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उत्तर प्रदेश में चल रहा है मुआवजे का बड़ा खेला, रिपोर्ट से मचा हडक़ंप

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UP News : उत्तर प्रदेश में मुआवजे का एक बड़ा घोटाला चल रहा है। उत्तर प्रदेश में यह घोटाला नए हाईवे के किनारों पर हो रहा है। बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश में जहां-जहां हाईवे बनाने का प्रस्ताव बनता है वहीं पर कुछ अफसर, अफसरों के रिश्तेदार तथा चेले-चपाटे ग्रामीणों की जमीन सस्ते दामों पर खरीद लेते हैं। हाईवे के लिए जमीन का अधिग्रहण होने पर उन्हें उस जमीन का मोटा मुआवजा मिल जाता है। मुआवजे के नाम पर यह “खेला” पूरे उत्तर प्रदेश में चल रहा है।

मीडिया रिपोर्ट में हुआ खुलासा

उत्तर प्रदेश में हाईवे के नाम पर घोटाले का खुलासा शनिवार को प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट में हुआ है। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि हाईवे के लिए जमीन अधिग्रहण में अफसर और कर्मचारी जमकर खेल कर रहे हैं। परियोजना की भनक लगते ही एक ही व्यक्ति के नाम कई-कई गांवों में जमीन खरीद ली जाती है। उस जमीन का मालिक कोई एनएचएआई के अफसर का रिश्तेदार है तो कोई कानूनी सलाहकार के परिवार का सदस्य। इस खेल में पीडब्ल्यूडी और राजस्व विभाग के कर्मी भी अनाप-शनाप रिपोर्ट लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। बरेली में ‘हाईवे के लिए जमीन अधिग्रहण में 80 करोड़ से ज्यादा का घपला सामने आने पर पीडब्ल्यूडी और एनएचआई के कई अभियंता और कर्मचारी निलंबित किए जा चुके हैं। घपलों की यह फेहरिस्त बरेली पीलीभीत-सितारगंज और बरेली रिंग रोड तक ही सीमित नहीं है। एनएचएआई के सूत्र बताते हैं कि अगर ईमानदारी से जांच हो तो पलिया- शाहजहांपुर-हरदोई-लखनऊ हाईवे में भी इसी तरह की गड़बडिय़ां मिलेंगी।

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कर्मवीर (काल्पनिक नाम) के पास पलिया-शाहजहांपुर-हरदोई- लखनऊ हाईवे, बरेली-पीलीभीत- सितारगंज और बरेली रिंग रोड के 6 गांवों- अमरिया, ककराही आउटर, नगरा, कुशमाह, नारायणपुर बिकरमपुर और उमरेशिया में जमीन थी। इनका मुआवजा भी उसने एनएचएआई से ले लिया है। सूत्र बताते हैं कि कर्मवीर का पुत्र एनएचएआई के ही अधिवक्ताओं के पैनल में शामिल है।

सब कुछ पता होता है

अधिकारियों के साथ सेटिंग के चलते कर्मवीर को यह पता करना मुश्किल नहीं होता कि किस हाईवे को चौड़ा किया जाना है या कहां हाईवे बनना है। परियोजना पर जब विचार शुरू होता है, तभी वह उस परियोजना के दायरे में आने वाले गांवों में जमीन खरीदवा देता है। इसी तरह से बरेली-सितारगंज- हाईवे पर कबीर दास ने 9 गांवों सरकरा, शाही, उगनपुर, अमरिया, भुआनी, सरदारनगर, कल्यानपुर, चक्रतीर्थ और माधोपुर में जमीन का मुआवजा लिया।
बता दें कि सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए जांच स्टेट एसआईटी को सौंप दी है। । राजस्व रिकॉर्ड से यह जांच करते हुए कि मुआवजा लेने वाले व्यक्ति ने जमीन कब खरीदी, भ्रष्टाचार के इस खेल को पकडऩा मुश्किल न होगा। UP News :

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