10 साल बाद भी सुर्खियों में ‘लालू यादव’, उम्र में सिर्फ 6 साल का फर्क

बिहार में बड़े राजनीतिक गठबंधनों के बीच सीटों के बंटवारे पर सहमति न बनने के बावजूद चुनावी प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है। पहले ही दिन एक ऐसा नाम सामने आया जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। सारण की मढ़ौरा विधानसभा सीट से पर्चा दाखिल करने वाले लालू प्रसाद यादव ने सभी को चौंका दिया। ध्यान रहे, यह वही लालू नहीं हैं जो राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख हैं और बिहार के प्रतिष्ठित यादव परिवार से जुड़े हैं। Bihar Elections 2025
यह ‘नकली लालू’ कहलाने वाले लालू प्रसाद यादव असली लालू यादव के संसदीय क्षेत्र सारण के ही रहने वाले हैं। 2025 के बिहार चुनाव में उनके हलफनामे के अनुसार, वह मढ़ौरा थाने के जादो रहीमपुर गांव के निवासी हैं। शुक्रवार को उन्होंने मढ़ौरा सीट से अपना नामांकन दाखिल कर इस विधानसभा क्षेत्र के पहले उम्मीदवार बनने का रिकॉर्ड भी दर्ज कर लिया। दिलचस्प यह है कि 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ते समय उनकी उम्र 39 साल थी, जबकि अब, 2025 में, उनकी उम्र केवल 45 साल बताई गई है—यानी 10 साल में सिर्फ 6 साल की बढ़ोतरी! Bihar Elections 2025
नकली लालू यादव का चुनावी अनुभव
राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी के टिकट पर मढ़ौरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले लालू प्रसाद यादव ने अपने हलफनामे में साफ-साफ कहा है कि उन पर किसी प्रकार का कोई आपराधिक मामला नहीं चल रहा है। हलफनामे के मुताबिक उनके पास 50 हजार रुपये नकद हैं, जबकि उनकी पत्नी सुग्गी देवी के पास 20 हजार रुपये कैश है। इसके अलावा उनके पास 40 हजार रुपये कीमत की बाइक और 6 लाख रुपये की कार भी है। बैंक में जमा राशि 10 हजार रुपये है। कुल मिलाकर उनकी संपत्ति लगभग 7 लाख रुपये की है। जहां लालू यादव के पास कोई जेवर नहीं है, वहीं उनकी पत्नी के पास 5 लाख रुपये के सोने और 1.40 लाख रुपये के चांदी के जेवर हैं। Bihar Elections 2025
कुल मिलाकर परिवार की संपत्ति करीब 6.60 लाख रुपये की आंकी गई है। शिक्षा की दृष्टि से देखें तो लालू ने 1997 में मढ़ौरा के जवाहरलाल नेहरू कॉलेज से 12वीं परीक्षा दूसरी श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। 2025 में दाखिल हलफनामे के अनुसार उनकी उम्र 45 साल है। यह पहली बार नहीं है जब ‘नकली लालू’ ने चुनावी मैदान में कदम रखा हो। उनके चुनावी अनुभव की शुरुआत साल 2001 में वार्ड पार्षद के चुनाव से हुई थी, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद भी वह कई बार चुनाव में उतरे, लेकिन सफलता का स्वाद उन्हें अभी तक नहीं चख सका। Bihar Elections 2025
2014 में ‘निर्दलीय लालू’ का खेल
2025 के चुनाव से पहले लालू प्रसाद यादव ने 2014 के लोकसभा चुनाव में सारण से अपनी किस्मत आज़माई थी। यह वही सीट है जहां असली लालू प्रसाद यादव ने 1977 में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी और जीत हासिल की थी। हालांकि, असली लालू यादव पर भ्रष्टाचार के कई मामले चल रहे थे और चारा घोटाला मामले में दोषसिद्धि के बाद उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराया गया था। ऐसे में 2014 में राष्ट्रीय जनता दल ने राबड़ी देवी को सारण से चुनाव मैदान में उतारा।
उसी चुनाव में ‘दूसरे लालू’ ने भी नामांकन दाखिल किया, लेकिन उन्होंने अपनी पहचान बदलकर ‘लालू राय’ के नाम से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में कदम रखा। यह घटना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी थी, क्योंकि नाम और इलाके की समानता ने कई मतदाताओं और मीडिया की रुचि खींची थी। लालू राय के इस कदम ने साबित कर दिया कि राजनीति में नाम और पहचान का कितना बड़ा महत्व होता है।
यह भी पढ़े: ‘अघोषित इमरजेंसी’ या फेसबुक की नीति? अखिलेश का पेज ब्लॉक होने पर बवाल
राबड़ी के खिलाफ ‘नकली लालू’ का संघर्ष
2014 के लोकसभा चुनाव में नकली लालू यादव ने अपने नाम के साथ ‘लालू राय’ जोड़कर मैदान में उतरे। हलफनामे में उन्होंने उम्र 39 साल बताई थी, जबकि 2025 के हलफनामे में उनकी उम्र 45 साल दर्ज है यानी 10 सालों में सिर्फ 6 साल की बढ़ोतरी। उस समय उनके पास कोई गाड़ी नहीं थी और पेशे से वह किसान ही थे। सारण सीट पर राबड़ी देवी के खिलाफ उतरने वाले लालू राय को बड़ी सफलता नहीं मिली। हालांकि राबड़ी देवी को भी जीत हासिल नहीं हो सकी।
भाजपा के राजीव प्रताप रूड़ी ने यहां 3,55,120 वोट लेकर बाजी मारी, जबकि राबड़ी देवी को 3,14,172 वोट मिले—लगभग 40 हजार वोटों के अंतर से हार। वहीं ‘नकली लालू’ को कुल 9,957 वोट ही मिले, यानी पूरे वोटों का केवल 1.2%। दिलचस्प बात यह रही कि इस चुनाव में उन्होंने आम आदमी पार्टी के कुछ उम्मीदवारों से भी अधिक वोट हासिल किए थे। यह आंकड़ा राजनीतिक हलकों में उनके चुनावी संघर्ष की अनोखी कहानी के रूप में चर्चा का विषय बना। Bihar Elections 2025
राष्ट्रपति चुनाव में भी आजमाई किस्मत
राजनीति में अपने संघर्ष और जुझारूपन के लिए मशहूर ‘लालू राय’ ने केवल विधानसभा या लोकसभा चुनावों तक ही सीमित नहीं रहे। बिहार चुनाव 2025 में मैदान में उतरने से पहले ही उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में भी अपनी किस्मत आज़माई थी। 2017 और 2022 में उन्होंने नामांकन दाखिल किया, लेकिन दोनों ही बार उनका नामांकन खारिज हो गया। दिलचस्प यह रहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार परमात्मा सिंह को महज 5,099 वोट मिले थे, जबकि लालू राय को करीब 10 हजार वोट मिले थे। यानी इस ‘नकली लालू’ ने AAP के उम्मीदवार को भी पीछे छोड़ दिया। वहीं, नोटा के पक्ष में 19,163 वोट पड़े थे। यह आंकड़ा दर्शाता है कि राजनीति में पहचान और नाम का असर कितना गहरा होता है, भले ही जीत हाथ न लगे। Bihar Elections 2025
बिहार में बड़े राजनीतिक गठबंधनों के बीच सीटों के बंटवारे पर सहमति न बनने के बावजूद चुनावी प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है। पहले ही दिन एक ऐसा नाम सामने आया जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। सारण की मढ़ौरा विधानसभा सीट से पर्चा दाखिल करने वाले लालू प्रसाद यादव ने सभी को चौंका दिया। ध्यान रहे, यह वही लालू नहीं हैं जो राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख हैं और बिहार के प्रतिष्ठित यादव परिवार से जुड़े हैं। Bihar Elections 2025
यह ‘नकली लालू’ कहलाने वाले लालू प्रसाद यादव असली लालू यादव के संसदीय क्षेत्र सारण के ही रहने वाले हैं। 2025 के बिहार चुनाव में उनके हलफनामे के अनुसार, वह मढ़ौरा थाने के जादो रहीमपुर गांव के निवासी हैं। शुक्रवार को उन्होंने मढ़ौरा सीट से अपना नामांकन दाखिल कर इस विधानसभा क्षेत्र के पहले उम्मीदवार बनने का रिकॉर्ड भी दर्ज कर लिया। दिलचस्प यह है कि 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ते समय उनकी उम्र 39 साल थी, जबकि अब, 2025 में, उनकी उम्र केवल 45 साल बताई गई है—यानी 10 साल में सिर्फ 6 साल की बढ़ोतरी! Bihar Elections 2025
नकली लालू यादव का चुनावी अनुभव
राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी के टिकट पर मढ़ौरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले लालू प्रसाद यादव ने अपने हलफनामे में साफ-साफ कहा है कि उन पर किसी प्रकार का कोई आपराधिक मामला नहीं चल रहा है। हलफनामे के मुताबिक उनके पास 50 हजार रुपये नकद हैं, जबकि उनकी पत्नी सुग्गी देवी के पास 20 हजार रुपये कैश है। इसके अलावा उनके पास 40 हजार रुपये कीमत की बाइक और 6 लाख रुपये की कार भी है। बैंक में जमा राशि 10 हजार रुपये है। कुल मिलाकर उनकी संपत्ति लगभग 7 लाख रुपये की है। जहां लालू यादव के पास कोई जेवर नहीं है, वहीं उनकी पत्नी के पास 5 लाख रुपये के सोने और 1.40 लाख रुपये के चांदी के जेवर हैं। Bihar Elections 2025
कुल मिलाकर परिवार की संपत्ति करीब 6.60 लाख रुपये की आंकी गई है। शिक्षा की दृष्टि से देखें तो लालू ने 1997 में मढ़ौरा के जवाहरलाल नेहरू कॉलेज से 12वीं परीक्षा दूसरी श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। 2025 में दाखिल हलफनामे के अनुसार उनकी उम्र 45 साल है। यह पहली बार नहीं है जब ‘नकली लालू’ ने चुनावी मैदान में कदम रखा हो। उनके चुनावी अनुभव की शुरुआत साल 2001 में वार्ड पार्षद के चुनाव से हुई थी, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद भी वह कई बार चुनाव में उतरे, लेकिन सफलता का स्वाद उन्हें अभी तक नहीं चख सका। Bihar Elections 2025
2014 में ‘निर्दलीय लालू’ का खेल
2025 के चुनाव से पहले लालू प्रसाद यादव ने 2014 के लोकसभा चुनाव में सारण से अपनी किस्मत आज़माई थी। यह वही सीट है जहां असली लालू प्रसाद यादव ने 1977 में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी और जीत हासिल की थी। हालांकि, असली लालू यादव पर भ्रष्टाचार के कई मामले चल रहे थे और चारा घोटाला मामले में दोषसिद्धि के बाद उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराया गया था। ऐसे में 2014 में राष्ट्रीय जनता दल ने राबड़ी देवी को सारण से चुनाव मैदान में उतारा।
उसी चुनाव में ‘दूसरे लालू’ ने भी नामांकन दाखिल किया, लेकिन उन्होंने अपनी पहचान बदलकर ‘लालू राय’ के नाम से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में कदम रखा। यह घटना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी थी, क्योंकि नाम और इलाके की समानता ने कई मतदाताओं और मीडिया की रुचि खींची थी। लालू राय के इस कदम ने साबित कर दिया कि राजनीति में नाम और पहचान का कितना बड़ा महत्व होता है।
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राबड़ी के खिलाफ ‘नकली लालू’ का संघर्ष
2014 के लोकसभा चुनाव में नकली लालू यादव ने अपने नाम के साथ ‘लालू राय’ जोड़कर मैदान में उतरे। हलफनामे में उन्होंने उम्र 39 साल बताई थी, जबकि 2025 के हलफनामे में उनकी उम्र 45 साल दर्ज है यानी 10 सालों में सिर्फ 6 साल की बढ़ोतरी। उस समय उनके पास कोई गाड़ी नहीं थी और पेशे से वह किसान ही थे। सारण सीट पर राबड़ी देवी के खिलाफ उतरने वाले लालू राय को बड़ी सफलता नहीं मिली। हालांकि राबड़ी देवी को भी जीत हासिल नहीं हो सकी।
भाजपा के राजीव प्रताप रूड़ी ने यहां 3,55,120 वोट लेकर बाजी मारी, जबकि राबड़ी देवी को 3,14,172 वोट मिले—लगभग 40 हजार वोटों के अंतर से हार। वहीं ‘नकली लालू’ को कुल 9,957 वोट ही मिले, यानी पूरे वोटों का केवल 1.2%। दिलचस्प बात यह रही कि इस चुनाव में उन्होंने आम आदमी पार्टी के कुछ उम्मीदवारों से भी अधिक वोट हासिल किए थे। यह आंकड़ा राजनीतिक हलकों में उनके चुनावी संघर्ष की अनोखी कहानी के रूप में चर्चा का विषय बना। Bihar Elections 2025
राष्ट्रपति चुनाव में भी आजमाई किस्मत
राजनीति में अपने संघर्ष और जुझारूपन के लिए मशहूर ‘लालू राय’ ने केवल विधानसभा या लोकसभा चुनावों तक ही सीमित नहीं रहे। बिहार चुनाव 2025 में मैदान में उतरने से पहले ही उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में भी अपनी किस्मत आज़माई थी। 2017 और 2022 में उन्होंने नामांकन दाखिल किया, लेकिन दोनों ही बार उनका नामांकन खारिज हो गया। दिलचस्प यह रहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार परमात्मा सिंह को महज 5,099 वोट मिले थे, जबकि लालू राय को करीब 10 हजार वोट मिले थे। यानी इस ‘नकली लालू’ ने AAP के उम्मीदवार को भी पीछे छोड़ दिया। वहीं, नोटा के पक्ष में 19,163 वोट पड़े थे। यह आंकड़ा दर्शाता है कि राजनीति में पहचान और नाम का असर कितना गहरा होता है, भले ही जीत हाथ न लगे। Bihar Elections 2025



