आगामी 28 अक्टूबर 2021 को अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami 2021) है। अहोई अष्टमी का व्रत संतान (child) की सलामती के लिए निर्जल और निराहार रखा जाता है। अहोई अष्टमी के दिन तारों के दर्शन के बाद बाद माताएं व्रत खोलती हैं।
जो लोग नि:संतान हैं और एक यशस्वी संतान की कामना रखते हैं, उनके लिए ये दिन बहुत खास है। मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन यदि ऐसे दंपति राधा कुंड में स्नान करें, तो उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है। राधा कुंड मथुरा से करीब 26 किलोमीटर दूर गोवर्धन परिक्रमा के दौरान पड़ता है। हर साल अहोई अष्टमी के दिन यहां पर शाही स्नान का आयोजन किया जाता है। जानिए पवित्र राधा कुंड से जुड़ी खास मान्यताएं।
हर साल अहोई अष्टमी के मौके पर राधा कुंड में मेले का आयोजन होता है। साथ ही अहोई अष्टमी से पहले की रात में शाही स्नान किया जाता है। मान्यता है कि इस रात्रि में यदि पति और पत्नी संतान प्राप्ति की कामना के साथ इस राधा कुंड में डुबकी लगाएं और अहोई अष्टमी का निर्जल व्रत रखें, तो उनके घर में जल्द ही बच्चे की किलकारियां गूंजने लगती हैं। इसके अलावा जिन दंपति को यहां स्नान के बाद संतान प्राप्ति हो जाती है, वे भी इस दिन अपनी संतान के साथ यहां राधा रानी की शरण में हाजरी लगाने आते हैं और इस कुंड में स्नान करते हैं। माना जाता है कि राधा कुंड में अहोई अष्टमी के दिन स्नान की ये परंपरा द्वापरयुग से चली आ रही है।
माना जाता है कि राधाकुंड की स्थापना द्वापरयुग में अहोई अष्टमी के दिन ही हुई थी। भगवान श्रीकृष्ण ने इस कुंड में रात करीब 12 बजे स्नान किया था इसलिए आज भी यहां अहोई-अष्टमी की मध्य रात्रि में ही विशेष स्नान होता है। हर साल देश-विदेश से आए लाखों भक्त यहां कुंड के तट पर स्थित अहोई माता के मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं और आरती कर कुंड में दीपदान करते हैं। उसके बाद अहोई अष्टमी से पहले की रात में ठीक 12 बजे विशेष स्नान करते हैं और उसके बाद अहोई अष्टमी का निर्जल व्रत संतान प्राप्ति की कामना के साथ रखते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने वालों की कामना जरूर पूरी होती है।
ब्रह्म पुराण व गर्ग संहिता के गिर्राज खंड के अनुसार महारास के बाद श्रीकृष्ण ने राधाजी की इच्छानुसार उन्हें वरदान दिया था कि जो भी दंपत्ति राधा कुंड में अहोई अष्टमी के दिन स्नान करेगा उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। माना जाता है कि कार्तिक मास के पुष्य नक्षत्र में आज भी भगवान श्रीकृष्ण मध्य रात्रि में राधाजी और अन्य सखियों के साथ राधाकुंड में महारास करते हैं।
आचार्य सुरेश सैनी, मथुरा