27 Yogas in astrology : कई बार व्रत पूजा या किसी बड़े अनुष्ठान के समय हम देखते हैं की कोई बेहद शुभ योग बन रहा होता है जैसे प्रीति योग का बनना, आयुष्मान, शोभन योग, शिव योग, शुक्ल या फिर साध्य योग. इन योगों का नाम हम सभी ने सुना है लेकिन इनके बारे में आम लोगों को अधिक नहीं पता है. अब जब ये योग बनते हैं तो इन योगों को बहुत शुभदायक और पूजा उपासना के लिए बेहद ही लाभकारी माना गया है. इसके विपरीत
कुछ अशुभ योग भी हैं जिन्हें विष्कुम्भ, शूल, गण्ड नाम से जाना जाता है और इनके होने पर खराब फलों एवं दुर्घटना इत्यादि की संभावना भी जताई जाती है. तो आज हम जानते हैं की आखिर इन सभी योगों को इतना विशेष क्यों माना गया है. आखिर इन योगों के पीछे का रहस्य क्या है और क्यों इन्हें अच्छा या खराब फलों को देने वाला माना गया है.
27 योग जिनका उपयोग मुहूर्त को बनाने के लिए और सभी प्रकार की भविष्यवाणियों में किया जाता है.
इन सत्ताईस योगों की अपनी अलग – अलग विशेषताएं हैं जो इनके नाम द्वारा भी साधारणत: प्रकट होती है. इसके अतिरिक्त इन योगों में कुछ शुभ योग होते हैं तो कुछ अशुभ योग. यह सभी योग अपने-अपने गुण के अनुसार फल देते हैं लेकिन यदि इनके साथ अन्य स्थितियां भी जुड़ जाती हैं तो इनसे मिलने वाले फलों में बढ़ोत्तरी अवश्य दिखाई देती है.
27 योग का निर्माण सूर्य और चंद्रमा के मध्य होने वाली गणना से होता है. जिस दिन का योग जानना है उस दिन के चंद्रमा के भोगांश को सूर्य के भोगांश से जमा करने के पश्चात इसे आठ सौ से भाग देने पर योग की प्राप्ति होती है.
इन सभी बातों की चर्चा के लिए जरुरी है की ज्योतिष शास्त्र पर ध्यान दिया जाए क्योंकि यह योग विचार ज्योतिष के पंचांग का आधार है.
27 योगों के नाम इस प्रकार हैं
विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यतिपात, वरीयान, परिध, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र, वैधृति
योग
27 योगों में शुभ और अशुभ योग
शुभ योग
प्रीति योग, आयुष्मान योग, सौभाग्य योग, शोभन योग, सुकर्मा योग, धृति योग, वृद्धि योग, ध्रुव योग, हर्षण योग, सिद्धि योग, वरीयान योग, शिव योग, सिद्ध योग, साध्य योग, शुभ योग, शुक्ल योग, ब्रह्म योग, इन्द्र योग
शुभ योगों में आने वाले ये नाम शुभता को दर्शाते हैं. इनकी प्राप्ति से कार्यों में सिद्धि होती है. कोई भी अटका हुआ कार्य पूर्ण हो सकता है. कुछ नया काम आरंभ करना हो या फिर किसी आवश्यकाम को पूरा करने के लिए जाना हो तो उस समय इन योगों का होना बहुत अच्छे परिणाम देने वाला होता है.
अशुभ योग
विष्कुम्भ योग, अतिगण्ड योग, शूल योग, गण्ड योग, व्याघात योग, वज्र योग, व्यतिपात योग, परिध योग और वैधृति योग मुहूर्त के योग है.
अपने नाम अनुसार इन योगों को खराब अशुभ योगों के रुप में देखा जाता है. लेकिन इन योगों की महत्ता इस कारन से कम नहीं होती है, क्योंकि इनकी आवश्यकता उन कार्यों की सिद्धि में होती है जब कोई कठोर काम करने पड़ते हैं. इन योगों की अशुभता भी शुभता में तब बदलती है जब शत्रु का नाश करना होता है. युद्ध में विजय पानी होती है. विवाद में सफल होना पड़ता है. किसी भी प्रकार के कठोर कर्म की सफलता के लिए इन योगों का होना बेहद अनुकूल होता है.
राजरानी