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आईटी की नौकरी छोड़कर बन गया किसान, कर रहा है कमाल

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UP News : उत्तर प्रदेश का एक युवा किसान इन दिनों चर्चा में है। उत्तर प्रदेश के लोग इस युवा किसान को “धाकड़ किसान” कहकर भी बुलाते हैं। उत्तर प्रदेश का यह युवा ऐसे ही “धाकड़” नहीं बना है बल्कि इसकी यात्रा बहुत ही दिलचस्प है। उत्तर प्रदेश के इस युवा किसान की सफलता को जानकर आप भी जरूर सोचेंगे कि काश आप भी इसी प्रकार के किसान बन सकते।

उत्तर प्रदेश के बलिया का किसान कर रहा है कमाल

उत्तर प्रदेश तथा बिहार की सीमा पर एक प्रसिद्ध जिला है। उत्तर प्रदेश के इस जिले का नाम बलिया है। बलिया जिले को बागी बलिया भी कहा जाता है। अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई की पहली शुरूआत उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से ही हुई थी। इसी बलिया जिले का एक युवा किसान इन दिनों खूब कमाल कर रहा है। खेती करके यह युवा किसान खूब धन कमा रहा है। अपना तथा बलिया जिले का नाम भी खूब रोशन कर रहा है। इस युवा किसान का नाम दुष्यंत कुमार सिंह है।

पढ़ना-लिखना छोड़कर खेती को चुना

दुष्यंत कुमार सिंह उत्तर प्रदेश के जिला बलिया के बसंतपुर गांव के निवासी हैं। दुष्यंत कुमार सिंह ने बताया कि उनकी 2017 में बीटेक की पढ़ाई पूरी हुई। उन्होंने बेंगलुरु में एक साल तक प्राइवेट नौकरी की। हालांकि, नौकरी में संतुष्टि नहीं मिली, जिसके बाद उन्होंने खेती करने का फैसला किया और अपने गांव वापस लौट आए। दुष्यंत की सफलता का सफर तब शुरू हुआ जब उन्होंने बेंगलुरु में एक शिविर के दौरान कृषि विशेषज्ञ सुभाष पालेकर से मुलाकात की। पालेकर के दिए गए सुझावों को अमल में लाते हुए दुष्यंत ने खेती की दुनिया में कदम रखा। उनका यह प्रयास सफल साबित हुआ और वो कम समय में ही यूपी के धाकड़ किसान बन गए।

दुष्यंत ने बताया कि वो दो प्रमुख किस्मों के धान की खेती करते हैं। काला नमक किरण और मानवीय मनीला सिंचित धान-1. मनीला धान की विशेषता यह है कि इसमें सिंचाई की कम आवश्यकता होती है और प्रति हेक्टेयर 55 से 60 क्विंटल उपज मिलती है। दुष्यंत ने बताया कि उन्होंने इस वर्ष पहली बार चार बीघे में मनीला धान की खेती की है। 65 बीघे में काला नमक किरण की खेती की है। काला नमक की खेती दुष्यंत पिछले चार सालों से कर रहे हैं, जिससे वो दूर-दूर तक मशहूर हो गए हैं। इसकी काफी मांग है।

करते हैं जैविक खेती

दुष्यंत ने बताया कि वो स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए पूरी तरह से प्राकृतिक खेती करते हैं। उन्होंने पशुपालन भी किया है, जिसके माध्यम से वे जैविक खाद तैयार करते हैं। यह जैविक खाद न केवल उनकी खेती को संपन्न करता है, बल्कि उन्हें अच्छा मुनाफा भी दिलाता है। दुष्यंत ने बताया कि इस बार उन्होंने 65 बीघे में काला नमक किरण धान की खेती की है। एक बीघे की खेती में लगभग 4-5 हजार रुपये की लागत आती है और प्रति बीघे से लगभग 60,000 रुपये का मुनाफा होता है। इस हिसाब से 65 बीघे में उन्हें 39 लाख रुपये तक का मुनाफा होने की उम्मीद है, जबकि कुल लागत मात्र तीन लाख रुपये आई है। अब आप समझ गए हैं कि उत्तर प्रदेश के इस युवा किसान को धाकड़ किसान के नाम से कैसे प्रसिद्धी मिली है। UP News

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