Bangladesh : बांग्लादेश ने भारत के कोलकाता शहर में अपने उप-उच्चायोग के बाहर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन की कड़ी निंदा की है। इस विरोध प्रदर्शन में आरोप है कि प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेशी राष्ट्रीय ध्वज को जलाया और अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के पुतले को भी फांसी दी। बांग्लादेश ने इसे अपनी राष्ट्रीय गरिमा के खिलाफ एक गंभीर कदम करार देते हुए भारत से इस घटना पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
प्रदर्शन के कारण
यह हिंसक प्रदर्शन 28 नवंबर 2024 को बोंगियो हिंदू जागरण मंच द्वारा आयोजित रैली के दौरान हुआ। यह मंच बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ कथित हमलों और चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के विरोध में सक्रिय है। चिन्मय कृष्ण दास, जो अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना सोसायटी (इस्कॉन) के पूर्व सदस्य हैं, को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसकी वजह से बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में हिंदू समुदाय द्वारा विरोध प्रदर्शन किए गए।
प्रदर्शनकारियों द्वारा तोड़े गए सुरक्षा बैरिकेड्स
सूत्रों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स तोड़ते हुए उप-उच्चायोग की सीमा तक पहुंचने की कोशिश की थी। बांग्लादेश ने इस घटना को लेकर भारत से अपील की है कि वह अपने राजनयिक मिशनों और कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, “स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है, लेकिन उप-उच्चायोग के सदस्यों में असुरक्षा की भावना है।”
भारत से सुरक्षा की अपील
29 नवंबर 2024 को बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए भारत सरकार से राजनयिक सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की। मंत्रालय ने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भारत को आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए।
अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता
भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा को लेकर चिंता व्यक्त की है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों और उनके पूजा स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया। हाल के महीनों में बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं, खासकर जब से प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद से स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी
बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शन की शुरुआत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद हुई थी। उनके खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगाया गया था, और अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद बांग्लादेश के विभिन्न शहरों में हिंदू समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया, जो अब तक जारी हैं।