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69 हजार शिक्षक अभ्यर्थियों का जोरदार प्रदर्शन, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के आवास का किया घेराव

Teacher candidates protest in UP

Teacher candidates protest in UP

Teacher candidates protest in UP: उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के बाद बुधवार को अभ्यर्थियों ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के लखनऊ स्थित आवास के बाहर प्रदर्शन किया। बता दें कि अभ्यर्थी लंबे समय से शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में देरी और अनियमितताओं का विरोध कर रहे हैं और सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।

अभ्यर्थियों की मांग हाईकोर्ट के आदेश का पालन हो

अभ्यर्थी हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने की मांग कर रहे हैं और चाहते हैं कि भर्ती प्रक्रिया को तेज किया जाए और इसे पारदर्शी बनाया जाए। उनका कहना है कि भर्ती प्रक्रिया में देरी के कारण उनकी भविष्य की संभावनाएं प्रभावित हो रही हैं। अभ्यर्थियों ने सरकार से मांग की है कि वह इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई करे ताकि उन्हें जल्द से जल्द नियुक्ति मिल सके।

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आवास का भी घेराव

इससे पहले सोमवार को अभ्यर्थियों ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आवास का भी घेराव किया था। अभ्यर्थियों का आरोप है कि मौर्य, जो पिछड़े समाज से आते हैं और उनके हितों की बात करते हैं, ने हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। अभ्यर्थी यह भी आरोप लगा रहे हैं कि उनके साथ भेदभाव हो रहा है, क्योंकि वे पिछड़े और दलित वर्ग से आते हैं।

अभ्यर्थियों का आरोप भर्ती प्रक्रिया में हो रही अनावश्यक देरी

अभ्यर्थी कृष्णा यादव ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में अनावश्यक देरी हो रही है, जिससे उनकी आजीविका और करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाए और इसे पूरी तरह पारदर्शी बनाया जाए, ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता या भेदभाव की गुंजाइश न रहे।

अभ्यर्थियों की नाराजगी

अभ्यर्थी नंदनी ने बताया कि डिप्टी सीएम मौर्य ने हाईकोर्ट के फैसले का समर्थन किया था और इसे सोशल मीडिया पर भी साझा किया था, लेकिन अब वे शांत हैं। अभ्यर्थियों का सवाल है कि अगर कोर्ट का आदेश आ चुका है और नेताओं ने इसे मान भी लिया है, तो उन्हें अभी भी सड़कों पर उतरने की जरूरत क्यों पड़ रही है? क्या यह इसलिए है क्योंकि वे पिछड़े और दलित वर्ग से आते हैं?

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