Astro Tips : जीवन के किसी भी कार्य क्षेत्र में हमारे सतत प्रयास और कड़ी मेहनत हमें सफलता की बुलंदियों पर ले जाते हैं लेकिन कभी कभी देखने में आता है कि आप कितनी भी मेहनत कर ले आपके चारों तरफ आपकी कड़ी मेहनत की तारीफ भी हो रही हो लेकिन सफलता नहीं मिल रही, फल कोई और ले जाता है… ऐसे में तब हम यही कहते हैं हे प्रभु हमें कोई ऐसा रास्ता बताएं जो हमारी मेहनत को फल दे… क्योंकि जब बीमारी लाइलाज होती है तो हम डॉक्टर का रास्ता पकड़ते हैं। इसी तरह से हमें अगर अपने जीवन में किसी भी कार्य में तमाम सतत प्रयास करने पर और कड़ी मेहनत करने पर भी रास्ता नहीं मिल रहा तो ज्योतिष में श्री यंत्र की पूजा को ब्रह्मांड के स्वरूप बता कर उसकी महिमामंडित की गई है।
अगर आपको मेहनत के बाद भी कार्य क्षेत्र में सफलता नहीं मिलती तो श्री यंत्र की पूजा अवश्य करें
ज्योतिष के क्षेत्र में प्रकांड पंडित सुरेश पांडे ने श्री यंत्र की पूजा विधान और श्री यंत्र के संरचना पर प्रकाश डाला हैं और बताया है कि श्री यंत्र की पूजा का विधान, किस तरह से हमारी सफलता को प्राप्त करने में निसंदेह सहायक है। हम चलते हैं यह जानने की श्री यंत्र का स्वरूप क्या है और यह कैसे हमें अपने कार्य क्षेत्र में चाहे वह पढ़ाई का हो या राजनीति, इंजीनियरिंग हो या चिकित्सा व्यवसाय हो या फिर हमारी कोई भी अपनी मनोकामना… श्री यंत्र की पूजा विधि विधान से करने पर सफलता की बुलंदियाँ प्राप्त कर सकते हैं. हम आपको बता रहे हैं इस लेख में श्री यंत्र के बारे में विस्तृत जानकारी….
इस जानकारी के साथ हम अपनी कड़ी मेहनत और ऊर्जा और सकारात्मकता के साथ अपने कार्य क्षेत्र में अपने मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए श्रीयंत्र की पूजा को एक चमत्कार के रूप में देख सकते हैं… चलिए जानते हैं श्री यंत्र की संरचना क्या है और कैसे करें श्री यंत्र की पूजा अपनी राशि अनुसार । ये भी जाने श्री यंत्र के बारे में, यह कितने प्रकार के होते हैं किस राशि का स्वामी कौन से श्री यंत्र की पूजा से जल्दी लाभ देगा….
श्रीयंत्र की संरचना…..
Astro Tips श्री यंत्र की संरचना ब्रह्मांड के समान है अगर हम गौर करें तो मनुष्य की संरचना भी ब्रह्मांड के समान है । जिस तरह से ब्रह्मांड में नवग्रह होते हैं सातचक्र होते हैं , मनुष्य के अंदर तीन भाग पानी होता है और पृथ्वी में भी तीन भाग पानी है इस तरह से श्री यंत्र की संरचना भी ब्रह्मांड और मनुष्य के समान है। वैज्ञानिक तौर पर भी हम कह सकते हैं प्रकृति के संतुलन और शरीर के संतुलन को बराबर रखकर ही हम अपने स्वस्थ होने का मापदंड रखते हैं और सकारात्मकता प्राप्त करते हैं इसी तरह विद्वानों ने श्री यंत्र की रचना भी की है। श्री यंत्र मेनन त्रिकोण होते हैं जिसमें पांच त्रिकोण बाहर की तरफ होते हैं छह अंदर की तरफ होते हैं कुल मिलाकर 43 त्रिकोण होते हैं बीच में एक मध्य बिंदु होता है जो शिव की मूल प्रकृतियों का द्योतक है। श्री यंत्र में मैग्नेटिक यानी चुंबकीय शक्ति होती है इसी के पूजा द्वारा इन शक्तियों को अपने अंदर प्रवाहित कर लेते हैं, तब हमारा कर्म और वह शक्तियां मिलकर हमारी सफलता को उचित स्थान देती है।
श्री यंत्र के पूजा विधान से जीवन के लाभ
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अगर किसी के जीवन में कुंडली के कारण या ग्रहण के प्रभाव से कितने भी बड़ा राजभंगिया भिक्षु योग हो श्री यंत्र की पूजा से वह भंग हो जाता है और निश्चित रूप से श्री यंत्र की पूजा हमें धनवान बना सकती है, हमें सफलता की बुलंदियों पर ले जा सकती है। कार्य क्षेत्र कोई भी हो जब हम हर काम करके हार कर बैठ जाते हैं ऐसे में हमें शिव की महाशक्ति और लक्ष्मी की महाशक्ति की याद आती है और वहां लक्ष्मी की शक्ति यानी श्री यंत्र की पूजा पूरे विधि विधान के साथ करने से हम राजयोग का सकते हैं हम धनवान बन सकते हैं हम अपने भाग्य को बदल सकते हैं हम अपनी किस्मत को स्वयं बना सकते हैं। लेकिन हमें राशि के अनुसार अलग-अलग श्री यंत्र की पूजा करनी चाहिए। श्री यंत्र कई प्रकार के होते हैं।
श्री यंत्र कितने प्रकार के होते हैं
श्री यंत्र सोना, स्फटिक, पीतल, चांदी आदि का होता है और इसका आकार भी अलग-अलग होता है। जैसे अगर हम लिंगाकर या कछुए की पीठ के आकार के केसरिया यंत्र की पूजा करते हैं तो यह बहुत फल देता है। जबकि तांबे के श्री यंत्र की पूजा का उतना महत्व नहीं होता। श्री यंत्र की पूजा मां लक्ष्मी का व्रत करने वाली महिलाएं कर सकती हैं क्योंकि तांबे के सभी यंत्र को अभिमंत्रित नहीं किया जा सकता। जबकि पारद यानी स्फटिक और सोने के श्री यंत्र का महत्वपूर्ण स्थान है।
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किस समय करनी चाहिए श्री यंत्र की पूजा
श्री यंत्र की पूजा सूर्योदय के बाद और सूर्य उदय से पहले सुबह शाम करनी चाहिए। रात्रि में श्री यंत्र की पूजा का विधान नहीं है।
किस तरह से की जाती है श्री यंत्र की पूजा
श्री यंत्र की पूजा के लिए हमें श्री यंत्र को किसी शुभ दिन जैसे धनतेरस, नवरात्रि ,अष्टमी या शुक्रवार के दिन के बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर अपने पूजा स्थल में चांदी या पीतल की प्लेट में कमल के गट्टे की माला, दूध दही चने मसूर की दाल गंगाजल होली कुमकुम चंदन धूप दीप के साथ , मंत्रो के साथ अभिमंत्रित किया जाता है। दक्षिणावली शंख में दूध और गंगाजल से श्री यंत्र को अभिमंत्रित किया जाता है । हमेशा लिंगाकर श्री यंत्र की पूजा करनी चाहिए या फिर कछुए की पीठ जैसे आकार पर बने श्री यंत्र की पूजा करें।
कहा जाता है जिस घर में प्रतिदिन श्री यंत्र की पूजा होती है वह घर देवालय के समान हो जाता है। उसे घर के व्यक्तियों को कोई कष्ट नहीं होता और गृह में कोई भी संकट लिखा हो तो वह दूर हो जाता है। राज योग के साथ व्यक्ति अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करके अपनी किस्मत को बदल सकता है और धनवान बन सकता है।
राशि के अनुसार श्री यंत्र की पूजा
मिथुन राशि के जातक को चांदी के श्रीयंत्र की पूजा पूरे विधि विधान से करनी चाहिए।
कर्क राशि के जातक अक्षत दूध चीनी से सूर्य यंत्र की पूजा करनी चाहिए और पूर्व भर्ती कछुए की आकार वाले श्री यंत्र को घर में जरूर लाना चाहिए। उसे,एक पीतल की प्लेट में जल, दूध गन्ने के रस, मूंग की दाल के साथ श्री यंत्र को अभिमंत्रित करना चाहिए और इसके साथ ही जटा वाले नारियल की पूजा करके उसे तिजोरी में रखें तो लाभ और जल्दी मिलता है।
अलग अलग श्री यंत्रों की पूजा के फल
अगर हम अष्टधातु के श्री यंत्र की पूजा करें तो वह निश्चित रूप से तमाम दुखों को दूर करके जातक को सकारात्मक सोच देकर सफलता की तरफ ले जाता है, लेकिन अष्ट धातु का श्री यंत्र शुद्ध होना चाहिए यह कठिनाई से बनाया जाता है औसतन सभी अष्ट धातुओं को हाई हीट पर पिघला कर बनाया जाता है। अष्टधातु का श्रीयंत्र काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
स्फटिक का श्रीयंत्र नकारात्मकता को दूर करता है पढ़ाई वाले छात्रों के लिए या पढ़ाई से संबंधित काम वालों के लिए केसरी यंत्र की पूजा का विधान बहुत उपयोगी है। अगर बच्चे श्री यंत्र की पूजा ना कर पाए वह अपने पढ़ाई के के स्थान पर श्री यंत्र रख लें जिस पर उसकी बीच-बीच में निगाह पड़ जाए तो यह श्री यंत्र पढ़ाई की तरफ ध्यान केंद्रित करता है।
सोने से बना श्री यंत्र सबसे उत्तम माना जाता है लेकिन जो इस श्री यंत्र को अभिमंत्रित करता है वही उस श्री यंत्र की पूजा करेगा। इसे सुरक्षित स्थान पर रखकर विधि विधान के साथ पूजा करने से व्यक्ति ऐश्वर्या को प्राप्त करता है।
चांदी का श्री यंत्र बहुत शुभ होता है चांदी के श्री यंत्र की पूजा करने से घर में शुभ कार्यों का प्रयोजन होता है।
चांदी के श्री यंत्र की पूजा फिजूल खर्ची को बचाती है लेकिन इसका बहुत अधिक महत्व नहीं है वैभव मां लक्ष्मी की पूजा करने वाली महिलाएं तांबे के श्रीयंत्र की पूजा कर सकती हैं क्योंकि अगर उन्हें मां लक्ष्मी की पूजा कर ली है तो इसे अभिमंत्रित करने की जरूरत नहीं है क्योंकि तांबे के श्री यंत्र को अभिमंत्रित नहीं किया जाता।
राशि के अनुसार श्री यंत्र की पूजा
कर्क राशि के जातकों को श्री यंत्र के साथ सूर्य यंत्र की भी पूजा करनी चाहिए, लिंग आकार या कछुए की पीठ वाले श्री यंत्र की पूजा दूध चीनी अक्षत से श्री यंत्र को अभिमंत्रित करके करनी चाहिए ,लेकिन जातक को तांबे के यंत्र की पूजा विधान से कोई फायदा नहीं होगा। तांबे का श्री यंत्र का कोई लाभ नहीं देता है।
और जब हम पारे के श्री यंत्र की पूजा करें तो हमें पारे की गुणवत्ता जांचने के लिए अगर हम देखे तो पारे में सोने और चांदी को सोखने की शक्ति होती है, अगर उसे हम सोने से रगड़ दें तो उसका रंग सफेद हो जाता है और उसके सामने चांदी का वर्क लगा दे तो वह उसे पूरी तरह सोख लेता है । यानी हम सोने चांदी से उसके असली होने की परख कर सकते हैं।
सिंह राशि के जातक को धनतेरस नवरात्र या अष्टमी अथवा शुक्रवार के दिन पीतल की थाली में श्री यंत्र रखकर दूध गंगाजल घी के साथ चने की दाल कमल गट्टे की माला के ऊपर श्री यंत्र अभिमंत्रित करके पूजा करनी चाहिए । सिंह राशि के जातक को अपने घर के मुख्य द्वार पर ओम नमो नमः के साथ घी का दीपक जलाना चाहिए। सिंह राशि के जातक कर्म प्रधान होते हैं इन्हें स्फटिक के श्री यंत्र की पूजा करनी चाहिए । इससे मानसिक ऊर्जा मिलती है 100 ग्राम का श्री यंत्र आभामंडल को बढ़ाएगा और श्री यंत्र की महिमा के साथ सिंह राशि के जातक का प्रभाव अपने कार्य क्षेत्र में और अधिक बढ़ेगा।
कन्या राशि के जातकों को शुभ दिन दक्षिणवर्ती शंकर के साथ दूध गंगाजल ही कमल गट्टे की माला आदि के साथ श्री यंत्र की पूजा करनी चाहिए। पूजा के समय चांदी की थाली में श्री यंत्र रखकर श्रीफल को लाल कपड़े मे लपेट कर अपनी तिजोरी में रखना चाहिए इससे रोजगार में लाभ होगा और रोजगार उन्नति की तरफ फलदाई देगा।Astro Tips
तुला राशि के जातक को भी उपरोक्त बताई गई विधि विधान से शास्त्रों के अनुसार किसी कर्मकांडी पंडित से श्री यंत्र को अभिमंत्रित करवा कर कमल गट्टे की माला के साथ नित्य प्रति श्री यंत्र की पूजा करनी चाहिए।इसके साथ ही अगर वह 10 माला मंत्र की कर लें तो इसका फल और भी बहुत लाभप्रद होता है।
वृश्चिक राशि के जातक को बताए गए शास्त्र अनुसार विधि विधान के अलावा मसूर की दाल के साथ श्री यंत्र की पूजा नित्य प्रति करनी चाहिए वृश्चिक राशि के जातक बृहस्पति की पूजा भी कर सकते हैं इससे उन्हें कर्ज से मुक्ति मिलेगी मन शांत रहेगा और अमीर बनने के योग बनेंगे।
धनु राशि के जातक को पीतल या चांदी की थाली में श्री यंत्र को शुक्रवार के दिन रखकर पीले फूलों के साथ ओम श्री ओम श्री ओम नमो के मित्रों के साथ श्री यंत्र को अभिमंत्रित करना चाहिए इससे धनु राशि के जातकों को अपने कारोबार में अपार लाभ होगा वह जिस क्षेत्र में भी है अपनी कड़ी मेहनत का फायदा उठा सकेंगे ।
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मकर राशि के जातकों को अपराजिता के के फूलों के साथ उड़द की दाल के सोने दाने लेकर लाल कपड़े में नारियल रखकर श्री यंत्र की पूजा उपरोक्त बताए गए विधि विधान के साथ पूजा करके अभिमंत्रित करना चाहिए और बाद में उसे नारियल को लाल कपड़े मे लपेट कर अपनी तिजोरी में रख देना चाहिए। श्री यंत्र को चांदी या पीतल की थाली में रखकर ही पूजना चाहिए इससे चमत्कारी लाभ होगा।
Astro Tips यक्ष अक्षरी केचमत्कारी मंत्र अगर लगातार 21 दिन से गुप्त रूप से कर ले कमल रोली चावल आदि से श्री यंत्र की पूजा करके विधि विधान से अपनी सफलता के लिए प्रभु से कामना करें तो निसंदेह फल प्राप्ति होती है लेकिन यह न हो कि आप जो पूजा कर रहे हैं उसके बारे में सभी को बताएं। गुप्त मंत्र फलदाई होता है। हो सके तो अकेले में बैठकर घर में दरवाजा बंद करके या अकेले में बैठकर यह पूजा की जा सकती है।
निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं की लक्ष्मी जी के अति प्रिय ब्रह्मण स्वरूप श्री यंत्र की पूजा करके हम अपनी मेहनत अपने कर्म को ईश्वर की कृपा से उसका निश्चित रूप से फल दे सकते हैं। श्री यंत्र कठिन से कठिन परिस्थितियों से हर प्रकार हमें राज योग देने और अमीर बनाने में कारगर और चमत्कारी उपाय है।
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मीना कौशिक