Site icon चेतना मंच

अध्यादेश तो बस बहाना है PM के पद पर केजरीवाल का निशाना है, पढ़ें पूरा विश्लेषण Delhi Politics

Delhi Politics

Delhi Politics : दिल्ली की जनता द्वारा चुनी गई सरकार के अधिकारों को लेकर केंद्र सरकार और दिल्ली की आप सरकार में चली आ रही खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली सरकार के पक्ष में दिए गए निर्णय के बाद भी केंद्र अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहा और एक अध्यादेश लागू कर दिया। इस अध्यादेश के विरोध में रविवार को आम आदमी पार्टी की ओर से दिल्ली के रामलीला मैदान में एक रैली भी आयोजित की गई।

Delhi Politics 2023

इस रैली में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के निशाने पर पीएम मोदी रहे। उन्होंने अपने पूरे भाषण में केवल और केवल पीएम मोदी को ही निशाने पर रखा। जिसके बाद ये साफ हो गया कि अध्यादेश तो बहाना है, 2024 का आम चुनाव आम आदमी पार्टी का असली निशाना है।

आपको बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पिछले कुछ दिनों से ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के बाद केंद्र के अध्यादेश के विरोध में मोर्चा खोले हुए हैं। केजरीवाल अध्यादेश के खिलाफ विपक्ष दलों का समर्थन जुटाने के लिए अलग-अलग राज्यों के दौरे कर रहे हैं, अलग-अलग दलों के शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।

दिल्ली शासन पर केंद्र का हस्तक्षेप

अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी का नाम लिए बिना चौथी पास राजा कहानी सुनाकर उन पर तंज किया. केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री पद तक, गुजरात से देश की सत्ता के शीर्ष तक के सफर की अपने नौ साल के कार्यकाल से तुलना भी कर दी। केजरीवाल ने पीएम मोदी पर तंज किया और दिल्ली के एजुकेशन, हेल्थ मॉडल का भी उल्लेख किया। केजरीवाल ने दिल्ली के शासन में केंद्र के हस्तक्षेप का भी जिक्र किया।

केजरीवाल के इस दांव को उनकी महत्वाकांक्षा, प्रधानमंत्री पद पर दावेदारी से जोड़कर भी देखा जा रहा है. खासकर ऐसे हालात में, जब विपक्षी एकजुटता के लिए ‘जो जहां मजबूत, वह वहां चुनाव लड़े’ के फॉर्मूले पर बात हो रही है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी की ओर से समय-समय पर उन्हें पीएम पद के दावेदार के रूप में प्रोजेक्ट किया जाता रहा है। चुनाव बाद पीएम को लेकर फैसले और जो दल जहां मजबूत, वो वहां लड़े के फॉर्मूले ने विपक्ष के कई नेताओं के पीएम बनने के अरमानों को पंख लगाए रखा है। आम आदमी पार्टी का फोकस इस फॉर्मूले के मुताबिक दिल्ली और पंजाब की सीटों पर है जहां उसकी सरकार है।

केजरीवाल ने रामलीला मैदान के मंच से कहा कि आज दिल्ली है तो कल कोई और राज्य होगा। केंद्र सरकार इसी तरह के अध्यादेश लाएगी और सभी अधिकार अपने पास रख लेगी। सरकार कोई चलाए, नियंत्रण मोदी सरकार का रहेगा। केजरीवाल ने इसके जरिए भगवंत मान की बात को ही आगे बढ़ाया, जिन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री से पहले बोलते हुए कहा था कि 2024 में भी यदि केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो पीएम मोदी, पुतिन बन जाएंगे। देश में चुनाव का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।

2024 चुनाव को लेकर भरी हुंकार

राजनीतिक विश्लेषक द्वारा आम आदमी पार्टी द्वारा आयोजित की जा रही रैली 2024 चुनाव को लेकर हुंकार माना जा रहा है। साथ ही, विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद के बीच एक संदेश भी। दरअसल, दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहते हुए भी 2014 और 2019 के आम चुनाव में आम आदमी पार्टी केंद्र शासित प्रदेश की एक भी सीट नहीं जीत सकी है। ऐसे में केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का पूरा फोकस किसी भी तरह दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर बीजेपी के तिलिस्म को तोड़ना है। केजरीवाल ने दिल्ली के सांसदों पर हमला बोलकर ये साफ भी कर दिया।

दिल्ली के सीएम ने सभी सांसदों को निशाने पर लेते हुए कहा कि दिल्लीवालों, ये आपके नहीं हैं। ये भाजपा के गुलाम हैं। दूसरी तरफ, केजरीवाल के पूरे संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निशाने पर रहे। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने चौथी पास राजा की कहानी सुनाई और डिग्री विवाद से लेकर नोटबंदी और दो हजार रुपये के नोट वापस लिए जाने तक, पीएम मोदी पर चुन-चुनकर हमला बोला।

Delhi Politics – गुजरात राज्य में बेहतर प्रदर्शन

अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी की रैली में अपने संबोधन के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आखिर प्रधानमंत्री मोदी के इर्द-गिर्द ही क्यों घूमते रहे? केजरीवाल के पूरे संबोधन के दौरान पीएम मोदी उनके निशाने पर क्यों रहे? इसे केजरीवाल के नेशनल प्लान से जोड़कर देखा जा रहा है। दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बना चुकी आम आदमी पार्टी ने पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात में भी बेहतर प्रदर्शन किया और राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया था।

केजरीवाल की रामलीला मैदान में रैली, पूरे संबोधन में पीएम मोदी को निशाने पर रखने के पीछे सियासत के जानकार दो प्रमुख वजहें मान रहे हैं। एक- विपक्ष में नजर आए बड़े शून्य की भरपाई के लिए खुद को पीएम मोदी से सीधे लोहा लेने वाले नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कोशिश और दूसरा कभी कांग्रेस जैसे दलों के साथ खड़े होने से गुरेज करने वाले नेता की विपक्षी दलों के बीच स्वीकार्यता बढ़ाने का प्रयास। Delhi Politics

डेटा विभाजन को पाटने के लिए टेक्नोलॉजी का लोकतांत्रिक तरीके से उपयोग महत्वपूर्ण: PM मोदी

देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें।

देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।

Exit mobile version