बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर जीरो अथवा हीरो

बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर जीरो अथवा हीरो
locationभारत
userचेतना मंच
calendar13 OCT 2025 08:38 AM
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राजनीति की रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर की खूब चर्चा हो रही है। राजनीतिक रणनीतिकार का काम छोडक़र प्रशांत किशोर पहली बार खुद चुनावी मैदान में उतरे हैं। जन सुराज पार्टी बनाकर बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे प्रशांत किशोर के भविष्य को लेकर बड़े पैमाने पर अटकलें लगाई जा रही हैं।  Prashant Kishore बिहार से लेकर पूरे देश के राजनीतिक विश्लेषक प्रशांत किशोर के राजनीतिक भविष्य की अपने-अपने हिसाब से व्याख्या कर रहे हैं। इस बीच प्रशांत किशोर ने बहुत बड़ी घोषणा कर दी है। बड़ी राजनीतिक घोषणा करते हुए प्रशांत किशोर ने अपने राजनीतिक भविष्य के विषय में बता दिया है।  Prashant Kishore

प्रशांत किशोर ने बताया अपना तथा जनसुराज का भविष्य

पहली बार राजनेता बने प्रशांत किशोर ने अपना तथा अपनी पार्टी जन सुराज का भविष्य बताया है। बड़ी राजनीतिक घोषणा करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा है कि बिहार चुनाव के नतीजों के बाद वें तथा उनकी पार्टी जन सुराज या तो फर्श (जीरो) पर रहेगी या अर्श (हीरो) तक जाएगी। प्रशांत किशोर ने स्पष्ट तौर पर कहा कि बिहार चुनाव के नतीजों में उनके तथा उनकी पार्टी के लिए बीच में रहने की कोई संभावना नहीं है। या तो वें फर्श पर रहेंगे अथवा अर्श पर रहेंगे। प्रशांत किशोर ने अपनी फर्श अथवा अर्श वाली थ्योरी को डिटेल में समझाया है। 

प्रशांत किशोर की पार्टी को या तो 10 से कम सीट या 150 से ज्यादा सीट मिलेंगी

बिहार के चुनावी नतीजों में प्रशांत किशोर या तो फर्श पर रहेंगे या फिर अर्श पर जाएंगे। इस बात को स्पष्ट करते हुए प्रशांत किशोर ने पत्रकारों को बताया कि बिहार में चुनाव में उनकी पार्टी जन सुराज को या तो 10 से कम विधानसभा की सीटों पर विजय मिलेगी या फिर 150 से ज्यादा विधानसभा की सीटों पर उनकी पार्टी के प्रत्याशी चुनाव जीतकर इतिहास रचेंगे। उन्होंने पत्रकारों से स्पष्ट कहा कि मैं अब तक के अपने अनुभव के आधार पर यह बता रहा हूं कि उनकी पार्टी जन सुराज को या तो बिहार की जनता पूरी तरह से रिजैक्ट करेगी या फिर बिहार की जनता जन सुराज पार्टी के हाथों में बिहार की सत्ता सौंपकर बिहार के अच्छे दिन लाने का काम करेगी। प्रशांत किशोर ने साफ कहा कि उनको पूरा यकीन ही नहीं बल्कि गारंटी है कि बिहार के चुनाव में जन सुराज बीच में नहीं रहेगी या तो जन सुराज पार्टी जीरो रहेगी या फिर हीरो बनकर नया इतिहास रचने का काम करेगी।  Prashant Kishore

प्रशांत किशोर 20-30 विधायकों वाली पार्टी नहीं चलाएंगे

पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए प्रशांत किशोर ने एक और बड़ी घोषणा की है। प्रशांत किशोर  ने कहा है कि यदि गलती से उनकी पार्टी के 20-30 विधायक चुनाव जीतकर जाते हैं तो वें उन थोड़े से विधायकों को अपने साथ नहीं रखेंगे। वें उन विधायकों को खुली छूट दे देंगे कि वें विधायक किसी दूसरी पार्टी में जाकर शामिल हो जाएं। प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि या तो बिहार की जनता जन सुराज पार्टी को बिहार की सत्ता सौंप देगी नहीं तो वें दोबारा सडक़ों पर संघर्ष करेंगे। 20-30 विधायकों को साथ लेकर पार्टी चलाने का उनका कोई इरादा नहीं है। या तो वें सडक़ पर रहेंगे या बिहार में सरकार बनाकर बिहार की पूरी व्यवस्था को ठीक करने का काम करेंगे। प्रशांत किशोर ने कहा कि बीच का रास्ता उन्होंने पहले भी कभी नहीं चुना था और वें आगे भी बीच का रास्ता चुनने वाले नहीं हैं।    Prashant Kishore

प्रशांत किशोर का नया नारा है ‘‘जय बिहार-जय-जय बिहार”

प्रशांत किशोर से पूछा गया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर तमाम नेताओं की चुनावी रणनीति बनाने के दौरान उन्होंने अनेक नारे दिए थे, इस बार वें कौन सा नारा दे रहे हैं? इस प्रश्न के उत्तर में प्रशांत किशोर  ने बताया कि बिहार की जनता ने खुद ही बड़ा नारा दे दिया है। बिहार में हर जगह ‘‘जय बिहार-जय-जय बिहार का नारा लग रहा है। उन्होंने कहा कि वें जहां कहीं भी जा रहे हैं हर तरफ ‘‘जय बिहार-जय-जय बिहारका नारा सुनाई पड़ रहा है। प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की जनता 30 वर्षों से NDA तथा RJD के बीच में फंसी हुई थी। बदलाव चाहते हुए भी बिहार की जनता के पास कोई तीसरा विकल्प नहीं था। इस बार तीसरे विकल्प के रूप में बिहार की जनता के सामने जन सुराज पार्टी मौजूद है। यही कारण है कि जन सुराज पार्टी बिहार की जनता की पहली पसंद बन गई है।

यह भी पढ़े: राहुल गांधी की याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज

प्रशांत किशोर कर चुके हैं बहुत बड़े-बड़े काम

प्रशांत किशोर को भविष्य के बड़े नेता के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में प्रशांत किशोर का पूरा परिचय जान लेना बेहद जरूरी है। आपको बता दें कि 34 साल की उम्र में संयुक्त राष्ट्र की नौकरी छोडक़र भारत आये बक्सर निवासी प्रशांत किशोर जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े तब उन्हें आम जनता नहीं जानती थी। प्रशांत किशोर ने राजनीति में ब्रांडिंग का दौर शुरू किया था। जब नरेंद्र मोदी को भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाया तब प्रशांत किशोर अपने काम में जुट गये। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले ही प्रचार का दौर शुरू हुआ। ऐसा प्रचार पहले कभी नहीं देखा गया था। साल 2014 में प्रशांत किशोर ने सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (कैग) नामक कंपनी की स्थापना की थी। कैग भारत की पहली राजनीतिक एक्शन कंपनी माना जाता है। यह कंपनी एक NGO है जिसमें IIT और IIM में पढऩे वाले युवा प्रोफेशनल्स काम कर रहे थे। प्रशांत किशोर को नरेंद्र मोदी के लिए मार्केटिंग और विज्ञापन अभियान जैसे कि चाय पर चर्चा, 3डी रैली, रन फॉर यूनिटी, मंथन का श्रेय दिया जाता है। 2014 में जब भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तब पहली बार प्रशांत किशोर सुर्खियों में आये। लोग कहने लगे पीएम मोदी की शानदार जीत में प्रशांत किशोर का अहम योगदान रहा। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के कुछ दिन बाद ही प्रशांत किशोर और भाजपा के बीच की दूरी बढऩे लगी। 2015 में प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार-लालू यादव के महागठबंधन का साथ थामा था। उन्हें सफलता मिली। इसके बाद 2017 में वह वाईएसआर कांग्रेस से जुड़ गए। पार्टी के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी से प्रशांत किशोर की मुलाकात पार्टी के बड़े नेताओं से करवाई थी। बिहार में जिस रणनीति ने काम किया था वह आंध्र प्रदेश में कामयाबी हासिल नहीं कर पाई।

पश्चिम बंगाल में सरकार बनवाने का काम किया था प्रशांत किशोर ने

प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार बनवा चुके हैं। आप को बता दें कि 2021 में तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने प्रशांत किशोर को पश्चिम बंगाल में विधानसभा सभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी थी। प्रशांत किशोर ने भी इस चुनाव में पीएम मोदी और भाजपा के खिलाफ पूरी ताकत झोंक दी। ममता बनर्जी फिर से मुख्यमंत्री चुनी गई थी। इस बार फिर से प्रशांत किशोर की चर्चा पूरे देश में हुई।    Prashant Kishore इसके बाद प्रशांत किशोर ने बिहार में सक्रिया राजनीति करने का फैसला किया। वह बिहार लौटकर आये। दो अक्टूबर 2022 को गांधी जयंती के अवसर पर उन्होंने चंपारण से अपनी पदयात्रा शुरू की। दो साल तक बिहार के गांव-गांव घूमे और लोगों से मिले। दो साल बाद यानी दो अक्टूबर 2024 को गांधी जयंती के ही दिन अपनी नई पार्टी जन सुराज पार्टी बनाई। बिहार में चल रहे विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने सभी 243 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की घोषणा की है।  Prashant Kishore
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बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर जीरो अथवा हीरो

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राजनीति की रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर की खूब चर्चा हो रही है। राजनीतिक रणनीतिकार का काम छोडक़र प्रशांत किशोर पहली बार खुद चुनावी मैदान में उतरे हैं। जन सुराज पार्टी बनाकर बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे प्रशांत किशोर के भविष्य को लेकर बड़े पैमाने पर अटकलें लगाई जा रही हैं।  Prashant Kishore बिहार से लेकर पूरे देश के राजनीतिक विश्लेषक प्रशांत किशोर के राजनीतिक भविष्य की अपने-अपने हिसाब से व्याख्या कर रहे हैं। इस बीच प्रशांत किशोर ने बहुत बड़ी घोषणा कर दी है। बड़ी राजनीतिक घोषणा करते हुए प्रशांत किशोर ने अपने राजनीतिक भविष्य के विषय में बता दिया है।  Prashant Kishore

प्रशांत किशोर ने बताया अपना तथा जनसुराज का भविष्य

पहली बार राजनेता बने प्रशांत किशोर ने अपना तथा अपनी पार्टी जन सुराज का भविष्य बताया है। बड़ी राजनीतिक घोषणा करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा है कि बिहार चुनाव के नतीजों के बाद वें तथा उनकी पार्टी जन सुराज या तो फर्श (जीरो) पर रहेगी या अर्श (हीरो) तक जाएगी। प्रशांत किशोर ने स्पष्ट तौर पर कहा कि बिहार चुनाव के नतीजों में उनके तथा उनकी पार्टी के लिए बीच में रहने की कोई संभावना नहीं है। या तो वें फर्श पर रहेंगे अथवा अर्श पर रहेंगे। प्रशांत किशोर ने अपनी फर्श अथवा अर्श वाली थ्योरी को डिटेल में समझाया है। 

प्रशांत किशोर की पार्टी को या तो 10 से कम सीट या 150 से ज्यादा सीट मिलेंगी

बिहार के चुनावी नतीजों में प्रशांत किशोर या तो फर्श पर रहेंगे या फिर अर्श पर जाएंगे। इस बात को स्पष्ट करते हुए प्रशांत किशोर ने पत्रकारों को बताया कि बिहार में चुनाव में उनकी पार्टी जन सुराज को या तो 10 से कम विधानसभा की सीटों पर विजय मिलेगी या फिर 150 से ज्यादा विधानसभा की सीटों पर उनकी पार्टी के प्रत्याशी चुनाव जीतकर इतिहास रचेंगे। उन्होंने पत्रकारों से स्पष्ट कहा कि मैं अब तक के अपने अनुभव के आधार पर यह बता रहा हूं कि उनकी पार्टी जन सुराज को या तो बिहार की जनता पूरी तरह से रिजैक्ट करेगी या फिर बिहार की जनता जन सुराज पार्टी के हाथों में बिहार की सत्ता सौंपकर बिहार के अच्छे दिन लाने का काम करेगी। प्रशांत किशोर ने साफ कहा कि उनको पूरा यकीन ही नहीं बल्कि गारंटी है कि बिहार के चुनाव में जन सुराज बीच में नहीं रहेगी या तो जन सुराज पार्टी जीरो रहेगी या फिर हीरो बनकर नया इतिहास रचने का काम करेगी।  Prashant Kishore

प्रशांत किशोर 20-30 विधायकों वाली पार्टी नहीं चलाएंगे

पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए प्रशांत किशोर ने एक और बड़ी घोषणा की है। प्रशांत किशोर  ने कहा है कि यदि गलती से उनकी पार्टी के 20-30 विधायक चुनाव जीतकर जाते हैं तो वें उन थोड़े से विधायकों को अपने साथ नहीं रखेंगे। वें उन विधायकों को खुली छूट दे देंगे कि वें विधायक किसी दूसरी पार्टी में जाकर शामिल हो जाएं। प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि या तो बिहार की जनता जन सुराज पार्टी को बिहार की सत्ता सौंप देगी नहीं तो वें दोबारा सडक़ों पर संघर्ष करेंगे। 20-30 विधायकों को साथ लेकर पार्टी चलाने का उनका कोई इरादा नहीं है। या तो वें सडक़ पर रहेंगे या बिहार में सरकार बनाकर बिहार की पूरी व्यवस्था को ठीक करने का काम करेंगे। प्रशांत किशोर ने कहा कि बीच का रास्ता उन्होंने पहले भी कभी नहीं चुना था और वें आगे भी बीच का रास्ता चुनने वाले नहीं हैं।    Prashant Kishore

प्रशांत किशोर का नया नारा है ‘‘जय बिहार-जय-जय बिहार”

प्रशांत किशोर से पूछा गया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर तमाम नेताओं की चुनावी रणनीति बनाने के दौरान उन्होंने अनेक नारे दिए थे, इस बार वें कौन सा नारा दे रहे हैं? इस प्रश्न के उत्तर में प्रशांत किशोर  ने बताया कि बिहार की जनता ने खुद ही बड़ा नारा दे दिया है। बिहार में हर जगह ‘‘जय बिहार-जय-जय बिहार का नारा लग रहा है। उन्होंने कहा कि वें जहां कहीं भी जा रहे हैं हर तरफ ‘‘जय बिहार-जय-जय बिहारका नारा सुनाई पड़ रहा है। प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की जनता 30 वर्षों से NDA तथा RJD के बीच में फंसी हुई थी। बदलाव चाहते हुए भी बिहार की जनता के पास कोई तीसरा विकल्प नहीं था। इस बार तीसरे विकल्प के रूप में बिहार की जनता के सामने जन सुराज पार्टी मौजूद है। यही कारण है कि जन सुराज पार्टी बिहार की जनता की पहली पसंद बन गई है।

यह भी पढ़े: राहुल गांधी की याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज

प्रशांत किशोर कर चुके हैं बहुत बड़े-बड़े काम

प्रशांत किशोर को भविष्य के बड़े नेता के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में प्रशांत किशोर का पूरा परिचय जान लेना बेहद जरूरी है। आपको बता दें कि 34 साल की उम्र में संयुक्त राष्ट्र की नौकरी छोडक़र भारत आये बक्सर निवासी प्रशांत किशोर जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े तब उन्हें आम जनता नहीं जानती थी। प्रशांत किशोर ने राजनीति में ब्रांडिंग का दौर शुरू किया था। जब नरेंद्र मोदी को भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाया तब प्रशांत किशोर अपने काम में जुट गये। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले ही प्रचार का दौर शुरू हुआ। ऐसा प्रचार पहले कभी नहीं देखा गया था। साल 2014 में प्रशांत किशोर ने सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (कैग) नामक कंपनी की स्थापना की थी। कैग भारत की पहली राजनीतिक एक्शन कंपनी माना जाता है। यह कंपनी एक NGO है जिसमें IIT और IIM में पढऩे वाले युवा प्रोफेशनल्स काम कर रहे थे। प्रशांत किशोर को नरेंद्र मोदी के लिए मार्केटिंग और विज्ञापन अभियान जैसे कि चाय पर चर्चा, 3डी रैली, रन फॉर यूनिटी, मंथन का श्रेय दिया जाता है। 2014 में जब भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तब पहली बार प्रशांत किशोर सुर्खियों में आये। लोग कहने लगे पीएम मोदी की शानदार जीत में प्रशांत किशोर का अहम योगदान रहा। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के कुछ दिन बाद ही प्रशांत किशोर और भाजपा के बीच की दूरी बढऩे लगी। 2015 में प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार-लालू यादव के महागठबंधन का साथ थामा था। उन्हें सफलता मिली। इसके बाद 2017 में वह वाईएसआर कांग्रेस से जुड़ गए। पार्टी के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी से प्रशांत किशोर की मुलाकात पार्टी के बड़े नेताओं से करवाई थी। बिहार में जिस रणनीति ने काम किया था वह आंध्र प्रदेश में कामयाबी हासिल नहीं कर पाई।

पश्चिम बंगाल में सरकार बनवाने का काम किया था प्रशांत किशोर ने

प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार बनवा चुके हैं। आप को बता दें कि 2021 में तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने प्रशांत किशोर को पश्चिम बंगाल में विधानसभा सभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी थी। प्रशांत किशोर ने भी इस चुनाव में पीएम मोदी और भाजपा के खिलाफ पूरी ताकत झोंक दी। ममता बनर्जी फिर से मुख्यमंत्री चुनी गई थी। इस बार फिर से प्रशांत किशोर की चर्चा पूरे देश में हुई।    Prashant Kishore इसके बाद प्रशांत किशोर ने बिहार में सक्रिया राजनीति करने का फैसला किया। वह बिहार लौटकर आये। दो अक्टूबर 2022 को गांधी जयंती के अवसर पर उन्होंने चंपारण से अपनी पदयात्रा शुरू की। दो साल तक बिहार के गांव-गांव घूमे और लोगों से मिले। दो साल बाद यानी दो अक्टूबर 2024 को गांधी जयंती के ही दिन अपनी नई पार्टी जन सुराज पार्टी बनाई। बिहार में चल रहे विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने सभी 243 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की घोषणा की है।  Prashant Kishore
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महागठबंधन में सीट बंटवारे में तेजस्वी यादव को राहत, मुकेश सहनी सीमित सीटों पर सिमटे

महागठबंधन में सीट बंटवारे में तेजस्वी यादव को राहत, मुकेश सहनी सीमित सीटों पर सिमटे
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calendar13 OCT 2025 08:04 AM
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए महागठबंधन और एनडीए में सीट बंटवारे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। एनडीए में सीट बंटवारे के बाद अब महागठबंधन के अंदर भी राजनीतिक समीकरण स्पष्ट होते दिख रहे हैं, जिससे तेजस्वी यादव का सिरदर्द कम हुआ है। अब महागठबंधन में भी सीटों को लेकर तस्वीर साफ होती जा रही है। इस सीट बंटवारे में तेजस्वी यादव को राहत मिलने की संभावना बढ़ गई है। Bihar Elections :

एनडीए में सीटों का बंटवारा तय हो गया

एनडीए में सीटों का बंटवारा तय हो गया है। भाजपा और जेडीययू 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, वहीं चिराग पासवान की लोजपा 29 सीटों पर मैदान में उतरेगी। हम और रालोसपा को केवल 6-6 सीटें मिली हैं। इस बंटवारे से एनडीए के भीतर थोड़ी नाराजगी है, लेकिन किसी तरह का बड़ा विवाद नहीं होगा यह निश्चित है। क्योंकि विवाद की स्थिति में वो दल ही नुकसान में रहेगा।

महागठबंधन में स्थिति

महागठबंधन में अभी तक सीटों पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। वीआईपी के नेता मुकेश सहनी शुरू से 40 सीटों और उपमुख्यमंत्री पद की मांग कर रहे हैं। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वह केवल 40 सीटों पर ही चुनाव लड़ेंगे। लेकिन कांग्रेस, वाम दल और झामुमो की मांगों को संतुलित करना तेजस्वी यादव के लिए चुनौती बन गया है। हालांकि अंतिम समझौता होने पर तेजस्वी को फायदा मिलता नजर आ रहा है।

एनडीए के रास्ते बंद

सीट बंटवारे के बाद मुकेश सहनी के पास महागठबंधन छोड़ने का कोई रास्ता नहीं बचा। 2020 के चुनाव में भी ऐसी ही स्थिति थी। तब उचित संख्या में सीटें न मिलने पर वीआईपी ने महागठबंधन छोड़कर एनडीए का रुख किया था। उस बार वीआईपी 11 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और चार विधायक जीते थे, लेकिन बाद में बगावत के चलते चारों विधायक भाजपा में चले गए।

तेजस्वी यादव की रणनीति

तेजस्वी यादव हमेशा मुकेश सहनी के साथ रहे हैं, लेकिन 40 सीटें देने की स्थिति अब संभव नहीं है। कांग्रेस कम से कम 60 सीटें चाहती है, भाकपा माले 30 सीटें मांग रही है और अन्य वाम दलों को भी महागठबंधन में समायोजित करना है। ऐसे में वीआईपी को अधिकतम 20 सीटें मिलेंगी। अब मुकेश सहनी को बड़े मोलभाव के बाद यह प्रस्ताव स्वीकार करना पड़ेगा। Bihar Elections