तेजस्वी की तेजी पर ब्रेक! ये फैसले कर सकते हैं उनकी रफ्तार धीमी

तेजस्वी की तेजी पर ब्रेक! ये फैसले कर सकते हैं उनकी रफ्तार धीमी
locationभारत
userचेतना मंच
calendar04 SEPT 2025 09:00 AM
bookmark

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दृष्टिकोण से तेजस्वी यादव की राजनीतिक पकड़ सबसे मजबूत और चर्चित बन चुकी है। आरजेडी के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी, विपक्ष के मुखिया के रूप में राज्य की राजनीति की नब्ज पर हाथ रखे हुए हैं। 2020 में पार्टी को सबसे अधिक सीट दिलाने के बावजूद मुख्यमंत्री बनने से चूकने के बाद, इस बार उनकी हर चाल पर पूरी राजनीतिक दुनिया की निगाहें टिकी हैं। बीजेपी, जेडीयू और अन्य प्रतिद्वंद्वी दल तेजस्वी को चुनौती देने के लिए हर रणनीति पर काम कर रहे हैं। हाल ही में आयोजित “वोटर अधिकार यात्रा” ने उनकी सक्रियता और लोकप्रियता को प्रदर्शित किया, लेकिन कुछ हालिया फैसले उनकी तेज गति को धीमा कर सकते हैं और उनकी छवि पर सवाल उठा सकते हैं।  Tejashwi Yadav

1. राहुल गांधी के साथ वोटर अधिकार यात्रा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के तहत तेजस्वी यादव की “वोटर अधिकार यात्रा” ने राज्य की राजनीति में जोरदार हलचल पैदा कर दी। 17 अगस्त से 1 सितंबर तक चली इस यात्रा में तेजस्वी ने राहुल गांधी के साथ राज्यभर में मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं के खिलाफ अभियान चलाया। हालांकि यह कदम उनकी सक्रियता और नेतृत्व क्षमता को दिखाने के लिए था, लेकिन राहुल गांधी की प्रमुख उपस्थिति ने तेजस्वी को उनके समर्थकों और मतदाताओं की नजर में सहायक की भूमिका में पेश कर दिया।

मुजफ्फरपुर में राहुल गांधी द्वारा RJD विधायक से मिलने से इनकार और सुरक्षा कर्मियों द्वारा धकेले जाने की घटना ने यह संदेश और मजबूत कर दिया कि यह अभियान अधिक कांग्रेस-केंद्रित था, न कि महागठबंधन की साझा पहल। तेजस्वी के पीछे हटते और राहुल के साथ सहायक की तरह दिखने से उनकी पारंपरिक यादव-मुस्लिम वोट बैंक में हल्का असंतोष भी पैदा हुआ, जो उनके लिए चुनावी रणनीति में चुनौती बन सकता है।

2. नीतीश कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में तेजस्वी यादव ने अपनी राजनीतिक ताकत और विपक्षी छवि को और मज़बूत करने के लिए नीतीश कुमार पर नैतिक भ्रष्टाचार का बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने राज्य में तीन इंजीनियरों की अवैध संपत्ति का उदाहरण देते हुए कहा कि भ्रष्टाचार की गहरी छाया सीधे नीतीश सरकार पर है। यह हमला उनके कोर वोट बैंक, विशेषकर यादव और मुस्लिम समर्थकों को उत्साहित कर सकता है, लेकिन ग्रामीण इलाकों और EBC मतदाताओं में, जो नीतीश के सुशासन से प्रभावित हैं, नाराजगी भी पैदा कर सकता है। बिना ठोस प्रमाण के लगाए गए आरोप तेजस्वी की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न खड़े कर सकते हैं, जिससे उनकी छवि गंभीर और जमीनी नेता के रूप में प्रभावित हो सकती है।    Tejashwi Yadav

यह भी पढ़े: उत्तर प्रदेश के इस जिले के एक गांव में हर घर में जन्म लेता है जुड़वा बच्चा

3. तेजप्रताप यादव को पार्टी से अलग करना

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की कड़ी राजनीति में तेजस्वी यादव के लिए एक चुनौती और सामने आ गई है। चुनाव से पहले उनके छोटे भाई तेजप्रताप यादव को पार्टी से अलग करने का कदम तेजस्वी के नेतृत्व और रणनीति पर सवाल खड़ा कर सकता है। तेजप्रताप अपनी अलग शैली, विवादित बयानों और करिश्माई छवि के कारण यादव समुदाय में बेहद लोकप्रिय हैं। उनके अलग किए जाने से पार्टी के अंदर असंतोष बढ़ा है और यह तेजस्वी की मजबूत विपक्षी छवि तथा चुनावी पकड़ को प्रभावित कर सकता है।    Tejashwi Yadav

4. मरीन ड्राइव पर सोशल मीडिया रील

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की पृष्ठभूमि में तेजस्वी यादव का मुंबई के मरीन ड्राइव पर सोशल मीडिया के लिए बनाया गया रील तेजी से चर्चा में आ गया। पारंपरिक और गंभीर नेता की छवि रखने वाले तेजस्वी इस रील में अलग अंदाज में दिखाई दिए, जिसका मकसद युवा मतदाताओं को आकर्षित करना था। लेकिन बिहार जैसे राज्य में, जहां मतदाता जमीनी और गंभीर नेतृत्व को प्राथमिकता देते हैं, यह कदम उनके लिए जोखिम भरा साबित हुआ। बीजेपी और जेडीयू ने इस रील को तेजस्वी की गैरजिम्मेदार हरकत के रूप में प्रचारित किया और इसे नीतीश सरकार की उपलब्धियों के मुकाबले प्रस्तुत किया। डांस और मस्ती वाली यह छवि तेजस्वी की गंभीर राजनीतिक छवि को चुनौती दे रही है, जो उनके चुनावी रणनीति और समर्थन पर सीधे असर डाल सकती है।  Tejashwi Yadav

अगली खबर पढ़ें

तेजस्वी की तेजी पर ब्रेक! ये फैसले कर सकते हैं उनकी रफ्तार धीमी

तेजस्वी की तेजी पर ब्रेक! ये फैसले कर सकते हैं उनकी रफ्तार धीमी
locationभारत
userचेतना मंच
calendar04 SEPT 2025 09:00 AM
bookmark

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दृष्टिकोण से तेजस्वी यादव की राजनीतिक पकड़ सबसे मजबूत और चर्चित बन चुकी है। आरजेडी के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी, विपक्ष के मुखिया के रूप में राज्य की राजनीति की नब्ज पर हाथ रखे हुए हैं। 2020 में पार्टी को सबसे अधिक सीट दिलाने के बावजूद मुख्यमंत्री बनने से चूकने के बाद, इस बार उनकी हर चाल पर पूरी राजनीतिक दुनिया की निगाहें टिकी हैं। बीजेपी, जेडीयू और अन्य प्रतिद्वंद्वी दल तेजस्वी को चुनौती देने के लिए हर रणनीति पर काम कर रहे हैं। हाल ही में आयोजित “वोटर अधिकार यात्रा” ने उनकी सक्रियता और लोकप्रियता को प्रदर्शित किया, लेकिन कुछ हालिया फैसले उनकी तेज गति को धीमा कर सकते हैं और उनकी छवि पर सवाल उठा सकते हैं।  Tejashwi Yadav

1. राहुल गांधी के साथ वोटर अधिकार यात्रा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के तहत तेजस्वी यादव की “वोटर अधिकार यात्रा” ने राज्य की राजनीति में जोरदार हलचल पैदा कर दी। 17 अगस्त से 1 सितंबर तक चली इस यात्रा में तेजस्वी ने राहुल गांधी के साथ राज्यभर में मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं के खिलाफ अभियान चलाया। हालांकि यह कदम उनकी सक्रियता और नेतृत्व क्षमता को दिखाने के लिए था, लेकिन राहुल गांधी की प्रमुख उपस्थिति ने तेजस्वी को उनके समर्थकों और मतदाताओं की नजर में सहायक की भूमिका में पेश कर दिया।

मुजफ्फरपुर में राहुल गांधी द्वारा RJD विधायक से मिलने से इनकार और सुरक्षा कर्मियों द्वारा धकेले जाने की घटना ने यह संदेश और मजबूत कर दिया कि यह अभियान अधिक कांग्रेस-केंद्रित था, न कि महागठबंधन की साझा पहल। तेजस्वी के पीछे हटते और राहुल के साथ सहायक की तरह दिखने से उनकी पारंपरिक यादव-मुस्लिम वोट बैंक में हल्का असंतोष भी पैदा हुआ, जो उनके लिए चुनावी रणनीति में चुनौती बन सकता है।

2. नीतीश कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में तेजस्वी यादव ने अपनी राजनीतिक ताकत और विपक्षी छवि को और मज़बूत करने के लिए नीतीश कुमार पर नैतिक भ्रष्टाचार का बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने राज्य में तीन इंजीनियरों की अवैध संपत्ति का उदाहरण देते हुए कहा कि भ्रष्टाचार की गहरी छाया सीधे नीतीश सरकार पर है। यह हमला उनके कोर वोट बैंक, विशेषकर यादव और मुस्लिम समर्थकों को उत्साहित कर सकता है, लेकिन ग्रामीण इलाकों और EBC मतदाताओं में, जो नीतीश के सुशासन से प्रभावित हैं, नाराजगी भी पैदा कर सकता है। बिना ठोस प्रमाण के लगाए गए आरोप तेजस्वी की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न खड़े कर सकते हैं, जिससे उनकी छवि गंभीर और जमीनी नेता के रूप में प्रभावित हो सकती है।    Tejashwi Yadav

यह भी पढ़े: उत्तर प्रदेश के इस जिले के एक गांव में हर घर में जन्म लेता है जुड़वा बच्चा

3. तेजप्रताप यादव को पार्टी से अलग करना

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की कड़ी राजनीति में तेजस्वी यादव के लिए एक चुनौती और सामने आ गई है। चुनाव से पहले उनके छोटे भाई तेजप्रताप यादव को पार्टी से अलग करने का कदम तेजस्वी के नेतृत्व और रणनीति पर सवाल खड़ा कर सकता है। तेजप्रताप अपनी अलग शैली, विवादित बयानों और करिश्माई छवि के कारण यादव समुदाय में बेहद लोकप्रिय हैं। उनके अलग किए जाने से पार्टी के अंदर असंतोष बढ़ा है और यह तेजस्वी की मजबूत विपक्षी छवि तथा चुनावी पकड़ को प्रभावित कर सकता है।    Tejashwi Yadav

4. मरीन ड्राइव पर सोशल मीडिया रील

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की पृष्ठभूमि में तेजस्वी यादव का मुंबई के मरीन ड्राइव पर सोशल मीडिया के लिए बनाया गया रील तेजी से चर्चा में आ गया। पारंपरिक और गंभीर नेता की छवि रखने वाले तेजस्वी इस रील में अलग अंदाज में दिखाई दिए, जिसका मकसद युवा मतदाताओं को आकर्षित करना था। लेकिन बिहार जैसे राज्य में, जहां मतदाता जमीनी और गंभीर नेतृत्व को प्राथमिकता देते हैं, यह कदम उनके लिए जोखिम भरा साबित हुआ। बीजेपी और जेडीयू ने इस रील को तेजस्वी की गैरजिम्मेदार हरकत के रूप में प्रचारित किया और इसे नीतीश सरकार की उपलब्धियों के मुकाबले प्रस्तुत किया। डांस और मस्ती वाली यह छवि तेजस्वी की गंभीर राजनीतिक छवि को चुनौती दे रही है, जो उनके चुनावी रणनीति और समर्थन पर सीधे असर डाल सकती है।  Tejashwi Yadav

अगली खबर पढ़ें

करगहर या राघोपुर? प्रशांत किशोर ने दिया चुनावी संकेत,वजह भी बताई

locationभारत
userचेतना मंच
calendar04 SEPT 2025 06:58 AM
bookmark

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। इसी बीच जन सुराज पार्टी के संस्थापक और रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपनी संभावित चुनावी सीटों को लेकर बड़ा संकेत दिया है। किशोर ने कहा कि अगर वे चुनाव मैदान में उतरते हैं तो उनकी प्राथमिकता करगहर या राघोपुर होगी। उनके इस ऐलान से न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह की लहर दौड़ गई है, बल्कि आगामी चुनाव में सियासी समीकरणों पर भी असर पड़ने की संभावना बढ़ गई है।    Bihar Assembly Election 2025

जन्मभूमि और कर्मभूमि का महत्व

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी गलियारों में खलबली मची हुई है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक और रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने साफ किया कि अगर वे चुनाव मैदान में उतरते हैं, तो उनकी प्राथमिकता करगहर या राघोपुर होगी। किशोर ने करगहर को अपनी “जन्मभूमि” और राघोपुर को अपनी “कर्मभूमि” बताया। करगहर रोहतास जिले के सासाराम लोकसभा क्षेत्र में आता है, जबकि राघोपुर वैशाली जिले में स्थित है और हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।

राघोपुर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की राजनीतिक गढ़ मानी जाती रही है, और वर्तमान में इस सीट का प्रतिनिधित्व केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान करते हैं। करकट में मीडिया से बातचीत में किशोर ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। पार्टी में विचार-विमर्श जारी है, लेकिन उन्होंने दोहराया कि यदि निर्णय लिया गया कि वे चुनाव मैदान में उतरेंगे, तो करगहर या राघोपुर उनके चुनावी संभावित गढ़ होंगे। किशोर ने यह संकेत पहले भी एक न्यूज चैनल इंटरव्यू में दे चुके हैं।

तेजस्वी यादव पर तंज

जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो का जिक्र करते हुए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पर कटाक्ष किया। वीडियो में यादव कांग्रेस नेता राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा की सफलता का जश्न मनाते नजर आए थे। किशोर ने इसे इस बात का सबूत बताया कि तेजस्वी यादव बड़े आयोजनों को भी प्रभावी ढंग से नहीं संभाल पा रहे हैं। हालांकि किशोर ने यह भी याद दिलाया कि 2015 में उन्होंने आरजेडी-जेडीयू-कांग्रेस गठबंधन की रणनीति तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। उनके इस बयान ने न केवल सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर दी है, बल्कि जन सुराज पार्टी की आगामी चुनावी रणनीति और संभावित प्रभाव को भी हाईलाइट किया है।

यह भी पढ़े: तांडव का जवाब डंडे से, ABVP पर राजभर पिता-पुत्र का सख्त पलटवार

बिहार बंद पर टिप्पणी

जन सुराज पार्टी के संस्थापक और रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एनडीए द्वारा पीएम मोदी की दिवंगत मां के लिए अपशब्द पर बुलाए गए बिहार बंद पर प्रतिक्रिया दी। किशोर ने इसे केवल नेताओं की राजनीति करार दिया और कहा कि जनता इस बंद का समर्थन नहीं करेगी। उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी की आगामी दो सभाओं में भारी भीड़ होगी और प्रत्येक सभा में कम से कम 20,000 लोग शामिल होंगे।

किशोर ने यह भी स्पष्ट किया कि वे बीजेपी और जेडीयू के नेताओं के खिलाफ नए सबूत लाने वाले हैं, जिनकी कथित गड़बड़ियों को उन्होंने उजागर किया है। उन्होंने राज्य बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे, पश्चिम चंपारण के सांसद संजय जायसवाल और जेडीयू के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी पर गंभीर आरोप लगाने का संकेत दिया। इस बयान ने न केवल चुनावी माहौल को गर्म किया है, बल्कि जन सुराज पार्टी की सक्रियता और आगामी चुनाव में उसकी संभावित ताकत को भी सामने ला दिया है।    Bihar Assembly Election 2025