नई दिल्ली। नगर निगम चुनाव के दौरान कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं MCD चुनाव में स्टार प्रचारक अलका लांबा ने भाजपा और आम आदमी पार्टी पर जमकर हमला बोला है। कहा, बाल अधिकार आयोग ने पाया है कि नॉर्थ एमसीडी ने 17 महीने से स्कूली बच्चों को सूखा राशन नहीं बांटा।
कहा, दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के निदेशक (शिक्षा) को उसके स्कूलों में मध्याह्न भोजन के रूप में सूखा राशन आवंटित नहीं करने पर नोटिस जारी किया। नॉर्थ एमसीडी ने अपने 700 स्कूलों में लाखों बच्चों को मध्याह्न भोजन के रूप में सूखा राशन वितरित नहीं किया है। यह बच्चों के अधिकारों का घोर उल्लंघन है। बकौल अलका, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राशन वितरण के लिए एक समान नीति विकसित करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महामारी प्रतिकूल न हो। यह बेहद दुर्भाग्य की बात है कि दिल्ली सरकार पिछले साल तीन महीने और नॉर्थ एमसीडी नौ महीने तक कोई भी मिड-डे मील अनाज लेने में विफल रही।
दिल्ली रोज़ी रोटी अधिकार अभियान (DRRAA) ने कहा कि 282 स्कूलों में से 62 को राशन के वितरण बिंदु के रूप में नामित किया गया था और कोई भी स्कूल राशन वितरित नहीं कर रहा था। एमसीडी और दिल्ली सरकार ने कभी स्वीकार नहीं किया कि वे खाद्य सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहे हैं जो लोगों की बुनियादी जरूरत है।
लांबा ने भाजपा से सवाल दागा, हर साल स्कूलों में सूखे राशन के वितरण के लिए करोड़ों रुपये का बजट आवंटन होने के बावजूद क्या वजह है कि राशन वितरित नहीं हो पाया? राशन के लिए आवंटित बजट कहा गया? राशन वितरण के लिए जिम्मेदार विभाग और फर्म पर क्यों कारवाई नही की गयी? देश भर में डबल इंजन की सरकार का ढोल पिटनेवाली भाजपा इस मुद्दे पर अपने धोका पत्र में खामोश क्यों है?
अलका ने AAP पर सवाल खड़े करते हुए कहा, केजरीवाल और उनके चहेते शराब घोटाले में आरोपित मंत्री मनीष सिसोदिया रोजाना दिल्ली के शिक्षा मॉडल पर खुद की पीठ थपथपाते हैं। फिर क्या कारण है जो दिल्ली सरकार महिनों तक सूखे राशन को ले नही पायी और वितरण में विफल रही? विदेशी अखबारों में अपनी तारीफों के लेख छपवाने वाले केजरीवाल क्या अपनी सरकार की इस गंभीर विफलता पर भी कोई लेख न्यू यॉर्क टाइम्स में छपवायेंगे? क्यों गरीब बच्चों के सेहत और भविष्य से खिलवाडं किया जा रहा है?
अलका लांबा ने MCD स्कूलों में सूखे राशन के वितरण की विफलता को “राशन घोटाले” का नाम देते हुए इसकी दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में कड़ी जाँच की मांग की है।