हरंगखाल ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी ने गुवाहाटी में चुनाव पूर्व गठबंधन की संभावना पर बैठक की थी, जहां असम के मुख्यमंत्री और भाजपा के दो अन्य नेताओं के साथ उनकी मुलाकात हुयी लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला । उग्रवादियों के मुखिया रह चुके हरंगखाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘‘ऐसा हो सकता है कि हम राज्य में सबसे बड़ी पार्टी हों और चुनाव के बाद के परिदृश्य में, हम (सरकार के गठन में सक्षम किसी भी दल या गठबंधन को) बाहर से समर्थन देने को तैयार हैं, लेकिन एक नये राज्य के निर्माण के लिये आपको लिखित तौर पर और सदन में सहमत होना होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर वे (दूसरे दल) सहमत नहीं होते हैं, हम आगे नहीं बढ़ेंगे ।’’
देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ शांति समझौते पर दस्तखत करने वाले वरिष्ठ आदिवासी नेता ने इंडीजिनियस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ ट्विपरा की स्थापना की थी, जिसका दो साल पहले टिपरा मोथा में विलय हो गया। टिपरा मोथा प्रमुख ने यह भी संकेत दिया कि उनकी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व शाही परिवार के वंशज प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा के साथ रणनीति पर चर्चा की गई थी। उन्होंने कहा कि अगर संवैधानिक गतिरोध पैदा होता है और कोई पार्टी या गठबंधन सरकार के गठन में नाकाम रहता है तो हम राज्यपाल से संपर्क कर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे, (बावजूद इसके कि) यह जानते हुये भी कि हो सकता है हम सरकार नहीं चला पाएं क्योंकि वे (दूसरे दल) हमारे खिलाफ एकजुट हो सकते हैं ।’’ त्रिपुरा में साठ सदस्यीय विधानसभा के लिये बुधवार को मतदान होगा। इसमें से 20 सीट आरक्षित हैं।
Tripura Election : त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के बाद त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में टिपरा मोथा राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है। पार्टी के अध्यक्ष बिजॉय कुमार हरंगखाल ने इसकी जानकारी दी । प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अपनी पैठ बना चुका क्षेत्रीय दल टिपरा मोथा विधानसभा में किसी भी दल या गठबंधन को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में उस दल या गठजोड़ को समर्थन देने के लिये तैयार है जो अलग आदिवासी राज्य बनाने की टिपरा मोथा की मांग का ‘लिखित रूप से और सदन के पटल पर’ समर्थन करेगा।
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