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Maharashtra Politics : संजय राउत, नवाब मलिक, नवनीत की जमानत याचिकाएं चर्चा में

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Maharashtra Politics : मुंबई। महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच 2022 में संजय राउत, नवाब मलिक और अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा जैसे कई नेताओं को विभिन्न मामलों में गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद अदालत में उनकी जमानत याचिकाओं को लेकर जारी कानूनी लड़ाई चर्चा में रही।

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इस साल अदालतों ने 2017 के एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले से जुड़े मुकदमे को भी सुना, जिसमें कुछ अभियुक्तों को राहत मिली।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता एवं तत्कालीन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में मंत्री रहे नवाब मलिक ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनके खिलाफ दर्ज किए गए कथित धन शोधन के मामले को रद्द करने के लिए फरवरी में बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया।

यह मामला एक जमीन के सौदे से जुड़ा है, जिसमें भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम के गुर्गे शामिल हैं। मलिक की याचिका अभी लंबित है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मार्च में उन्हें इस मामले में गिरफ्तार किया था। इसके बाद धन-शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली एक विशेष अदालत ने उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था। फिर मलिक ने जमानत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

अप्रैल में निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा की गिरफ्तारी से जुड़ा मामला सामने आया। उन्होंने घोषणा की थी कि वे मुंबई में तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निजी आवास ‘मातोश्री’ के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। करीब 10 दिन बाद दंपति को अदालत से जमानत मिली।

हालांकि राज्यसभा के सदस्य संजय राउत के मामले ने इस साल सबसे अधिक सुर्खियां बटोरीं। पात्रा चॉल पुनर्विकास परियोजना से संबंधित धनशोधन के एक मामले में राउत को जुलाई में ईडी ने गिरफ्तार किया था। राउत ने 100 से अधिक दिन जेल में बिताए। पीएमएलए की एक विशेष अदालत ने उन्हें जमानत देते हुए कहा था कि उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी, बिना किसी उचित कारण के और बदला लेने की मंशा से की गई।

राकांपा के नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को भी चार अक्टूबर को धन शोधन के एक अन्य मामले में जमानत मिल गई। देशमुख को 12 दिसंबर को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में भी उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी थी।

हालांकि, अदालत ने जांच एजेंसी को उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करने के लिए देशमुख के जमानत आदेश पर रोक लगा दी और वह अभी हिरासत में ही हैं।

मालेगांव में 2008 में विस्फोट के मामले और 2012 के शीना बोरा हत्याकांड में भी सुनवाई इस साल जारी रही। मालेगांव मामले में कुछ गवाह अपने बयान से मुकर गए, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद प्रज्ञा ठाकुर प्रमुख आरोपी हैं।

न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला की फरवरी 2022 में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के तहत ‘‘यौन उत्पीड़न’’ शब्द की उनकी व्याख्या को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद शीर्ष अदालत के कॉलेजियम ने उच्च न्यायालय में उनकी स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की अपनी सिफारिश वापस ले ली।

बंबई उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंधी मामले में आरोपी गौतम नवलखा की उस याचिका को अप्रैल में खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने खुद को तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत के बजाय घर में नजरबंद रखे जाने का आग्रह किया था। इसके बाद उन्होंने उच्चतम न्यायालय का रुख किया और इसे स्वीकार कर लिया गया।

अप्रैल में फिल्म अभिनेता सलमान खान ने 2019 के एक विवाद को लेकर एक पत्रकार द्वारा दायर शिकायत पर एक मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती देते हुए बंबई उच्च न्यायलाय का रुख किया, जिसने समन पर रोक लगा दी।

बंबई उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी वरवर राव, अरुण फरेरा और वर्नोन गोंजाल्विस की जमानत याचिकाएं मई में खारिज कर दी।

उच्च न्यायालय ने सांसद मोहन डेलकर को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में दादरा नगर हवेली केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल सहित नौ लोगों के खिलाफ दर्ज एक मामले को सितंबर में खारिज कर दिया।

बंबई उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंधी मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हनी बाबू की जमानत याचिका सितंबर में खारिज की।

बंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई के नगर निगम को जुहू क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता नारायण राणे के बंगले में अनधिकृत निर्माण को ध्वस्त करने का निर्देश दिया। अनिल अंबानी को उसी महीने उच्च न्यायालय से राहत मिली जब अदालत ने आयकर विभाग को काला धन अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने की मांग करने वाले कारण बताओ नोटिस पर उद्योगपति के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया।

उच्चतम न्यायालय ने माओवादी संबंध मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के आदेश को अक्टूबर में स्थगित कर दिया।

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