Big News : ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा से इस समय बड़ी खबर आ रही है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सामने पिछले 57 दिनों से धरना दे रहे किसानों को पटाने में सरकार के एक दूत तथा भाजपा के एक नेता कामयाब हो गए हैं। किसानों को राजी किया गया है कि वे 25 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नोएडा दौरे से पहले अपने आंदोलन को समाप्त करने की घोषणा कर दें।
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सरकारी दूत और भाजपा नेता ने धरनारत किसानों को जो फार्मूला दिया है उसमें किसानों से कहा गया है कि किसानों की अधिकतर मांगें शासन से संबंधित हैं। प्राधिकरण का इससे लेना देना नहीं है। इसलिए एक कैबिनेट मंत्री की अध्यक्षता में कमेटी का गठन कर दिया जाएगा जो किसानों की मांगों से संबंधित रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप देंगे और इसके साथ ही जेल में बंद किसानों को भी छोड़ दिया जएगा।
आबादी, मुआवजा व अन्य मांगों को लेकर धरना
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में आने वाले गांवों के किसान पिछले 57 दिनों से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय के बाहर धरनारत हैं। किसान लीज बैक, मुआवजा व आबादी सहित अन्य कई मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं। आगामी 25 जून को उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नोएडा के दौरे पर आ रहे हैं। यहां मुख्यमंत्री नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में कई योजनाओं का लोकार्पण करेंगे तथा कुछ का शिलान्यास भी करेंगे। इस कार्यक्रम को सरकार का मेगा इवेंट माना जा रहा है। इसलिए भाजपा से एक नेता तथा सरकारी दूत किसानों के धरने को मुख्यमंत्री के दौरे से पहले किसान आंदोलन को समाप्त करवाना चाहते हैं।
भाजपा नेता व सरकारी दूत पटाने में कामयाब
चेतना मंच को अति विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली है कि भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता तथा एक सरकारी दूत किसानों और प्राधिकरण के बीच सहमति बनाने में लगभग कामयाब हो गए हैं। किसानों की मांगों को लेकर एक कैबिनेट मंत्री की अध्यक्षता में हाई पॉवर कमेटी बनाकर रिपोर्ट मुख्मयंत्री को सौंपने तथा जेल में बंद 33 किसानों को रिहा करने की बात पर किसान मान गए हैं। लेकिन किसान इन दोनों मांगों पर लिखित आश्वासन चाहते हैं। लिखित आश्वासन के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के आला अफसर तैयार नहीं बताए जा रहे हैं।
गूंज रहा है सवाल क्या यूं ही खत्म होगा आंदोलन ?
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के इतिहास में यह सबसे ज्यादा दिनों तक चलने वाला किसान आंदोलन है। किसान पिछले 57 दिनों से दिन-रात गर्मी-बरसात में धरने पर डटे हुए हैं। बड़ी संख्या में महिलाएं भी उनका साथ दे रही हैं। किसानों ने जब यह आंदोलन शुरू किया था तो ऐलान किया था कि उन्हें अपनी मांगें पूरा करवाने के लिए चाहे कितना समय लग जाए वह धरनास्थल से हटेंगे नहीं। लेकिन अब लोग पूछ रहे हैं कि क्या किसानों का इतना मजबूत आंदोलन यूं ही समाप्त हो जाएगा।
चेतना मंच ने इस संबंध में आंदोलन में शामिल कुछ किसान नेताओं से प्रतिक्रिया ली तो उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि किसान कुछ मांगों पर राजी हुए हैं, लेकिन अधिकतर किसान नेताओं ने दावा किया कि इस बार किसान अपना हक लेकर ही उठेंगे। उन्होंने माना कि कुछ लोग किसानों को बहकाने, फूट डालने व डराने का काम कर रहे हैं। लेकिन इस बार हम खाली हाथ नहीं उठोंगे।