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International News : विश्व में हर साल 7 लाख से ज्यादा लोग करते हैं सुसाइड

Greater Noida News

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देश में युवाओं को आजकल कई तरह की समस्याएं होती है जिसमें सबसे अधिक डिप्रेशन माना जाता है। इसको लेकर कई तरह से काबू करने की कोशिश जारी है। युवाओं में सहनशीलता खत्म होती जा रही है जिसके चलते उनके जीवन पर इसका काफी असर पड़ रहा है। इसको काबू करने के लिए कई तरह का सुधार किया जा चुका है। परिवार में निजी दिक्कतों के कारण युवाओं के दिमाग पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इसको कई बार युवा झेलने में असमर्थ रहते हैं। देश में 15 सै 19 आयु के युवाओं में मौत की सबसे बड़ी वजह आत्महत्या बताई गई है। देश में लगभग 7 लाख से अधिक लोग आत्महत्या से अपनी जान देते हैं। इसमें से 77 फीसदी मामले निम्न और मध्यम आय वाले देशों से मिलते हैं जहाँ बड़ी आबादी को कई तरह का तनाव है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कीटनाशक पीकर, फांसी लगाकर और खुद को गोली मारकर सुसाइड कर लेते हैं। माना जाता है कि ऐसे लोग इसको नियंत्रण कर सकते हैं।

W.H.O. के  अनुसार आत्महत्या की वजह से में डिप्रेशन और अल्कोहल का इस्तेमाल करना है। आर्थिक तंगी, रिलेशनिशप का टूटना और बीमारियां की इसकी वजह बनती जा रही है।

आत्महत्या के मामलों में कैसे किया जाए काबू

मुम्बई के ग्लोबल अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट सायकियाट्रिस्ट डॉ. संतोष बांगर बताते हैं कि आत्महत्या के मामलों में कुछ हद तक रोक लगाई जा सकती है। आत्महत्या से पहले कुछ खास लक्षण पाएं जाते हैं जिनको समझकर रोक सकते हैं। मिसाल के तौर पर वे किसी समस्या को लेकर लगातार सोचते जा रहे हैं। आत्महत्या करने का इरादा कर रहे हैं या फिर आत्महत्या करने के तरीके खोजने की कोशिश कर रहे हैं। वे स्वंय को दूसरों पर बोझ समझना शुरु कर देते हैं। इसके अलावा कम समय में वसीयत तैयार कराने की योजना बनाना, गुडबॉय मैसेज लिख कर देना, हमेशा डिप्रेशन में रहना शुरु कर देना, फोन न उठाना, खुद को सबसे अलग करना भी चेतावनी देने वाले लक्षण हो सकते हैं।

आप के आसपास कुछ लोगों मे ऐसे लक्षण पाया जा सकता है जिसको अनदेखा करने की गलती बिल्कुल न करें। उनसे बात करने का प्रयास करें। उनकी बात को समझने की कोशिश कर सकते हैं। उनकी समस्याओं को सुनकर कई हल निकाले। इससे उनका ध्यान बटाने में मदद मिल सकती है और आत्महत्या का खतरा कम हो जाता है।

W.H.O  के मुताबिक आत्महत्या के मामलों को काबू करने के लिए कीटनाशक, बंदूक और कुछ खास दवाओं का सेवन करने वाली दवाओं को सबकी पहुँच से काफी दूर रखने का प्रयास करना चाहिए। शुरुआती लक्षण को समझकर व्यव्हार में बदलाव आने पर ऐसे मामलों पर रोक लगाई जा सकती है।

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