नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस के नेतृत्व में 14 राजनीतिक दलों की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों का मनमाने ढंग से इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए भविष्य के लिए दिशानिर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया था। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि किसी मामले के तथ्यों से संबंध के बिना सामान्य दिशानिर्देश देना खतरनाक होगा।
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अधिवक्ता ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी
याचिका पर विचार करने में शीर्ष अदालत की अनिच्छा को भांपते हुए राजनीतिक दलों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। पीठ ने आदेश दिया कि अधिवक्ता इस स्तर पर याचिका वापस लेने की अनुमति चाहते हैं। याचिका तदनुसार वापस ली गई मानते हुए खारिज की जाती है। पीठ ने कहा कि आप कृपया तब हमारे पास आएं, जब आपके पास कोई व्यक्तिगत आपराधिक मामला या मामले हों। याचिका में विपक्षी राजनीतिक नेताओं और असहमति के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करने वाले अन्य नागरिकों के खिलाफ दंडात्मक आपराधिक प्रक्रियाओं के उपयोग में खतरनाक वृद्धि का आरोप लगाया गया था।
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कांग्रेस के साथ 14 दलों ने दी थी याचिका
कांग्रेस के अलावा, इस संयुक्त कदम में द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), शिवसेना (यूबीटी), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), जनता दल यूनाइटेड (जदयू), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), समाजवादी पार्टी (सपा) और जम्मू कश्मीर नेशनल कान्फ्रेंस शामिल थीं।
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