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भारत के हर नागरिक को है बजट से बड़ी उम्मीद

Budget-2024

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Budget-2024 : भारत सरकार का बजट-2024 आने वाला है। भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को बजट-2024 पेश करेंगी। इस बजट से भारत के प्रत्येक नागरिक को बड़ी उम्मीद है। हर नागरिक चाहता है कि बजट के द्वारा सबके हिस्से में कुछ न कुछ आ जाए। बजट-2024 पर डॉ पीएस वोहरा ने बड़ा विश्लेषण किया है। इस विश्लेषण से आप भी समझ सकते हैं कि बजट-2024 कैसा रहेगा ?

प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने वाला होगा बजट

23 जुलाई को प्रस्तुत होने जा रहे मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले पूर्ण बजट में पिछले दो कार्यकालों की आर्थिक नीतियों की छाप देखने को मिल सकतीं है। अनुमान है कि बजट पूंजीगत खर्चों व जन कल्याण की योजनाओं के मध्य एक व्यवस्थित ढांचा खड़ा करने की कोशिश करेगा, ताकि देश को जीडीपी की वृद्धि के साथ प्रति व्यक्ति आय में भी तेजी दी जा सके।

बजट के इतर, अगर देश की आर्थिक प्रगति को मोदी सरकार के पिछले दो कार्यकालों के साथ जोडक़र देखें, तो तीन पक्षों पर काम अत्यंत प्रशंसनीय है। पहला, जीएसटी के माध्यम से कर संग्रहण में अभूतपूर्व वृद्धि। दूसरा, बैंकिंग क्षेत्र में आई तेजी। तीसरा, स्टॉक मार्केट में घरेलू निवेशकों का तेजी से निवेश को बढ़ाना। इन तीनों पक्षों पर कई आंकड़े मोदी सरकार की वाहवाही करते हैं। लगता है कि मोदी सरकार अब इन तीनों पक्षों पर अधिक श्रेय लेने को तैयार नहीं है। इसके पीछे दो प्रमुख कारण हो सकते हैं। एक, महंगाई व बेरोजगारी के चलते 2024 के चुनाव में मोदी सरकार अपने बल पर बहुमत में नहीं आ पाई। दूसरा, देश को अब ऐसे आर्थिक मैकेनिज्म की जरूरत है, जिसमें आर्थिक सुधारों के माध्यम से होने वाली प्रगति में किसी भी प्रकार की कोई लीकेज न रहे, अन्यथा आर्थिक प्रगति एक बुलबुला बन जाती है और जिसके फूटने का डर हमेशा बना रहता है और जब यह फूटता है, तब अप्रत्याशित भी नहीं होता।

बजट पर दिखाई देगी जीएसटी की छाप

पिछले सात वर्षों में जीएसटी के माध्यम से भारत में कर संग्रहण में 170 फीसदी की औसतन वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि बहुत अधिक सकारात्मक दिखती है। यह भी एक सच्चाई है कि जीएसटी के हुआ चलते महंगाई बढ़ी है और छोटे व्यापारों को नुकसान हुआ है। दीर्घकालीन सोच के मद्देनजर जीएसटी का निर्णय भारत के लिए बहुत अच्छा है, लेकिन बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़े सवाल करते हैं कि इतने अधिक कर के संग्रहण के बावजूद राजस्व घाटा क्यों? नौकरियों में अधिक भर्तियां क्यों नहीं? दिसंबर 2023 तक 20 से 24 वर्ष की आयु के 44 प्रतिशत युवा और 25 से 29 वर्ष के 14 प्रतिशत युवा बेरोजगार थे।

बैंकिंग क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों से काफी तेजी वर्षों आई है। जेएएम योजना (जन-धन, आधार, मोबाइल) के माध्यम से बैंकिंग क्षेत्र का विस्तार और इसके माध्यम से मिलने वाली सुविधाओं को आमजन तक प्रत्यक्ष रूप से पहुंचना रहा है। लेकिन कुछ समय से व्यक्तिगत ऋण के मुद्दे पर आरबीआई द्वारा बैंकों व एनबीएफसी को सचेत किया जा रहा है कि व्यक्तिगत ऋण पर नियंत्रण किया जाए। वरना बैंकिंग क्षेत्र में जोखिम बढ़ सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014 से दिसंबर, 2023 तक बैंकों का व्यक्तिगत ऋण 16 से बढक़र जिसके फूटने करीब 30 फीसदी तक पहुंच गया है। हैरान करने वाली बात यह भी है कि औद्योगिक घरानों को मिलने वाले ऋण में काफी कमी आई है। शुरुआत में बैंकिंग ऋण का तकरीबन 46 प्रतिशत हिस्सा इस क्षेत्र को जाता था, जो अब 24 फीसदी के आसपास है। इसका सबसे अधिक असर एमएसएमई सेक्टर में देखने को मिला है।

तीसरा मुख्य पक्ष, 10 वर्षों में स्टॉक बाजार में अप्रत्याशित वृद्धि और घरेलू निवेशकों का बढ़ता हुआ विश्वास है। 26 मई, 2014 से 16 जुलाई, 2024 तक सेंसेक्स 24000 से बढक़र 80 हजार पर पहुंच गया और निफ्टी 7000 से बढक़र 24000 पर पहुंच गई है, क्योंकि बीते कुछ वर्षों से भारत के घरेलू निवेशकों का विश्वास पूंजी बाजार के प्रति तेजी से बढ़ा है। वर्ष 2023 में घरेलू निवेशकों ने तकरीबन 22.5 अरब डॉलर का वित्तीय निवेश भारतीय पूंजी बाजार में किया, जो कि चालू कैलेंडर वर्ष 2024 की पहली छमाही में 28.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। पिछले दस वर्षों में म्यूचुअल फंड के माध्यम से घरेलू निवेश दो तोडफ़ लाख करोड़ से बढक़र मई, 2024 तक 28 लाख करोड़ हो गया है। इन सब के बीच में यह भी देखने को मिला है कि अब निवेशकों का मुख्य आकर्षण एफएंडओ ऑप्शन लोग घ में खरीदारी व बिक्री करना हो गया है। इसके चलते स्मॉल कैप मिड कैप की छोटी कंपनियां घरेलू निवेश से वंचित हो रही हैं, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उचित नहीं है, क्योंकि इसके चलते भारतीय पूंजी बाजार निवेश के बजाय सट्टे की परिकल्पना को पूरा करता हुआ दिखेगा, इसीलिए बीते दिनों सेबी ने इस पर कुछ नए नियम बनाए हैं। Budget-2024

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