New Delhi: नई दिल्ली। आगामी छह अगस्त को प्रस्तावित उपराष्ट्रपति के चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद विपक्ष के साझा उम्मीदवार हो सकते हैं। इस बात की चर्चा सियासी गलियारे में तैर रही है। फिलहाल 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं। इसके बाद होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार को लेकर भी चर्चाओं का दौर जारी है। क्या सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आम सहमति बनेगी या दोनों ओर से अलग-अलग उम्मीदवार उतारे जाएंगे। चर्चा है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद विपक्ष के साझा उम्मीदवार हो सकते हैं। हालांकि यह बात भी सच है कि कुछ विपक्षी दल इसके खिलाफ है।
कांग्रेस की ओर से अभी अपने उम्मीदवार के नाम के बाबत विचार साझा नहीं किए गए हैं। पार्टी की ओर से यह बयान भी सामने आ गया है कि वह इस चुनाव के लिए किसी नाम का सुझाव नहीं देने जा रही है। उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर कांग्रेस नेता मलिकार्जुन खड़गे से पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियों की सर्वदलीय चर्चा के बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा कि हमारा उम्मीदवार कौन होगा। हालांकि यह बात भी सच है कि पिछले दो दिनों से कांग्रेस आलाकमान जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ मैराथन बैठक कर रही है। इस बैठक में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद भी शामिल हुए थे। खबर यह भी है कि गुलाम नबी आजाद को जम्मू कश्मीर में बड़ी भूमिका सौंपी जा सकती है। लेकिन, सबसे ज्यादा अटकलें उनके उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर लगाई जा रही है।
दूसरी ओर, आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार का नाम तय करने के लिए इसी सप्ताह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की संसदीय बोर्ड की बैठक होगी। उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचकगण द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है। ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होता है। आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो इसमें राजग उम्मीदवार का पलड़ा भारी है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि बैठक से पहले उम्मीदवार के नाम पर आम सहमति बनाने के प्रयासों के तहत पार्टी की ओर से विपक्षी दलों से भी संपर्क साधा जाएगा।