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Import Duty: गोल्ड खरीदने के लिए चुकानी होगी ज्यादा कीमत, डीजल-पेट्रोल के टैक्स में भी हुई बढ़ोतरी

Import Duty

Pic Source: First Post

 नई दिल्ली:  रुपये में गिरावट (Rupee Falling) और विदेशी मुद्रा भंडार (Import Duty) में होने वाले नुकसान के बीच सरकार ने शुक्रवार को काफी अहम फैसला लिया जिसकी वजह से कीमत में बदलाव हो सकता है। सरकार ने सोने की डिमांड (Gold Demand) पर देखा जाए तो लगाम लगाने के लिए इसके आयात पर शुल्क (Import Duty On Gold) को बढ़ाने का कार्य किया जा चुका है।

इसके अलावा सरकार ने पेट्रोल (Petrol), डीजल (Diesel) और विमानन ईंधन (ATF) के निर्यात पर भी टैक्स (Export Duty) बढ़ाने का फैसला लिया गया है। ताजा फैसले के बाद देखा जाए तो देश में सोने की कीमतें (Gold Prices) बढ़ने के अनुमान लगाया है। वहीं दूसरी ओर डीजल, पेट्रोल और एटीएफ की कीमतें नियंत्रित रखने में मदद मिलने की उम्मीद लगाई जा रही है।

रुपये को बचाने की होने जा रही है शुरुआत

सरकार ने सोने के आयात पर बेसिक इम्पोर्ट ड्यूटी (Basic Import Duty) को बढ़ाने के बाद 12.5 फीसदी कर दिया गया है। इससे पहले इसकी दर 7.5 फीसदी थी।एक आधिकारिक नोटिफिकेशन में इसकी जानकारी साझा कर दी गई है। आपको बता दें कि भारत सोने का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता माना जा रहा है।

घरेलू जरूरतों को पूरा करने को लेकर भारत को ज्यादातर सोना आयात करना कच्चा तेल के बाद सोना भारत के इम्पोर्ट बिल (Import Bill) के सबसे बड़े कंपोनेंट में से एक माना जा रहा है। अगर इस फैसले से सोने की डिमांड कम हो जाती है। तो यह अंतत: रुपये को बचाने में मददगार साबित होने जा रहा है।

भारत में सोने की बढ़ने जा रही है डिमांड

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council) के अनुसार बात करें तो पिछले साल भारत में सोने की डिमांड में तेजी बढ़ना शुरू किया जा चुका है। महामारी के दौरान भले ही इसकी डिमांड कम होना शुरू किया गया था। लेकिन कुछ समय बाद सोने की खरीदारी बढ़ाने शुरू किया गया था। भारत में वैसे ही सोने को न सिर्फ निवेश और बचत का माध्यम माना जा रहा है। बल्कि इसके पारंपरिक महत्व भी दिया गया है।

रिफाइनरी कंपनियों के शेयरों में भी हुई है गिरावट

हालांकि सरकार ने ताजा फैसले से उन रिफाइनरीज को बाहर रख दिया गया है। जो एक्सपोर्ट फोकस्ड माना जा रहा है।सरकार ने यह प्रावधान किया है कि एक्सपोर्टर सबसे पहले अपने लोकल प्रोडक्शन का 30 फीसदी हिस्सा स्थानीय बाजार में सप्लाई करना अहम हो जाता है। उसके बाद बाकी हिस्से का निर्यात करने के बाद फायदा ले सकते हैं।

सरकार के ये ऐलान कर दिया है जिसके बस असर रिफाइनरी बिजनेस से जुड़ी कंपनियों के शेयरों पर देखने को मिलने जा रहा है। ऐलान होने के चंद मिनटों में ही देश की सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 04 फीसदी तक कम हो चुका है। एनजीसी के शेयरों में भी गिरावट हो चुकी है। पिछले कुछ समय से खासकर प्राइवेट रिफाइनरी अमेरिकी व यूरोपीय बाजारों में डीजल, पेट्रोल और एटीएफ का एक्सपोर्ट कर भारी नुकसान हो गया था।

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