Saturday, 30 November 2024

Religion and Science : मंदिर के बाहर क्यों उतारे जाते हैं जूते चप्पल, जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

Religion and Science : सनातन धर्म में मंदिर (Temple) जाने की परंपरा है। मंदिर जाकर श्रद्धालु (Devotees) मंदिर (Temple) के बाहर…

Religion and Science : मंदिर के बाहर क्यों उतारे जाते हैं जूते चप्पल, जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

Religion and Science : सनातन धर्म में मंदिर (Temple) जाने की परंपरा है। मंदिर जाकर श्रद्धालु (Devotees) मंदिर (Temple) के बाहर ही अपने जूते चप्पल उतार देते हैं। इसके बाद मंदिर में प्रवेश करते वक्त घंटा बजाते हैं। यदि आरती का वक्त हो रहा है तो सभी श्रद्धालु (Devotees)  दीपक के ऊपर हाथ घुमाकर आरती लेते हैं। इन सबके पीछे जहां धार्मिक मान्यता होती है, वहीं वैज्ञानिक कारण भी है। आइए जानते हैं इस बाबत रोचक जानकारी…

जूते चप्पल मंदिर के बाहर क्यों उतारते हैं
मंदिर में प्रवेश नंगे पैर ही करना पड़ता है, यह नियम दुनिया के हर हिंदू मंदिर में है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि मंदिर की फर्शों का निर्माण पुराने समय से अब तक इस प्रकार किया जाता है कि ये इलेक्ट्रिक और मैग्नैटिक तरंगों का सबसे बड़ा स्त्रोत होती हैं। जब इन पर नंगे पैर चला जाता है तो अधिकतम ऊर्जा पैरों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाती है।

दीपक के ऊपर हाथ घुमा कर आरती लेने का कारण
आरती के बाद सभी लोग दिए पर या कपूर के ऊपर हाथ रखते हैं और उसके बाद सिर से लगाते हैं और आंखों पर स्पर्श करते हैं। ऐसा करने से हल्के गर्म हाथों से दृष्टि इंद्री सक्रिय हो जाती है और बेहतर महसूस होता है।

मंदिर में घंटा लगाने का कारण
जब भी मंदिर में प्रवेश किया जाता है तो दरवाजे पर घंटा टंगा होता है जिसे बजाना होता है। मुख्य मंदिर (जहां भगवान की मूर्ति होती है) में भी प्रवेश करते समय घंटा या घंटी बजानी होती है, इसके पीछे कारण यह है कि इसे बजाने से निकलने वाली आवाज से सात सैकेंड तक गूंज बनी रहती है जो शरीर के सात हीलिंग सेंटर्स को सक्रिय कर देती है।

गर्भ गृह के बीचों-बीच मूर्ति की स्थापना
मंदिर में भगवान की मूर्ति को गर्भ गृह के बिल्कुल बीच में रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर सबसे अधिक ऊर्जा होती है जहां सकारात्मक सोच से खड़े होने पर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा पहुंचती है और नकारात्मकता दूर भाग जाती है।

परिक्रमा का वैज्ञानिक कारण
हर मुख्य मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने के बाद परिक्रमा करनी होती है। परिक्रमा 8 से 9 बार करनी होती है। जब मंदिर में परिक्रमा की जाती है तो सारी सकारात्मक ऊर्जा, शरीर में प्रवेश कर जाती है और मन को शांति मिलती है।

पंडित रामपाल भट्ट, भीलवाड़ा

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