फिजियोथेरेपी संबंधी जागरूकता बढ़ाने के लिए 1996 से हर वर्ष 8 सितंबर को विश्व फिजियोथेरेपी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इसके आयोजक 1951 में स्थापित, यूके स्तिथ ‘वर्ल्ड फिजियोथैरेपी’ नमक संस्था है।
इस दिन विश्व भर के फिजियोथेरेपिस्ट लोगों को सक्रिय और स्वतंत्र रखने के लिए अपने पेशे से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों से अवगत कराते हैं। फिजियोथेरेपिस्ट पेशे से वह चिकित्सक होते हैं जो चोट बीमारी या विकलांगता से प्रभावित लोगों को व्यायाम, मैनुअल थेरेपी, शिक्षा और सलाह के माध्यम से स्वस्थ रखने का प्रबंध करते हैं और बीमारी रोकने में मदद करते हैं।
कोरोना के चलते इस वर्ष का थीम ‘लॉन्ग कोविड एंड रिहैबिलिटेशन’ रखा गया है। वर्ल्ड फिजियोथेरेपी की अध्यक्ष एम्मा स्टोक्स के अनुसार “6 महीने के बाद लॉन्ग कोविड के सबसे आम लक्षणों में अत्याधिक थकावट, पोस्ट एक्सर्शनल लक्षण का तेज होना और याददाश्त और एकाग्रता की समस्याएं शामिल है।”
उन्होंने ये भी कहा कि “लॉन्ग कोवीड हर किसी के लिए अलग होता है। एक फिजियोथेरेपिस्ट लोगों को उनके विशिष्ट लक्षणों को समझकर उनके ठीक होने में सहयता कर सकता है।” इससे यह बात तो स्पष्ट है केवल कोरोनावायरस को हराना पर्याप्त नहीं, उसके दीर्घकालिक प्रभावों से उभरना भी स्वस्थ जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
लॉन्ग कोविड और फिजियोथेरेपी दिवास से संबंधित अधिक जानकारी ‘वर्ल्ड फिजियोथैरेपी’ की वेबसाइट https://world.physio/wptday से प्राप्त की जा सकती है।