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Russia Ukraine War: यूक्रेन के खिलाफ चीन से हथियार मांगकर रूस ने खड़ा किया नया विवाद

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Russia Ukraine War:अमेरिका के अधिकारियों ने कहा है कि, रशिया ने यूक्रेन के खिलाफ अपने युद्ध के लिए चीन से सैन्‍य मदद मांगी है। इन अधिकारियो के अनुसार, मॉस्‍को की और से किया गया यह असामान्‍य अनुरोध बताता है कि रुसी राष्ट्रपति पुतिन ने इस युद्ध में उम्‍मीद से कही अधिक झटके का सामना करना पड़ रहा है।

ब्‍लूमबर्ग (Bloomberg) की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अमेरिका के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इस नाजुक मसले की चर्चा करते हुए यह स्‍पष्‍ट नही किया कि मॉस्‍को (रशिया) की औरसे अपने सबसे मजबूत रणनीतिक साझेदार से किस तरह के उपकरणो की मदद मांगी है।

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अमीरीकी अधिकारी ने यह स्‍पष्‍ट करने से इनकार कर दिया की, अमेरिकी प्रशासन को इस बारे मे जानकारी कैसे मिलि है! एक अन्‍य अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि, यह अनुरोध नया नही है!

और रशिया ने यह आग्रह 24 फरवरी को रशिया की यू्क्रेन पर हमले के बाद किया था। इस बीच, व्‍हाइट हाउस के अभिकृत प्रवक्‍ता ने इस बारे में कमेंट से इनकार कर दिया है।

यह नया खुलासा ऐसी समय सामने आया, जब यूक्रेन पर रशिया के आक्रमण के बाद अमेरिका और चीन के बीच पहली उच्‍च स्‍तरीय वार्ता (First High Level Dialogue between US and China) की योजना बन रही है।

व्‍हाइट हाउस ने कहा है कि राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहार जैक सुलिवान (NSA Jake Sullivan) सोमवार को रोम में चीन की टॉप दूत, कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के पोलित ब्‍यूरो सदस्‍य यांग जिएची से मुलाकात करने वाले है। यह यूक्रेन संकट को खत्‍म करने के लिए बीजिंग पर रशिया के राष्‍ट्रपति पुतिन पर प्रभाव डालने के लिए है, जो बाइडेन प्रशासन की ओर से बनाए जारहे दबाव का हिस्‍सा है।

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रूस के चीन तक ‘पहुंच बनाने’ की खबर सामने आने के पहले ही यह ‘तैयारी’ की गई थी। उधर, वॉशिंगटन डीसी में स्थित रशिया दूतावास ने इस बारे में कोई टिप्‍पणी से इनकार कर दिया है।

जैसे जैसे रशिया और यूक्रेन का सप्‍ताह तीसरे सप्‍ताह में पहुंचा है, पुतिन के अभियान को कुछ मुश्किलातों का सामना करना पड़ा है।

ऐसे में सवाल यह उठ रहा कि वर्ष 1972 में रिचर्ड निक्‍सन के यात्रा के बाद से चीन की विदेश नीति में सबसे बड़े बदलाव के बाद से रशिया हथियारों के आग्रह से किसी भी रूप में जुड़ना क्‍या चीनी राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग के हित में है?

वैसे शी जिनपिंग ने यूक्रेन पर पुतिन की कार्रवाई की न तो तो निंदा और न ही समर्थन करके संतुलन को साधने की कोशिश की है।

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