Friday, 29 November 2024

“चमचागिरी'” की कोई सीमा नहीं होती, आप भी पढ़े एक “चमचे” की चर्मसीमा वाला किस्सा

Noida News : किसी नेता, अफसर या अपने मालिक की ”चमचागिरी” करने वालों के अनेक किस्से समाज में प्रचलित है।…

“चमचागिरी'” की कोई सीमा नहीं होती, आप भी पढ़े एक “चमचे” की चर्मसीमा वाला किस्सा

Noida News : किसी नेता, अफसर या अपने मालिक की ”चमचागिरी” करने वालों के अनेक किस्से समाज में प्रचलित है। अनेक किस्सों में तो ”चमचे” अपने बॉस की चमचागिरी की सारी हदें पार कर डालते हैं। ऐसा ही एक किस्सा चेतना मंच के नियमित पाठक अरुण सिंह ने हमें लिखकर भेजा है। आप भी पढ़े ”चमचागिरी” का हैरान कर देने वाला यह मजेदार किस्सा।

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चमचागिरी की पराकाष्ठा

अरुण सिंह लिखते हैं कि हमारे ऑफिस का एक सहयोगी मिस्टर रोहन सामान्यत कार्यालय के सभी कामों से बचता था, लेकिन हमारे बॉस श्री मनोज को मक्खन लगाने में माहिर था।

वह बॉस के आदेश के अनुसार सभी काम करता था (ऑफिसियल कामों के अलावा)

वह उनके सभी निजी काम जैसे उनके बेटे की कॉलेज फीस जमा करना, बेटी की डांस कॉस्ट्यूम खरीदना, उनकी कार की सर्विसिंग का काम, उनके बेटे का प्रोजेक्ट पूरा करना, यानी लगभग सब कुछ करता था।
इसलिए जाहिर था कि रोहन एमडी साहब का पसंदीदा था। अत: उसे सभी प्रोत्साहन और पदोन्नति समय से मिलती थी और दूसरी तरफ हम पछता रहे हैं क्योंकि बॉस हमसे उतना खुश नहीं है।

एक दिन अचानक हमें एमडी साहब की मां के निधन की खबर मिली। हम सब बहुत उदास चेहरे के साथ उनके घर भागे जैसे हमारी ही माँ का देहांत हो गया हो।

लेकिन, हैरानी की बात यह थी कि ऐसे वक्त में रोहन को बॉस के बंगले में कहीं भी नहीं देखा गया, जिसके बारे में हर कोई कयास लगा रहा था कि रोहन अनुपस्थित कैसे।

हमने माल्यार्पण से सुसज्जित वाहन की व्यवस्था की और बॉस की मां के शव को श्मशान ले जाया गया।लेकिन जब हम सब शवदाह गृह पहुंचे तो पहले से ही 16 शव बिजली से जलने के लिए कतार में थे।

प्रत्येक शरीर को जलने में लगभग 1 घंटा लग रहा था। यानी कि कुल मिलाकर सूर्यास्त से पहले दाह संस्कार संभव नहीं था। बॉस का चेहरा लाल हो रखा था और हम सब भी परेशान थे।

अचानक कतार में पड़े 16 शवों में से दूसरा शव उठ बैठा। उपस्थित सब लोग मारे डर के भाग खड़े हुए। बाद में आश्चर्य के साथ हमें पता चला कि वह कोई शव नहीं था बल्कि जीता जागता रोहन था।

उसने तुरंत एमडी साहब को बताया, श्रीमान माफ़ी चाहूँगा सुबह से आपके घर नहीं आ पाया था, क्योंकि जैसे ही आपकी माता जी के देहांत का सुना और देखा सब आपके घर की तरफ भाग रहे हैं तो ख्याल आया कि पहले यहां का भी इंतजाम देख लूँ और देखा तो पाया कि शाम तक आप बॉडी लेकर आयेंगे तो आज मुश्किल ही नंबर आ पायेगा।

आपके खातिर सुबह से ही आपकी माता जी का नंबर लगा दिया, सर सुबह 8 बजे से ही लाश बनकर लेटा हुआ हूं यहाँ …

हम उसकी प्रतिबद्धता के स्तर को देखकर दंग रह गए और बॉस कभी उसको बड़े प्यार से देखता था और कभी हम लोगों को खा जाने वाली निगाहों से…

यानी जो भी काम करो, पूरी शिद्धत के साथ करना चाहिये।

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