Afghanistan News: हाल – ए – अफगानिस्तान
विनय संकोची अफगानिस्तान में तालिबान का असली और बर्बर चेहरा सामने आने लगा है। तालिबान से हर अफगानी परेशान है।…
चेतना मंच | September 28, 2021 5:34 AM
विनय संकोची
अफगानिस्तान में तालिबान का असली और बर्बर चेहरा सामने आने लगा है। तालिबान से हर अफगानी परेशान है। कुछ लोग हैं जो अफगानिस्तान में रहकर तालिबान के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, लेकिन तालिबानी क्रूरता की नई कहानी लिखकर लोगों में खौफ पैदा कर रहे हैं। तालिबानी पुलिस ने पश्चिमी अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में 4 कथित अपहरणकर्ताओं को पहले तो दिनदहाड़े सरेआम गोली मारी और फिर उनके शवों को क्रेन से सारे चौराहों पर घंटों लटकाए रखा। इसी के साथ तालिबान ने ऐलान किया कि इस तरह की सजा दी जाती रहेंगी ताकि लोग गलत काम करने से पहले सौ बार सोचें।
तालिबान की पुलिस ने ख्वाहान जिले में एक छोटे बच्चे पर सरेआम कोड़े बरसाए। जिस समय यह क्रूरता हो रही थी, भारी संख्या में लोग वहां बेबस खड़े थे। किसी में हिम्मत नहीं थी कि मासूम बच्चे को बचा सके। तालिबान की जालिमाना हुकूमत में अपनी मर्जी से कुछ कहने, कुछ करने की इजाजत नहीं होती है। यही नहीं महिलाओं को सरेआम पीटा जा रहा है उन पर कोड़े बरसाए जा रहे हैं। तालिबानियों की तरफ से महिलाओं को फांसी पर भी लटका दिया गया। पुरुषों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है।
जब तक तालिबान का शासन है, तब तक अफगानिस्तान के लोगों को क्रूर सजाओं के डर के साए में ही जीना होगा। हालांकि शुरू में तालिबान ने कहा था कि शरिया कानून लागू किया जाएगा, लेकिन अब तालिबानी नेता मुल्ला नूरद्दीन तुराबी ने ऐलान कर दिया है कि अफगानिस्तान में पुरानी तालिबान सरकार के दौरान दी जाने वाली क्रूर सजाओ को फिर से शुरू किया जाएगा। यह स्थिति तो तब है जबकि तालिबान पिछले कार्यकाल की तुलना में नरम शासन का वादा करता रहा है।
तालिबान अपने असली रंग में आने लगा है। इसका उदाहरण अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत में हज्जामों को दिए एक आदेश के रूप में देखा जा सकता है। तालिबानी आतंकवादियों ने प्रांत में हज्जामों पर शेविंग करने या दाढ़ी काटने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसी के साथ यह भी हुक्म जारी किया है कि सैलून के अंदर संगीत या अन्य धार्मिक गीत ना बजाए जाएं। जाहिर है इस आदेश का पालन न करने वालों को कड़ी से कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।
तालिबान राज्य में महिलाओं की तो और भी बुरी स्थिति है। 1990 में शासन के दौरान तालिबान ने लड़कियों और महिलाओं को स्कूल जाने और नौकरी करने से रोक दिया था। इस बार भी तालिबान अपने उन्हीं कानूनों को लागू कर रहा है। शिक्षा का क्षेत्र हो या व्यापार का महिलाओं पर एक बार फिर पाबंदियां लग रही हैं। तालिबान ने लड़कियों से एक बार फिर शिक्षा का अधिकार छीन लिया है। लड़कियों के माध्यमिक शिक्षा हासिल करने पर पाबंदी लगा दी गई है।
तालिबान ने एक नया मंत्रालय बनाकर महिला अधिकारों पर पाबंदी का नया रास्ता निकाला है। इस मंत्रालय का नाम है – “सदाचार प्रचार एवं रोकथाम मंत्रालय”। इसके माध्यम से तालिबान महिलाओं के सार्वजनिक जीवन पर पाबंदी लगाने वाला है। यदि ऐसा होता है तो महिलाएं घर में कैद होकर रह जाएंगी। तालिबान ने विश्व बैंक के दस करोड़ डॉलर के महिला आर्थिक सशक्तिकरण एवं ग्रामीण विकास कार्यक्रम को भी बंद कर दिया है। अफगानी महिलाएं और बालिकाऐं तालिबानी आदेशों से हतप्रभ और आशंकित हैं। इस बीच तालिबान ने दावा किया है कि पूरी दुनिया जल्द ही तालिबान को मान्यता देगी। तालिबान कुछ भी कहे लेकिन अफगानिस्तान के आज के हालातों में यह संभव नहीं दिखता है।