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रामशरण नागर के बसपा छोडऩे के लगाए जा रहे हैं कई मायने

ग्रेटर नोएडा/दादरी। पिछले दो दशक से भी अधिक समय से बहुजन समाज पार्टी से जुड़े रहे प्रमुख नेता व बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रामशरण नागर ने बसपा को अलविदा कह दिया है। श्री नागर के इस फैसले को बसपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

सर्वविदित है कि रामशरण नागर वर्ष-1995 से बसपा के सक्रिय कार्यकर्ता थे। इस बीच वे जिला पंचायत सदस्य समेत अनेक पदों पर रहे। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पद के तौर  पर उनके कार्यकाल की सभी सराहना करते हैं। श्री नागर दादरी क्षेत्र से दो बार विधायक रहे बसपा के वरिष्ठ नेता सतबीर सिंह गुर्जर के बहनोई भी हैं। उनके बसपा छोडऩे के अनेक राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। क्षेत्र में इस विषय को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।

उन्होंने कल अपना त्याग-पत्र पार्टी नेतृत्व को भेज दिया है। त्याग-पत्र में उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वे 1995 से बसपा से जुड़े हैं। लेकिन पिछले 3-4 सालों से पार्टी के पश्चिमी उप्र प्रभारी गौतमबुद्धनगर के कार्यकर्ताओं की लगातार घोर उपेक्षा कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं का कोई मान-सम्मान पार्टी में नहीं है। प्रभारी व जिला नेतृत्व कार्यकर्ताओं की बातें को शीर्ष नेतृत्व तक नहीं पहुंचाते।
श्री नागर ने कहा कि चुनाव में भी उन्हें ही प्रत्याशी बनाया जाता है जो धन-बल पर टिकट लेते हैं। इसलिए पार्टी 3 विधानसभा व एक लोकसभा का चुनाव हार गई है। जिले में पार्टी का ग्राफ लगातार गिर रहा है। जिला एवं विधानसभा स्तर पर कोई मासिक बैठक भी नहीं होती है। इसलिए वह पार्टी छोड़ रहे हैं।

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