CBI NEWS: नई दिल्ली। केंद्रीय और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में कुल 83 कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच शुरू करने की पूर्व अनुमति के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के 38 अनुरोध लंबित हैं। एक आधिकारिक आंकड़े में यह जानकारी दी गई है।
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भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम की धारा 17(ए) किसी भी पुलिस अधिकारी को सक्षम प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति के बिना ‘किसी लोक सेवक द्वारा कथित रूप से किए गए किसी भी अपराध की तहकीकात, जांच या अन्वेषण’ से रोकती है।
इससे पहले दिन में, केंद्र ने दिल्ली सरकार के एक विभाग के माध्यम से राजनीतिक खुफिया जानकारी के कथित संग्रह से संबंधित एक मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए सीबीआई को धारा 17ए के तहत अनुमति दी थी। पीसी अधिनियम, 1988 में 2018 में एक संशोधन के माध्यम से यह धारा डाली गई थी।
हालांकि, संशोधित कानून के अनुसार, स्वयं के लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए किसी भी अनुचित लाभ को स्वीकार करने या इसका प्रयास करने के आरोप में किसी व्यक्ति की मौके पर गिरफ्तारी से जुड़े मामलों के लिए ऐसी कोई मंजूरी आवश्यक नहीं है। नवम्बर 2022 तक के अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, 83 कथित भ्रष्ट लोक सेवकों के खिलाफ कार्रवाई करने की पूर्व अनुमति के लिए कुल 38 आवेदन निर्धारित चार माह की अवधि से अधिक समय से केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों में लंबित हैं। इनमें से कुछ आवेदन 2019 में ही भेजे गये हैं।
आंकड़ों के अनुसार, कुल मामलों में से ऐसे तीन अनुरोध उत्तर प्रदेश सरकार के पास लंबित हैं, जिनके माध्यम से 13 कथित रूप से भ्रष्ट लोक सेवकों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति मांगी गयी है। आंकड़े बताते हैं कि आयकर विभाग के पास भ्रष्टाचार के नौ आरोपी अधिकारियों के खिलाफ नौ अनुरोध लंबित हैं। आंकड़े बताते हैं कि सीवीओ, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को आठ लोक सेवकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भेजे गए दो संदर्भ भी लंबित हैं।
आंकड़ों के अनुसार, कथित रूप से सात भ्रष्ट लोक सेवकों के खिलाफ कार्रवाई की पूर्व अनुमति संबंधी चार अनुरोध मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के पास लंबित हैं। आंकड़े बताते हैं कि कथित रूप से भ्रष्ट छह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल, मुख्य सचिव एवं राजस्व सचिव को भेजे गये अनुरोध पर मंजूरी अभी नहीं मिली है।
आंकड़ों के अनुसार, इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्शी बोर्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, उच्च शिक्षा विभाग, रक्षा सम्पदा महानिदेशालय, आईडीबीआई बैंक लिमिटेड, इंडियन ओवरसीज बैंक, नागरिक विमानन मंत्रालय के संयुक्त सचिव, राजस्थान सरकार के प्रधान सचिव और विदेशी व्यापार विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक के समक्ष भी ऐसे ही अनुरोध लंबित हैं।
इनके अलावा, सीबीआई विभिन्न केंद्रीय और राज्य सरकार के विभागों के 66 मामलों में भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पीसी अधिनियम की धारा 19 के तहत अनिवार्य मंजूरी का पिछले चार महीने से अधिक समय से इंतजार कर रही है।
धारा 19, मामले की जांच के बाद लोक सेवक के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल करने से पहले जांच एजेंसी के लिए संबंधित सरकारी विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य बनाती है। अनुमति के लिए ऐसे अनुरोधों पर अधिकतम चार महीनों के भीतर निर्णय लेने की अनिवार्यता है। आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि खुद सीबीआई के पास भी एक लंबित मामला है।