष ही हलाल कर दिया। यही कारण है कि आज प्रदूषण का स्तर मध्य मीडियम नहीं बल्कि लाल निशान से भी ऊपर चला जाता है। कारण आज नोएडा के कुछ सेक्टरों में तो कोई हमारा क्या कर लेगा? की सोच से जब लकड़ी बेचने वालों को पेड़ों की कटाई करने को बुला लिया जाता हैं। तब अत्यधिक कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड के सेवन से युवाओं का भी हार्ट बैठ जाता है।

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