वैसे तो देश के लगभग हर छोटे – बड़े गाँव में होलिका दहन के बाद लोग एक दूसरे को रंगों से सराबोर करते हैं और धूमधाम से होली मनाते हैं किन्तु Surat के अलपाड तालुका के सरस गांव में होली पर एक अनोखी परम्परा का निर्वहन किया जाता है। यहाँ पर गाँव के बड़े बूढ़े से लेकर छोटे बच्चे तक होलिका दहन के बाद धधकते हुए अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं।
Surat
बताया जाता है कि यह परम्परा कोई दो-चार वर्ष पुरानी नहीं बल्कि अस्सी साल पुरानी है। पिछले वर्षों में जब कोविड ने सारी दुनिया को त्यौहार मनाने और एकत्र होने से रोक रखा था, तब भी Surat के सरस गाँव में लोगों ने अपनी इस परम्परा को जीवित रखा।
आस्था और विश्वास से भरे हुए हैं लोग
Surat के सरस गाँव के लोगों का कहना है कि यहाँ के निवासियों की होली के त्यौहार में असीम आस्था है और यही कारण है कि होलिका दहन के बाद गाँव का हर छोटा-बड़ा सदस्य अंगारों पर चलने का साहस जुटा पाता है। वैसे तो गाँववासी हर किसी की तरह अग्नि को देवता के समान समझते हैं लेकिन होली के त्यौहार पर साल में एक बार वे उन पर चलने की परम्परा को निभाते हैं।
कष्ट निवारक मानी जाती है यह प्रथा
Surat से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अल्पाड तालुका के सरस गाँव में ऐसी मान्यता है कि यदि यहाँ पर कोई भी होलिका दहन के बाद अंगारों पर चलता है तो उसके शरीर के सभी कष्ट या तकलीफें दूर हो जाती हैं। यही नहीं अगर वे कोई मान्यता भी मानते हैं तो वह इस परम्परा के निर्वहन से पूर्ण हो जाती है।
मात्र सरस गाँव में ही नहीं बल्कि Surat के अन्य गाँवों में भी होली के त्यौहार पर इस तरह की परम्परा का लोगों के द्वारा पालन किया जाता है। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि लोगों को इसके द्वारा किसी भी तरह की हानि नहीं होती है।