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National Language : हिंदी को लेकर क्या कहता है संविधान, जानें राष्ट्रभाषा व राजभाषा में अंतर

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National Language : हिंदी को लेकर इन दिनों (National Language) सोशल मीडिया पर जंग छिड़ी हुई है। सोशल मीडिया पर लोग डिबेट करके बहस कर रहे हैं कि हिंदी कौन सी भाषा है, राष्ट्रभाषा, राजभाषा या मातृभाषा। हिंदी को लेकर हमारा संविधान क्या कहता है, आइए जानते हैं…

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भारत में अधिकांश लोग हिंदी को राष्ट्रभाषा मानते हैं। देश की सर्वाधिक जनसंख्या यही समझती है और अधिकांश लोग हिंदी बोलते हैं। लेकिन यह भी एक सत्य है कि हिंदी इस देश की राष्ट्रभाषा है ही नहीं। भारत में कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। हिंदी एक राजभाषा है, यानि की राज्यों के कामकाज में प्रयोग होने वाली भाषा।

भारतीय संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्ज नहीं मिला हुआ है। आपको बता दें कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा 1917 में गुजराज के भरुच में सर्वप्रथम राष्ट्रभाषा के रुप में हिंदी को मान्यता प्रदान की गई थी।

लेकिन 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिए जाने का निर्णय लिया तथा 1950 में संविधान के अनुच्‍छेद 343(1) के द्वारा हिंदी को देवनागरी लिपि के रुप में राजभाषा का दर्जा दिया गया।

हिंदी को राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर 1949 को मिला। इसके बाद 1953 से राजभाषा प्रचार समिति द्वारा हर साल 14 सितंबर को हिंदी द‍िवस का आयोजन किया जाने लगा।

अपनी विभिन्‍नताओं के चलते भारत की कोई राष्‍ट्रभाषा नहीं है मगर सरकारी दफ्तरों में कामकाज के लिए एक भाषाई आधार बनाने के लिए हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया है। संविधान के भाग 17 में इससे संबंधित महत्‍वपूर्ण प्रावधान भी किए गए हैं।

मातृभाषा वह भाषा है जो हम जन्‍म के साथ सीखते हैं। जहां हम पैदा होते है, वहां बोली जाने वाली भाषा खुद ही सीख जाते हैं। आसान भाषा में समझें तो जो भाषा हम जन्‍म के बाद सबसे पहले सीखते हैं, उसे ही अपनी मातृभाषा मानते हैं।

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