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रामचरितमानस, सहृदय लोक-लोकन बना यूनेस्को का हिस्सा, 38 देशों का मिला समर्धन

UNESCO Ramcharitmanas

UNESCO Ramcharitmanas

UNESCO Ramcharitmanas : रामचरितमानस, पंचतंत्र और सह्रदयालोक-लोकन को ‘यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में शामिल किया गया है। जिसके भारत की बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जा रहा है। सोमवार (13 मई) को इस बारे में अधिकारियों ने दिल्ली में कहा कि यह फैसला 7-8 मई को मंगोलियाई राजधानी उलानबटार में आयोजित की गई मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक (MOWCAP) की 10वीं आम बैठक में लिया गया था। आपको बता दें ‘सहृदयालोक-लोकन’, ‘पंचतंत्र’ और ‘रामचरितमानस’ क्रमशः आचार्य आनंदवर्धन, पंडित विष्णु शर्मा और गोस्वामी तुलसीदास की ओर से लिखे गए हैं।

इन रचनाओं को मिली मान्यता

‘रामचरितमानस’, ‘पंचतंत्र’ और ‘सहृदयालोक-लोकन’ ऐसी कालजयी रचनाएं हैं जिन्होंने भारतीय साहित्य और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया है, देश के नैतिक ताने-बाने और कलात्मक अभिव्यक्तियों को आकार दिया है। इन साहित्यिक कृतियों ने समय और स्थान से परे जाकर भारत के भीतर और बाहर दोनों जगह पाठकों और कलाकारों पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उल्लेखनीय है कि ‘सहृदयालोक-लोकन’, ‘पंचतंत्र’ और ‘रामचरितमानस’ की रचना क्रमशः पं. आचार्य आनंदवर्धन, विष्णु शर्मा और गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक (एमओडब्ल्यूसीएपी) की 10वीं बैठक के दौरान एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उलानबटार में हुई इस सभा में, सदस्य देशों के 38 प्रतिनिधि, 40 पर्यवेक्षकों और नामांकित व्यक्तियों के साथ एकत्र हुए। तीन भारतीय नामांकनों की वकालत करते हुए, आईजीएनसीए ने ‘यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में उनका स्थान सुनिश्चित किया।

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