विनय संकोची
Health : सेम (Beans) एक बेल है, जिस पर फलियां लगती हैं और इन फलियों की सब्जी बनाकर खाई जाती है। दुनिया के करीब सभी भागों में उगाई जाने वाली सेम की फलियां स्वादिष्ट और पुष्टिकारक होती हैं। आयुर्वेद में सेम की फली के औषधीय गुणों का उल्लेख है। आयुर्वेद ने सेम की फली को शीतल, मधुर, गरिष्ठ, बलकारी, वातकारक, दीपन, दाह जनक तथा पित्त-कफ का नाश करने वाली बताया है। सेम के बीज में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो इसे पौष्टिक बनाते हैं। सेम की अनेक किस्में होती हैं, लेकिन सबसे अधिक महत्व ‘किडनी सेम’ (Kidney Beans) को दिया जाता है।
सेम की फली में कॉपर(Copper), जिंक (Zinc), आयरन (Iron), मैग्नीशियम (Magnesium), सोडियम (Sodium), मैग्नीज(Manganese), सेलेनियम(Manganese), थायमीन(Thiamine), नियासिन(Niacin), फॉस्फोरस(Phosphorous), कैल्शियम(Calcium) और प्रोटीन (Protein) पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें 43% कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates)और 100% प्रोटीन(Protein) होता है। लैबलैब परपूरियस वानस्पतिक नाम वाली सेम को अंग्रेजी में फ्लैट बीन, संस्कृत में निष्पाव, वल्लक व श्वेत शिवंबिका, हिंदी में सेम, गुजराती में ओलीया, तमिल में मोचै, तेलुगु में अनुमुलु, बंगला में मखानसिम, मराठी में पाओटे और मलयालम में अमारा कहते हैं।
आइए जानते हैं हरी सेम लता की फलियों के गुण व उपयोग के बारे में-
• शरीर में कॉपर की कमी होने से थकान, एकाग्रता में कमी, खराब मनोदशा जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। सेम की फली के सेवन से शरीर में तांबे की कमी को दूर कर चुस्त-दुरुस्त, एकाग्र चित्त और प्रसन्न रहा जा सकता है।
• सेम की फली दिल को स्वस्थ रखने में सहायता करती है। सेम की फली में मौजूद विटामिन बी1 एक न्यूरोट्रांसमीटर की तरह काम करता है, जो तंत्रिकाओं से मांसपेशियों तक संदेश भेजने में सहायक है। दिल इन संदेशों-संकेतों पर निर्भर रहता है। सेम की फली के सेवन से हृदय को स्पष्ट संकेत मिलते हैं, जिससे उसे मजबूती मिलती है।
• कैल्शियम और फास्फोरस से भरपूर सेम की फली के सेवन से दांतों की कठोर संरचना बनाने में सहायता मिल सकती है। इसमें मौजूद विटामिन-डी मसूड़ों की सूजन को कम करने में मददगार है।
• सेम की फली के सेवन से मांसपेशियों की ऐंठन-अकड़न को कम किया जा सकता है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम क्षतिग्रस्त मांसपेशियों की मरम्मत करने के साथ ही उर्जा भी प्रदान करता है।
• सेम की फली में पाया जाने वाला अमीनो एसिड हार्मोन को संतुलित कर चिंता का उपचार करने में सहायता करता है। सेम की फली के सेवन से शांत रहने में मदद मिल सकती है।
• आयरन की कमी से शरीर में अनेक प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाते हैं। आयरन की कमी से शरीर में रक्त की अल्पता भी हो सकती है। सेम की फली के सेवन से आयरन की कमी को पूरा करने में सहायता मिल सकती है।
• सेम की फली के सेवन से अनिद्रा की परेशानी से छुटकारा मिल सकता है। सेम की फली में मौजूद मैग्नीशियम अनिद्रा के लक्षण को कम कर सकता है।
• सेम की फली के सेवन से अपच, कब्ज और सूजन रोकने में मदद मिल सकती है। इसमें मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को मजबूती प्रदान करता है।
• सेम की फली में मौजूद सेलेनियम, मैग्नीशियम और जिंक फेफड़ों को विकारों से दूर रखने में सहायता करते हैं।
• सेम की फली के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे बार-बार होने वाले रोगों के हमलों से बचा जा सकता है।
• सेम के बीजों का काढ़ा बनाकर 15 से 30 मिलीलीटर काढ़े में 1 ग्राम सोंठ मिलाकर पीने से बुखार लाभ होता है।
• सेम की फली के सेवन से श्वसन प्रक्रिया को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है।
जरूरी बात : सेम की फली का सेवन खूब अच्छी तरह पकाए बिना नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान सेम का अधिक सेवन हानिकारक होता है। सेम पचने में भारी होती है, अतः इसका जरूरत से ज्यादा सेवन उचित नहीं है।
विशेष : यहां सेम की फली के गुण और उपयोग के बारे में विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है। यह सामान्य जानकारी चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प नहीं है। इसलिए हम किसी उपाय अथवा जानकारी की सफलता का दावा नहीं करते हैं। रोग विशेष के सेम की फली को औषधि रूप में अपनाने से पूर्व योग्य चिकित्सक/आयुर्वेदाचार्य/आहार विशेषज्ञ से परामर्श अत्यंत आवश्यक है।