Saturday, 23 November 2024

नवरात्रि के नौ दिन कैसी हो तैयारी, जाने व्रत के नियम और व्रत के पकवान की रेसपी

Shardiya Navratri 2023 : हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का अपना विशेष महत्व है। यह साल में दो बार आती…

नवरात्रि के नौ दिन कैसी हो तैयारी, जाने व्रत के नियम और व्रत के पकवान की रेसपी

Shardiya Navratri 2023 : हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का अपना विशेष महत्व है। यह साल में दो बार आती है, चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र। दोनों ही नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना नौ दिन की जाती है। नवरात्रि के नौ दिन भक्तगण मां दुर्गा से  अपने घर परिवार में आरोग्य, सुख-समृद्धि और समस्त सुखों के लिए प्रार्थना करते हैं। कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से देवी दुर्गा का व्रत और उपासना करता है मां उससे बहुत प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। ये नौ दिन देवी दुर्गा की व्रत उपासना के लिये खास माने जाते हैं। इन दिनों में की गयी पूजा विशेष फलदायी होती है।  इस बार शारदीय नवरात्र 15 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। जो लोग नौ दिन का व्रत रखते हैं उन्हें अपनी पूजा की तैयारी और व्रत के नियम का पालन पहले से करना पड़ता है। आइये जानते हैं कि हमें पूजा के लिये पहले से क्या खास तैयारी करनी चाहिए।

नवरात्रि की तैयारी कैसे करें:

नवरात्रि की शुरुआत अमावस्या के बाद शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से होती है। ये नौ दिन भक्तों के लिये बेहद खास होते हैं। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और जौ बोने की परंपरा है और इस कार्य के लिये श्रेष्ठ मुहूर्त थोड़े समय के लिए ही मिल पाता है। कई बार हम जल्‍दीबाजी करते हुए हड़बड़ा जाते हैं और कई बातों को भूल जाते हैं। इसलिये नारियल, कलश, जौ बोने के लिये मिट्टी और बर्तन की व्यवस्था पहले से कर लेनी चाहिए।

पहले से क्या करें खरीदारी:

हमें पूजा के लिये बहुत से समान खरीदने होते हैं इसलिये कुछ भी समान भूल ना जाएं इसलिए समान की लिस्ट पहले से बना लेनी चाहिए। जिसमें एक मिट्टी का कलश,लकड़ी का पाटा,कलश के लिए आम के पत्ते, पंचरत्न, रोली, मीठा, चाँदी का सिक्का, जौ, तिल, कमल गट्टा, शहद, गंगा जल, इत्र, सिंदूर, रोली, हल्दी की गाँठ, जायफल, सुपारी, पीला जनेऊ, लाल कलावा/मोली, कौड़ियाँ, पंचमेवा, मिश्री, मेवे, फल, मखाने, हवन सामग्री, हवन के लिये हवन कुंड जो बाजार में मिलते हैं और आम की लकड़ी हवन करने के लिये होनी चाहिए। पूजा के लिये, कलश के ऊपर रखने वाला नारियल, पीले अक्षत, लकड़ी की चौकी, बिछाने के लिए लाल / पीला कपड़ा, लाल चुनरी, माँ के लिए वस्त्र, अर्पित करने के लिए सुहाग का सामान /चूड़ियाँ आदि सभी समान खरीद लेने चाहिए।पूजा के लिये फल, मिठाई, पान का पत्ता और फूल माला इत्यादी एक दिन पहले रात में ही खरीदना चाहिए अन्यथा खराब होने का डर रहता है। अगर आपने अखंड ज्योत का इंतजाम किया है तो अखंड दीपक को पहले से साफ कर लेना चाहिये। बाती का व्यवस्था पहले से कर लेनी चाहिए। रुई की बाती की जगह कलावे की बाती का प्रयोग करना चाहिये इसका प्रयोग करना शुभ होता है। ध्यान रहे लाल बत्ती सूती हो तभी वह लंबे समय तक जल पायेगी।  दीपक को हवा ना लगे इसके लिये शीशे के कवर और जालीदार कवर का इंतजाम कर लेना चाहिए ।

अपने घर की करें साफ-सफाई:

जो लोग नौ दिन का व्रत रखते हैं उन्हें अपने घर की रसोई और फ्रिज़ की साफ-सफाई पहले से कर लेनी चाहिए। रसोंई घर से प्याज लहसुन आदि पहले से हटा देने चाहिए। अपने घर के मंदिर की साफ-सफाई रात्रि में पहले से कर के रख लेनी चाहिए। मंदिर की मूर्तियों / तस्वीरों को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए। और उन्हें गंगाजल आदि छिड़क देना चाहिए। ये सभी कार्य पहले से निपटा लेने चाहिए जिससे हमें पूजा के लिये अधिक से अधिक समय मिल सके और जल्दबाजी में हमसे कोई भूल चूक ना हो। घर के मंदिर को फूलों से अच्छे से सजा देना चाहिए।

व्रत के नियम:

नवरात्रि का व्रत लोग अपनी सुविधा के अनुसार रखते हैं। कुछ लोग पूरे नौ दिनों तक उपवास रखते हैं, तो कुछ लोग पहला आखरी या जोड़े में व्रत रखते हैं। सबका उपवास करने का तरीका अलग-अलग होता है। कुछ लोग सिर्फ लौंग खा कर नौ दिन व्रत करते हैं, वहीं कुछ लोग फल खाकर व्रत रखते हैं और कुछ तो एक समय सात्विक भोजन करते हैं। तो देखें व्रत में किन चीजों से परहेज रखना चाहिए और क्या खाना चाहिए ।

>>कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ, मसाले, जड़ी-बूटियां और अनाज हैं जिनसे लोगों को बचना चाहिए।

>>प्याज, लहसुन, भिंडी, बैंगन, मशरूम आदि के सेवन से बचना चाहिए।

>>व्रत में संवत के चावल या कुट्टू का आटा, साबूदाना, राजगिरा, सिंघारे का आटा का प्रयोग किया जाता है। तरल पदार्थ का सेवन अधिक करना चाहिए।

>>नवरात्रि के शुभ दिनों में घर में जो भी भोजन बने उसे सबसे पहले मां को भोग लगाना चाहिए।

>>गेहूं, चावल, सूजी, मैदा, मकई का आटा, फलियां और दालें कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें लोगों को उपवास में खाने की अनुमति नहीं है।

>>इन नौ दिनो में आप नवरात्रि का उपवास रख रहे हैं तो ब्रह्मचर्य व्रत का पालन अवश्य करें।

>>नौ दिनों में झूठ नहीं बोलना चाहिए और क्रोध नहीं करना चाहिए। किसी महिला या कन्या का अपमान न करें।

>>सुबह और शाम में दुर्गा मां की उपासना जरूर करें। व्रतियों को इस दौरान दुर्गा चालीसा या देवी को प्रसन्न करने के मंत्र पढ़ने चाहिए। नवरात्रि के आखिरी दिन कन्याओं को भोजन कराना चाहिए। उनके पैर छूने चाहिए।

>>व्रत के पारण के बाद हैवी डाईट नहीं लेनी चाहिए। थोड़े बहुत खाने के बाद लिक्विड डाईट लेनी चाहिए । जैसे नींबू पानी और जूस वगैरा ले सकते हैं।

>>व्रत में किस तरह का भोजन होना चाहिए। आज हम आपको व्रत में खाये जाने वाले कुछ भोजन की रेसपी बताने जा रहे हैं।

साबूदाना खीर:

व्रत के दौरान अगर आपका मीठा खाने का मन है तो आप साबूदाना की खीर बना सकते हैं। इसमें खूब सारे ड्राई फ्रूट्स डालकर आप इसे और हेल्दी बना सकते हैं। इसके लिये आपको भीगे हुए साबूदाने को दूध में डाल कर पकाना है। फिर इसमें कटे हुए ड्राई फ्रुट्स डाल दें।

साबूदाना खिचड़ी:

साबूदाना की खिचड़ी व्रत के खाने के तौर पर काफी पॉपुलर है। इसमें कार्बोहाइड्रेट और स्टार्च काफी ज्यादा होता है, जिससे आपको पेट लंबे समय तक भरा महसूस होगा। इसके लिये आपको साबूदाना को कुछ घंटे पहले भिगोना पड़ेगा। इसके बाद घी में मूंगफली भून लें उसमे जीरा,टमाटर,आलू डाल कर पका ले इसमें आप सेंधा नमक का प्रयोग करें। इसके बाद भीगा हुआ साबूदाना डाल कर कुछ देर भाप से पका लें। ऊपर से हर धनिया डाल दें।

कुट्टू के आटे की पूरी या पराठा और सब्जी:

अगर आलू की सब्जी के साथ कुट्टू के आटे की पूरी मिल जाए तो खाने का स्वाद दोगुना हो जाता है। इसके लिये आटे को कम पानी या हल्का सा दूध मिलाकर गूथ लें इसके बाद किसी साफ कपड़े  पर रखकर इसे फैला ले और तेल मे तल ले ।अगर आप तलना नही चाहती है तो आप इसे तवें पर भी पराठे की तरह सेक सकती हैं। आलू की सब्जी के अलावा आप पूरी को दही या चटनी के साथ भी इसे  खा सकते हैं। ये कम तेल का पराठा आपको नुकसानदायक भी नहीं होगा।

घट स्थापना मुहूर्त:

इस साल नवरात्रि की शुरुआत शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथी 15 अक्टूबर से होने जा रही है। वहीं 23 अक्टूबर, मंगलवार को नवरात्रि समाप्त होगी और 24 अक्टूबर, विजयादशमी या दशहरा का त्योहार मनाया जाएगा। देखा जाये तो प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 14 अक्टूबर की रात 11:24 मिनट से हो रही है, और  15 अक्टूबर की दोपहर 12:32 बजे तक ये तिथि रहेगी। इसलिये  उदया तिथि के अनुसार कलश स्थापना 15 अक्टूबर को ही होगा। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर सुबह साढ़े 6 बजे से 8.47 तक है।

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