Friday, 15 November 2024

दर्शन कर लो जी, प्रभात फेरी आई है

Noida News : श्री गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक मास की 15 नवंबर को हुआ था।  श्री गुरु…

दर्शन कर लो जी, प्रभात फेरी आई है
Noida News : श्री गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक मास की 15 नवंबर को हुआ था।  श्री गुरु नानक देव सिखों के प्रथम गुरु हैं। जन्म से ही वे बहुत शांतिप्रिय, विनम्र प्रवृत्ति अद्भुत रूपवान  थे।  उनके जन्म के समय ही पंडितों ने कह दिया था कि आपके घर में एक  अलौकिक बालक का जन्म हुआ है। वे परमात्मा की ही खोज में  लगे  रहते थे। उनके ही वचन हैं कि परमात्मा तो सब जीवों के भीतर ही है, उनसे प्यार ही परमात्मा से असली प्यार है। उन्होंने ही गुरु ग्रंथ साहिब की रचना की।  युवावस्था में ही उन्होंने केसरिया बाना धारण कर लिया था वे अपने शिष्यों के साथ विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण करते उन्होंने संपूर्ण समाज को यह सीख दी  ‘एक ओंकार’ यानि ईश्वर एक है उसको मानने के हालांकि रास्ते सबके अपने-अपने और अनेक हैं। इसलिए किसी भी धर्म के लोगों को किसी पर दबाव नहीं बनाना चाहिए कि वे उनके धर्म को ही माने।  15 नवंबर उनके जन्म की तिथि यानी गुरु पर्व से 11 और 21 दिन पहले ही गुरुद्वारों से प्रभात फेरियों की शुरुआत होती है। यानी सुबह 4 बजे के बाद जो समय है वह प्रभात का है और फेरी का मतलब होता है आस-पास घूमना। श्रद्धालु निशान साहिब को लेकर प्रभात फेरी लेकर निकलते हैं।
Anjana Bhagi

सनातन धर्म में  कार्तिक मास पूरे वर्ष का सबसे पावन मास है। कार्तिक मास में सूर्योदय से पहले स्नान करने से 100  यज्ञों को करने से जो  पुण्य की प्राप्ति होती है वह सूर्योदय से पहले कार्तिक  स्नान से प्राप्त होती है। हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार इस मास में ही भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से बाहर आते हैं और उसके साथ ही होती है त्योहारों की शुरुआत । करवा चौथ, अहोई अष्टमी, दीपावली, भाई दूज, तुलसी विवाह, कार्तिक स्नान इत्यादि। आज कलयुग में भी समाजसेवी, धार्मिक लोग, तथा परिवर के बड़े कार्तिक मास के महत्व को बनाये हुए हैं।

एनइए के अध्यक्ष विपिन मलहन के अनुसार दीपावली की उमंग के बाद एकदम से सब कुछ शांत सा ना हो जाए इसलिए नोएडा में भी वाद्य यंत्रों को बजाते गाते  कार्तिक प्रभात फेरिया शुरू की जाती हैं इसमें सभी लोग सुबह उठकर मंदिर जाते हैं मंदिर से हनुमान जी की पतका लेकर सबसे आगे महंत चलते हैं उसके पीछे ढोलक छेने, मृदंग बजाते गाते श्रद्धालु। प्रभात फेरी को अपने घर बुलाने वाले परिवार रात से ही तैयारी शुरू करते हैं। बच्चे, बड़े, युवा सब मिलकर प्रसाद की थैलियों की पैकिंग करते हैं। बच्चे प्रसाद के समान में से कुछ उठाकर प्रसाद जूठा ना कर दें  बड़े बार-बार समझाते हैं। इससे बच्चों व युवाओं में संयम आता है। बच्चे व युवा सोशल मीडिया भूल कर पहले प्रभात फेरी फिर गुरु पर्व की तैयारियों में मिलजुल कर काम करना सीखते हैं। मजबूत रिश्ते दोस्त बनते हैं।

पंजाबी समाज के मीडिया प्रभारी मनिंदर सिंह सेक्टर-12 में रहकर गए अब वर्षों से सेक्टर-76 में रहते हैं पर आज भी दोस्तों के साथ सेक्टर-12 में ही गुरु पर्व मनाते हैं। जिस घर में प्रभात फेरी जानी होती है वहां उनके आस-पड़ोस से पड़ोसी मदद के लिए आते हैं। फोटो वीडियो में वे सुंदर लगें तो युवा बच्चे सुबह ही कार्तिक स्नान भी कर लेते हैं। प्रभात फेरी लाने वाले भी आसपास के लोग ही होते हैं। जब प्रभात फेरी आपके घर आती है तो सब मिलजुल कर पूजा करते हैं। प्रसाद खाते हैं पंजाबी समाज के महासचिव टीएस अरोड़ा का कहना है कि शहरों में हमें इन उत्सवों का मनाना अत्यधिक आवश्यक है। गांव-देहात में आज भी लोग मिलकर स्वयं सब कुछ करते हैं। इसीलिए वहां वृद्ध आश्रम देखने को भी नहीं है। शहरी संस्कृति कहीं बिगड़ ना जाए इसलिए सभी वरिष्ठ समाजसेवियों का कर्तव्य है कि समाज को संभालते हुए आगे बढ़ाएं। इसीलिए सेक्टर-39 में रहते हुए भी वे समस्त सेक्टरों में धार्मिक व सांस्कृतिक उत्सवों द्वारा लोगों को जोडऩे में प्रयत्नशील रहते हैं। Noida News

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