Most Powerful Man Of India भारत में प्रधानमंत्री का पद सबसे महत्वपूर्ण पद है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत का सबसे पॉवरफुल इंसान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। सवाल यह उठता है कि भारत में PM मोदी के बाद सबसे पॉवरफुल इंसान कौन है? हम आपको विस्तार से बता रहे हैं कि भारत में PM मोदी के बाद सबसे पॉवरफुल व्यक्ति कौन है? दरअसल भारत में PM मोदी के बाद सबसे पॉवरफुल व्यक्ति का नाम आपने अनेकों बार सुना होगा। उस व्यक्ति का नाम है अजीत डोभाल।
भारत में सबसे पॉवरफुल ब्यूरोक्रेट हैं अजीत डोभाल
अजीत डोभाल को हाल ही में तीसरी बार भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) बनाया गया है। PM मोदी से पहले NSA इतना पॉवरफुल नहीं होता था। आपको बता दें कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर का पद 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में बनाया गया था. वाजपेयी सरकार में तत्कालीन प्रधान सचिव ब्रजेश मिश्रा को 19 नवंबर 1998 को एनएसए नियुक्त किया गया। पोखरण-2 से लेकर कश्मीर मुद्दे तक और वाजपेयी की पाकिस्तान तक ऐतिहासिक बस यात्रा से लेकर अमेरिका से रिश्ते सुधारने तक ब्रजेश मिश्रा की अहम भूमिका रही. ब्रजेश मिश्रा दो साल तक संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि भी रहे थे. उन्हें वाजपेयी का संकटमोचक भी कहा जाता था। ब्रजेश मिश्रा 23 मई 2004 तक एनएसए के पद पर रहे।
2004 में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने प्रधान सचिव और एनएसए की पोस्ट को अलग-अलग कर दिया. पहले प्रधान सचिव ही एनएसए भी हुआ करते थे। मनमोहन सरकार में पूर्व विदेश सचिव जेएन दीक्षित को एनएसए बनाया गया. इस तरह से जेएन दीक्षित दूसरे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने।
जेएन दीक्षित को 26 मई 2004 को एनएसए नियुक्त किया गया था। जनवरी 2005 में उनका निधन हो गया. उनके बाद कांग्रेस सरकार ने आईपीएस और आईबी के डायरेक्टर रहे एमके नारायण को एनएसए नियुक्त किया गया। उनके बाद 24 जनवरी 2010 को विदेश सेवा में रहे शिव मेनन एनएसए बने। 26 मई 2014 को उनके रिटायरमेंट के बाद 30 मई को अजीत डोभाल पांचवें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने।
कैसे बने भारत के Most Powerful Man Of India
2019 तक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को राज्य मंत्री का दर्जा मिला था। लेकिन दूसरी बार केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद इसे कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया। एनएसए का पद सबसे शक्तिशाली माना जाता है. एनएसए न सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा, बल्कि विदेश नीति से जुड़े मामलों में भी प्रधानमंत्री को सलाह देते हैं।
एनएसए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) का नेतृत्व करते हैं। एनएसए हर दिन प्रधानमंत्री को आंतरिक और बाहरी खतरों से जुड़े मामलों की जानकारी देते हैं. और प्रधानमंत्री की तरफ से रणनीतिक और संवेदनशील मुद्दों की निगरानी करते हैं। एनएसए हर दिन आईबी और रॉ जैसी एजेंसियों से इंटेलिजेंस लेते हैं और उसकी जानकारी प्रधानमंत्री को देते हैं. एनएसए की मदद के लिए डिप्टी एनएसए होते हैं। इस समय रिटायर्ड आईपीएस दत्तात्रेय पडसलगीकर, रॉ के पूर्व चीफ राजिंदर खन्ना और पूर्व आईएफएस अफसर पंकज सारन डिप्टी एनएसए हैं। सर्जिकल स्ट्राइक करनी हो या फिर एयरस्ट्राइक कर बदला लेना हो, सारे फैसले एनएसए की सलाह पर ही लिए जाते हैं। उरी अटैक के बाद 2016 में पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में पुलवामा अटैक के बाद एयरस्ट्राइक में अजीत डोभाल की भूमिका अहम थी। इतना ही नहीं, 2017 में जब डोकलाम पर भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ गया था, तब इसे खत्म करने में भी डोभाल ने अहम भूमिका निभाई थी।
अप्रैल 2018 में मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया। सरकार ने डिफेंस प्लानिंग कमेटी का गठन किया। इस कमेटी की कमान एनएसए अजीत डोभाल को सौंपी गई। एनएसए का पद सरकार में सबसे अहम होता है। एनएसए अजीत डोभाल को इसलिए भी सबसे ताकतवर माना जाता है, क्योंकि डिफेंस प्लानिंग कमेटी में रक्षा सचिव, विदेश सचिव, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस), तीनों सेनाओं के प्रमुख और वित्त सचिव होते हैं. ये सभी एनएसए को रिपोर्ट करते हैं।
डिफेंस प्लानिंग कमेटी का काम राष्ट्रीय सुरक्षा, डिफेंस डिप्लोमेसी और डिफेंस मेनुफैक्चरिंग इकोसिस्टम से जुड़ी प्लानिंग करना है। ये कमेटी सीधे रक्षा मंत्री को रिपोर्ट करती है। इतना ही नहीं, 2018 में मोदी सरकार ने स्ट्रैटजिक पॉलिसी ग्रुप को पुनर्गठन किया था। इसका प्रमुख भी एनएसए अजीत डोभाल को बनाया गया। ऐसा होते ही अजीत डोभाल देश के सबसे ताकतवर नौकरशाह बन गए. वो इसलिए क्योंकि इससे पहले तक स्ट्रैटजिक पॉलिसी ग्रुप के प्रमुख कैबिनेट सचिव होते थे, लेकिन अब एनएसए हैं. और कैबिनेट सचिव एनएसए को रिपोर्ट करते हैं। इस ग्रुप में नीति आयोग के उपाध्यक्ष, कैबिनेट सचिव, सीडीएस, तीनों सेनाओं के प्रमुख, आरबीआई के गवर्नर, विदेश सचिव, रक्षा सचिव, वित्त सचिव, गृह सचिव, वित्त सचिव, रॉ के सचिव, आईबी के डायरेक्टर समेत कई अफसर होते हैं।
परमाणु बम तक पहुंच है भारत के सबसे पॉवरफुल इंसान की
भारत की न्यूक्लियर पॉलिसी कहती है कि भारत कभी भी पहले किसी भी देश पर परमाणु हमला नहीं करेगा। अगर कोई देश भारत पर परमाणु हमला करता है तो अपनी सुरक्षा में उस पर हमला किया जाएगा. लेकिन परमाणु हमला करने का आदेश देने से पहले कई सारी बातों का ध्यान रखा जाता है। किसी भी परमाणु हथियार को लॉन्च करने से पहले एक सीक्रेट कोड लगता है, जो एनएसए के पास भी होता है। इस कोड को डालने पर ही परमाणु हथियार लॉन्च हो सकता है। जब कोई नया प्रधानमंत्री आता है तो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ही उन्हें परमाणु हथियार के सीक्रेट कोड सौंपते हैं। इसके साथ ही एनएसए ही उन्हें परमाणु हथियारों से जुड़ी सारी जानकारी देते हैं।
सबसे पॉवरफुल इंसान का जीवन परिचय Most Powerful Man Of India
भारत के सबसे पॉवरफुल इंसान 20 जनवरी, 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्मे अजीत डोभाल ने अजमेर मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई की। केरल के 1968 बैच अफसर अजित डोभाल अपनी नियुक्ति के चार साल बाद 1972 में ही इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) से जुड़ गए। 2005 में IB डायरेक्टर पोस्ट से रिटायर हुए। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में डोभाल मल्टी एजेंसी सेंटर और ज्वाइंट इंटेलिजेंस टास्क फोर्स के चीफ थे। अजित डोभाल वे विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के फाउंडर प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं।
विवेकानंद फाउंडेशन को राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) के थिंक टैंक के तौर पर जाना जाता है। जासूसी की दुनिया में 37 साल का तजुर्बा रखने वाले अजित डोभाल 31 मई, 2014 को देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने थे। 1980 के दशक में लालडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट के उग्रवाद को काबू करने के लिए अजीत डोभाल ने मोर्चा संभाला और ललडेंगा के 7 में से 6 कमांडरों को अपने साथ जोड़ लिया। खुफिया एजेंसी रॉ के अंडर कवर एजेंट के तौर पर अजित डोभाल 7 साल पाकिस्तान के लाहौर में एक पाकिस्तानी मुस्लिम बन कर रहे थे।
Most Powerful Man Of India
जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर हुए आतंकी हमले के काउंटर ऑपरेशन ब्लू स्टार में जीत के नायक बने। वो रिक्शा वाला बनकर मंदिर के अंदर गए और आतंकियों की जानकारी सेना को दी, जिसके आधार पर ऑपरेशन में भारतीय सेना को सफलता मिली। 1999 में कंधार प्लेन हाईजैक के दौरान ऑपरेशन ब्लैक थंडर में अजीत डोभाल आतंकियों से निगोसिएशन करने वाले मुख्य अधिकारी थे। अजीत डोभाल 33 साल तक नॉर्थ-ईस्ट, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में खुफिया जासूस रहे। 2015 में मणिपुर में आर्मी के काफिले पर हमले के बाद म्यांमार की सीमा में घुसकर उग्रवादियों के खात्मे के लिए सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन के हेड प्लानर रहे।