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Organic farming : जैविक खेती से अंतर्राष्ट्रीय उद्यमी बनने का सुनहरा अवसर, 800 किसानों को जोड़ने का रिकॉर्ड

Organic farming 

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Organic farming : आदमी में काम की लगन हो ,कुछ करने का जुनून हो तो कोई भी कठिन परिस्थितियां व्यक्ति को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। कर्मठता की इस मिसाल का सबूत है एक ऐसी ही छत्तीसगढ़ की महिला जिनका नाम है वेदेश्वरी शर्मा। वेदेश्वरी शर्मा ने गौधन की सेवा करके यानी गाय के गोबर से गाय के मल मूत्र से जैविक खेती कर धान की सुगंधित खेती को एक बड़े उद्यम के रूप में परिवर्तित कर दिया है। यही नहीं अब तो धान से लेकर फल और सब्जियों के जैविक खेती को भी उन्होंने तमाम किसानों में प्रोत्साहित किया है। वेदेश्वरी शर्मा जैविक खेती के लिए एक प्रेरणाश्रोत है जो गोबर और मलमूत्र जैसी चीज को एक उद्यम में परिवर्तित करने की ताकत रखती है। वेदेश्वरि ने अपने जैविक खेती के साथ धान की सुगंधित खेती से लगभग 800 किसानों को अपने साथ जोड़ा है और छत्तीसगढ़ में वेदेश्वरी ने अपनी मेहनत से जैविक खेती की उद्यमी महिला के रूप में अंकित हो चुका है।

 

Organic farming : यही नहीं वेदेश्वरी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जैविक खेती में उद्यम स्थापित करने के लिए स्विट्जरलैंड से लेकर विदेशों तक वह जैविक खेती के लिए विशेष सम्मान पा चुकी हैं।

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आईए जाने, वेदेश्वरी की इस प्रेरणादायक जैविक खेती के प्रेरणादायक पलों में जिससे आप भी गाय के मल मूत्र गोबर से एक बड़े उद्यमी के रूप में स्थापित हो सकते हैं। और किसान भाई जैविक खाद्य और कीटनाशकों का इस्तेमाल कर पोषक आहार जनता को पेश कर अधिक मुनाफा कमा कर उद्यमी बन सकते हैं। आइए जाने वेदेश्वरी ने गोबर के मल मूत्र से कैसे साधारण सी जिंदगी से गुजरते हुए गाय के मल मूत्र से जैविक खेती के क्षेत्र में कैसे एक उद्यमी महिला का दर्जा विश्व स्तर पर प्राप्त कर लिया।

उल्लेखनीय है किसान वेदेश्वरी शर्मा की अगुवाई में सुगंध‍ित धान की जैविक खेती की कारगर परियोजना चल रही है। इसकी सफलता से प्रभावित होकर अब तक 800 किसान इससे जुड़ चुके हैं। इसके फलस्वरूप कोंडागांव इलाके के किसानों में जैविक पद्धति से धान की खेती के साथ फल एवं सब्जी की भी खेती लोकप्रिय होने लगी है. वेदेश्वरी के मुताबिक कि जैविक तरीके से उपजाई गई सुगंधित धान का समूह के किसानों को बेहतर मूल्य भी मिलने लगा है।

Organic farming : जैविक खेती का आसान कारोबार

इससे साल दर साल इसकी खेती का रकबा बढ़ रहा है। यह परियोजना राज्य सरकार की देखरेख में चल रही है। सरकार की ओर से बताया गया कि जैविक धान को बेचने के लिए किसानों को अब मंडी और बाजार भटकने की जरूरत नहीं होती है। क्योंकि जैविक उत्पाद को अब स्वास्थ्य की दृष्टि से अधिकतर जी भी दी जा रही है। जैविक उत्पादों का कारोबार करने वाली कंपनियां किसानों से सीधे संपर्क कर उनकी जैविक धान की नकद खरीद कर लेती हैं।

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Organic farming : जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयास

जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए स्थानीय स्तर पर तमामन राज्य स्तर पर कार्य हो रहे हैं, मसलन कोंडागांव में जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए किसान से उद्यमी बनीं वेदेश्वरी शर्मा की अगुवाई में ‘दण्डकारण्य एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी’ के नाम से एफपीओ का गठन किया गया है। यह संगठन एफपीओ स्थानीय प्रगतिशील किसानों द्वारा संचालित है। इसका उद्देश्य खेती को लाभकारी बनाने के साथ किसानों को बाजार की शोषणकारी बिचौलियों के शोषण से बचाया जा सके।
वेंदेश्वरी शर्मा जैविक खेती के बारे में कहती है कि समूह से जुड़े किसान सिर्फ जैविक धान की ही नहीं, बल्कि साग-सब्जी की खेती भी बड़े पैमाने पर करने लगे हैं और स्वास्थ्य की दृष्टि से जैविक खाद्य पदार्थों सब्जियों और अनाज की मांग बढ़ रही है। समूह से जुड़े किसानों को खेती से अधिकतम लाभ दिलाने के लिए खेती में नए नए प्रयोग किए जा रहे हैं। किसने की जैविक खेती को लेकर कोण्डागांव अंचल में फल, सब्जी एवं दलहनी फसलों की खेती की ओर भी और भी दिलचस्प बड़ी है।

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Organic farming : जैविक खेती रोजगार और स्वावलंबन की सूत्रधार

जैविक खेती और गौसेवा के माध्यम से इलाके की हजारों महिलाओं को न सिर्फ इस परि‍योजना से जोड़ा है, बल्कि उनके स्वावलंबन के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
गोधन कि राज्य सरकार की गौठान निर्माण और गोधन न्याय योजना, जैविक पद्धति से सुगंधित धान की खेती करने की इस परियोजना को कामयाब बनाने में मददगार साबित हुई है।
इसमें गाय के गोबर मल मूत्र आदि के बनाए खाद को आज तमाम दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया जा रहा है।

Organic farming : गाय के मल मूत्र से बना जैविक खाद जीवन अमृत के समान

गौशाला में गोबर और गौमूत्र से जैविक खाद, जैविक कीटनाशक और फसल वृद्धि वर्धक जीवामृत तैयार किया जाता है। इसके अलावा गोबर से उपले, दीया, गमला और अन्य सामान भी बनाए जाते हैं। इससे संस्था में काम करने वाली महिलाओं एवं अन्य गौ सेवकों की अतिरिक्त आय होती है।

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Organic farming : जैविक खेती के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की प्रोत्साहन

जैविक खेती प्रदेश के करोड़ों किसानों की समृद्धि का आधार बनेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा प्रदेश को जैविक खेती का हब बनाने का उल्लेख नियम मकसद है। इसके लिए प्रदेश के 63 जिलों के 68 हजार हेक्टेयर रकबे में जैविक फसलें किसने की किस्मत बदलेंगी।

Organic farming : जैविक खेती में गंगा का महत्व

गंगा की अविरलता और निर्मलता के मद्देनजर इसके किनारे के सभी जिलों को इसमें शामिल किया गया है। गंगा के आसपास के जिलों को जैविक खेती के लिए चुना गया है उनमें 36 जिले परंपरागत कृषि जिले हैं और 27 जिले नमामि गंगे परियोजना में शामिल हैं। खेती नियोजित रूप से हो, इसकी बेहतर तरीके से मॉनिटरिंग हो इसके लिए सरकार का एप्रोच क्लस्टर खेती का होगा। हर क्लस्टर 50 एकड़ का होगा।

Organic farming : जैविक खेती के लिए जागरूकता

जैविक खेती का तौर-तरीका इसमें प्रयुक्त होने वाले कृषि निवेशों की जागरूकता के लिए क्लस्टर में शामिल किसानों को जैविक खेती तमाम जानकारी देने की योजना है। जिसमें खेत की तैयारी, हरी खाद का प्रबंधन, नर्सरी की तैयारी, पंचगव्य, जीवामृत, वर्मी कंपोस्ट, जैविक तरीके से कीटों और रोगों के प्रबंधन और वैल्यू एडीशन के लिए किसानों को उत्पाद की सफाई, ग्रेडिंग, पैकेजिंग, लेवलिंग का भी प्रशिक्षण प्रशिक्षण शामिल है सरकार की योजना सभी मंडल मुख्यालयों पर जैविक मंडी खोलने की भी है।

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आप किस हो या ग्रामीण अंचल में रहने वाले या फिर शहरी इलाकों के आसपास के आप भी जैविक खेती को अपने उद्यम का मुख्य माध्यम बन सकते हैं। क्योंकि जैविक उत्पाद हमारे ग्रामीण भारत की मिट्टी से जुड़ा हुआ प्राचीन साधन है। लेकिन केमिकल रसायनों की भरमार के चलते परंपरागत खाद बनाने की व्यवस्था को प्रोत्साहित नहीं किया गया था लेकिन आज नहीं बदलते दौर में हम पुणे अपने प्राचीन भारत की प्राकृतिक संसाधन संसाधनों में जाकर जैविक खेती जैविक खाद जैविक कीटनाशक आदि की तरफ बढ़ रहे हैं यही नहीं किसान आपस में संगठन बनाकर परंपरागत खेती को एक उद्यम के रूप में आगे बढ़ने की तरफ तत्पर है। महिला जगत के लिए भी जैविक खेती का कारोबार आप अपने किचन गार्डन से लेकर अपने आसपास के खेत खलियान में कर सकते हैं महिलाओं के लिए जीता जागता उदाहरण है अंतरराष्ट्रीय स्तर की वेद श्वरी शर्मा। जिन्होंने अपनी सफलता का झंडा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 800 किसानों को जोड़कर जैविक खेती में कार्य करने का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है।

मीना कौशिक

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