बदलाव की राजनीति या वंशवाद का फेर? जानें जनसुराज की नई सूची

बदलाव की राजनीति या वंशवाद का फेर? जानें जनसुराज की नई सूची
locationभारत
userचेतना मंच
calendar14 OCT 2025 06:59 AM
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बिहार विधानसभा चुनाव की हलचल तेज हो चुकी है। पहले चरण के नामांकन जारी हैं और राजनीतिक पार्टियों में हलचल चरम पर है। इस बीच रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने अपनी दूसरी उम्मीदवार सूची का ऐलान कर दिया है। इस सूची में न केवल राजनीतिक परिवारों के नाम शामिल हैं, बल्कि 17 ऐसे दलबदलुओं को भी टिकट मिला है, जिससे पार्टी की रणनीति और वंशवाद की राजनीति पर बहस फिर से उभर गई है। सोमवार को जारी इस दूसरी सूची में कुल 65 उम्मीदवारों के नाम हैं, जिससे अब तक पार्टी ने कुल 116 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।  Prashant Kishore

पहली सूची में ही पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की पोती जागृति ठाकुर को मैदान में उतारकर पार्टी ने राजनीतिक पारिवारिक रिश्तों का जिक्र कर दिया था। इस बार भी सूची में ऐसे नाम शामिल हैं, जिनका बिहार की राजनीति में परिवारिक पृष्ठभूमि रही है, जिससे जनसुराज की चाल ने विरोधियों के लिए नया बहस का मंच तैयार कर दिया है।  Prashant Kishore

दूसरी लिस्ट में विवादित और वंशवादी उम्मीदवारों की एंट्री

जनसुराज पार्टी की दूसरी सूची में 17 ऐसे उम्मीदवार शामिल हैं जिन्होंने हाल ही में अपने पुराने दल छोड़कर पार्टी में शामिल होना चुना। इस लिस्ट में एक नाम विवादास्पद भी है — उस पर हत्या का मामला दर्ज है और वह कई महीने जेल में भी रह चुका है, जिससे पार्टी की रणनीति पर सवाल खड़े हो गए हैं। साथ ही, अब तक जारी दो सूचियों में राजनीतिक वंशवाद की झलक साफ दिखाई दे रही है। पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर, जो पहले वंशवाद के कट्टर आलोचक रहे हैं, इस बार अपनी चुनावी रणनीति में उसी पर भरोसा कर रहे हैं। कुल मिलाकर 4 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनका किसी राजनीतिक परिवार से सीधा नाता है, और यह दिखाता है कि जनसुराज भी पारिवारिक राजनीतिक संबंधों को ताकत बनाकर चुनावी पारी खेलने से पीछे नहीं हट रही।

पूर्व केंद्रीय मंत्री के राजनीतिक वारिस को भी मौका

पहली सूची में जब वंशवाद के सवाल उठाए गए, तो प्रशांत किशोर ने सफाई देते हुए कहा कि जागृति ठाकुर सिर्फ कर्पूरी ठाकुर की पोती नहीं हैं, बल्कि एक डॉक्टर और पढ़ी-लिखी महिला भी हैं, जो मोरवा में लंबे समय से सामाजिक कार्य में जुटी हैं। इसी तरह लता सिंह के मामले में भी पार्टी ने उनका पेशेवर और योग्य पक्ष रेखांकित किया। पार्टी की दूसरी सूची में बक्सर सीट से तथागत हर्षवर्धन को टिकट दिया गया है। तथागत के पिता, केके तिवारी, केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और बिहार की राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे।

उन्होंने 1980 और 1984 में बक्सर लोकसभा सीट से सांसद के रूप में कार्य किया और राजीव गांधी सरकार में मंत्री भी रहे। तथागत हर्षवर्धन सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर चुके हैं और जनसुराज पार्टी में शामिल होने से पहले 11 साल तक बक्सर में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष के रूप में राजनीति में अनुभव हासिल कर चुके हैं।

यह भी पढ़े: भारत के कफ सिरप पर WHO की चेतावनी, बच्चों की जान ले रहा है ये जहर!

सात बार चुनाव जीतने वाले नेता के बेटे को भी टिकट

जनसुराज पार्टी ने चैनपुर सीट से हेमंत चौबे को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। हेमंत लालमुनि चौबे के बेटे हैं, जिन्होंने बक्सर से चार बार सांसद और चैनपुर से तीन बार विधायक के रूप में अपने राजनीतिक करियर की लंबी छाप छोड़ी। केंद्र और राज्य दोनों स्तर की राजनीति में सक्रिय रहे लालमुनि चौबे बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। अब उनके बेटे हेमंत चौबे पार्टी के जरिए अपने राजनीतिक वारिस होने का दावा करते हुए मैदान में उतर रहे हैं।

नीतीश के करीबी नेता के वारिस को भी मिली जगह

नालंदा की अस्थावां सीट से जनसुराज पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की बेटी, लता सिंह, को मैदान में उतारा है। आरसीपी सिंह पहले जनता दल यूनाइटेड में थे और लंबे समय तक नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते थे। बाद में उन्होंने जेडीयू छोड़कर जनसुराज पार्टी का दामन थामा। लता सिंह पेशे से वकील हैं और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही हैं। इससे पहले वह पटना हाई कोर्ट में वकालत कर चुकी हैं।    Prashant Kishore

उनके इस कदम ने पार्टी की छवि में पेशेवर और योग्य उम्मीदवारों के मिश्रण को और मजबूत किया है। इस तरह देखा जाए तो प्रशांत किशोर, जो लंबे समय तक राजनीतिक वंशवाद के कट्टर आलोचक रहे हैं, अब उसी पर भरोसा कर बिहार चुनाव में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। अब तक 116 उम्मीदवारों की सूची जारी हो चुकी है, जिसमें 4 राजनीतिक वारिस शामिल हैं। शेष 127 सीटों पर कितने राजनीतिक वारिसों को मौका मिलेगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।    Prashant Kishore

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बिहार विधानसभा चुनाव की हलचल तेज हो चुकी है। पहले चरण के नामांकन जारी हैं और राजनीतिक पार्टियों में हलचल चरम पर है। इस बीच रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने अपनी दूसरी उम्मीदवार सूची का ऐलान कर दिया है। इस सूची में न केवल राजनीतिक परिवारों के नाम शामिल हैं, बल्कि 17 ऐसे दलबदलुओं को भी टिकट मिला है, जिससे पार्टी की रणनीति और वंशवाद की राजनीति पर बहस फिर से उभर गई है। सोमवार को जारी इस दूसरी सूची में कुल 65 उम्मीदवारों के नाम हैं, जिससे अब तक पार्टी ने कुल 116 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।  Prashant Kishore

पहली सूची में ही पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की पोती जागृति ठाकुर को मैदान में उतारकर पार्टी ने राजनीतिक पारिवारिक रिश्तों का जिक्र कर दिया था। इस बार भी सूची में ऐसे नाम शामिल हैं, जिनका बिहार की राजनीति में परिवारिक पृष्ठभूमि रही है, जिससे जनसुराज की चाल ने विरोधियों के लिए नया बहस का मंच तैयार कर दिया है।  Prashant Kishore

दूसरी लिस्ट में विवादित और वंशवादी उम्मीदवारों की एंट्री

जनसुराज पार्टी की दूसरी सूची में 17 ऐसे उम्मीदवार शामिल हैं जिन्होंने हाल ही में अपने पुराने दल छोड़कर पार्टी में शामिल होना चुना। इस लिस्ट में एक नाम विवादास्पद भी है — उस पर हत्या का मामला दर्ज है और वह कई महीने जेल में भी रह चुका है, जिससे पार्टी की रणनीति पर सवाल खड़े हो गए हैं। साथ ही, अब तक जारी दो सूचियों में राजनीतिक वंशवाद की झलक साफ दिखाई दे रही है। पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर, जो पहले वंशवाद के कट्टर आलोचक रहे हैं, इस बार अपनी चुनावी रणनीति में उसी पर भरोसा कर रहे हैं। कुल मिलाकर 4 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनका किसी राजनीतिक परिवार से सीधा नाता है, और यह दिखाता है कि जनसुराज भी पारिवारिक राजनीतिक संबंधों को ताकत बनाकर चुनावी पारी खेलने से पीछे नहीं हट रही।

पूर्व केंद्रीय मंत्री के राजनीतिक वारिस को भी मौका

पहली सूची में जब वंशवाद के सवाल उठाए गए, तो प्रशांत किशोर ने सफाई देते हुए कहा कि जागृति ठाकुर सिर्फ कर्पूरी ठाकुर की पोती नहीं हैं, बल्कि एक डॉक्टर और पढ़ी-लिखी महिला भी हैं, जो मोरवा में लंबे समय से सामाजिक कार्य में जुटी हैं। इसी तरह लता सिंह के मामले में भी पार्टी ने उनका पेशेवर और योग्य पक्ष रेखांकित किया। पार्टी की दूसरी सूची में बक्सर सीट से तथागत हर्षवर्धन को टिकट दिया गया है। तथागत के पिता, केके तिवारी, केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और बिहार की राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे।

उन्होंने 1980 और 1984 में बक्सर लोकसभा सीट से सांसद के रूप में कार्य किया और राजीव गांधी सरकार में मंत्री भी रहे। तथागत हर्षवर्धन सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर चुके हैं और जनसुराज पार्टी में शामिल होने से पहले 11 साल तक बक्सर में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष के रूप में राजनीति में अनुभव हासिल कर चुके हैं।

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सात बार चुनाव जीतने वाले नेता के बेटे को भी टिकट

जनसुराज पार्टी ने चैनपुर सीट से हेमंत चौबे को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। हेमंत लालमुनि चौबे के बेटे हैं, जिन्होंने बक्सर से चार बार सांसद और चैनपुर से तीन बार विधायक के रूप में अपने राजनीतिक करियर की लंबी छाप छोड़ी। केंद्र और राज्य दोनों स्तर की राजनीति में सक्रिय रहे लालमुनि चौबे बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। अब उनके बेटे हेमंत चौबे पार्टी के जरिए अपने राजनीतिक वारिस होने का दावा करते हुए मैदान में उतर रहे हैं।

नीतीश के करीबी नेता के वारिस को भी मिली जगह

नालंदा की अस्थावां सीट से जनसुराज पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की बेटी, लता सिंह, को मैदान में उतारा है। आरसीपी सिंह पहले जनता दल यूनाइटेड में थे और लंबे समय तक नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते थे। बाद में उन्होंने जेडीयू छोड़कर जनसुराज पार्टी का दामन थामा। लता सिंह पेशे से वकील हैं और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही हैं। इससे पहले वह पटना हाई कोर्ट में वकालत कर चुकी हैं।    Prashant Kishore

उनके इस कदम ने पार्टी की छवि में पेशेवर और योग्य उम्मीदवारों के मिश्रण को और मजबूत किया है। इस तरह देखा जाए तो प्रशांत किशोर, जो लंबे समय तक राजनीतिक वंशवाद के कट्टर आलोचक रहे हैं, अब उसी पर भरोसा कर बिहार चुनाव में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। अब तक 116 उम्मीदवारों की सूची जारी हो चुकी है, जिसमें 4 राजनीतिक वारिस शामिल हैं। शेष 127 सीटों पर कितने राजनीतिक वारिसों को मौका मिलेगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।    Prashant Kishore

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भागलपुर में "पीके" का मुस्लिम कार्ड, उतारा हिंदू प्रत्याशी

भागलपुर में "पीके" का मुस्लिम कार्ड, उतारा हिंदू प्रत्याशी
locationभारत
userचेतना मंच
calendar14 OCT 2025 05:58 AM
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बिहार चुनावी रणभूमि में सियासी गरमाहट चरम पर पहुँच चुकी है। जहाँ गठबंधनों में सीटों के बंटवारे को लेकर राजनीतिक रणनीति और खींचतान जारी है, वहीं नेताओं के दल बदलने ने समीकरण और पेचीदा कर दिए हैं। इसी राजनीतिक माहौल में जनसुराज पार्टी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपनी दूसरी उम्मीदवार सूची पेश की है, जिसमें 65 चेहरे शामिल हैं। इस लिस्ट में 7 वकील, 9 डॉक्टर और 4 इंजीनियर जैसे पेशेवर शामिल हैं, जो पार्टी के नए और भरोसेमंद विकल्प पेश करने की कोशिश को दर्शाते हैं।     Bihar Assembly Election 2025

भागलपुर से वकील अभयकांत झा का टिकट सबसे ज्यादा चर्चा में है। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि इस कदम के जरिए प्रशांत किशोर मुस्लिम समुदाय को यह संदेश देना चाहते हैं कि उनके न्याय और सुरक्षा के मुद्दों को वे सिर्फ भाषणों तक सीमित नहीं रखते। इस रणनीति को ब्राह्मण और मुस्लिम दोनों समुदायों को साधने की चाल के रूप में देखा जा रहा है, जो चुनावी समीकरणों को पूरी तरह से प्रभावित कर सकती है।     Bihar Assembly Election 2025

बिहार में चुनावी सरगर्मी और नई सूची

बिहार विधानसभा चुनाव की राजनीति अब और ज्यादा गरम होती जा रही है। गठबंधनों में सीटों के बंटवारे को लेकर जारी खींचतान और नेताओं के दल बदलने ने सियासी समीकरणों को पूरी तरह बदल दिया है। इसी बीच, जनसुराज पार्टी ने अपनी दूसरी उम्मीदवार सूची जारी की है, जिसमें कुल 65 नए चेहरे शामिल हैं। इस लिस्ट में 7 वकील, 9 डॉक्टर और 4 इंजीनियर जैसी पेशेवर पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार हैं, जो पार्टी का नया और भरोसेमंद चेहरा पेश करने का संकेत देते हैं।

सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बन गया है भागलपुर से वकील अभयकांत झा का टिकट। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस कदम के जरिए प्रशांत किशोर मुस्लिम समुदाय को यह संदेश देना चाहते हैं कि उनके न्याय और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को पार्टी गंभीरता से लेती है। वहीं, ब्राह्मण और मुस्लिम दोनों समुदायों को साधने की इस रणनीति को चुनावी समीकरणों को संतुलित करने की चाल के रूप में भी देखा जा रहा है।

कौन हैं अभयकांत झा?

भागलपुर से जनसुराज पार्टी के उम्मीदवार बने अभयकांत झा न्याय और समाज सेवा के क्षेत्र में अपनी मिसाल के लिए जाने जाते हैं। 1989 के भागलपुर दंगों के दौरान उन्होंने मुस्लिम पीड़ितों के करीब 880 मामलों को मुफ्त में लड़ा, जिससे उनकी निष्पक्षता और न्यायप्रियता का शहर में सम्मान बढ़ा। 74 वर्षीय अभयकांत झा सिविल कोर्ट के सीनियर एडवोकेट हैं और बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं। पार्टी में उन्होंने जिले के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर के रूप में भी काम किया है और अब पहली बार विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट मिला है।

ब्राह्मण समाज से आने वाले झा हमेशा से जनहित और सामाजिक मुद्दों में आगे रहे हैं। शिक्षा, समाज सेवा और कानूनी सहायता के क्षेत्र में उनका योगदान उन्हें स्थानीय लोगों के बीच एक भरोसेमंद, ईमानदार और जनता से जुड़े नेता के रूप में स्थापित करता है। उनकी संवेदनशीलता और न्याय के प्रति निष्ठा ने उन्हें भागलपुर का सम्मानित चेहरा बना दिया है।

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भागलपुर दंगा: बिहार का सबसे काला अध्याय

24 अक्टूबर 1989 का दिन भागलपुर के इतिहास में काले अक्षरों में दर्ज है। इस दिन विश्व हिंदू परिषद ने राम शिला पूजन यात्रा निकाली, जिसमें हजारों हिंदू शामिल थे और सुरक्षा के लिए भारी पुलिस बल तैनात था। शुरुआत में शांतिपूर्ण दिखने वाला यह जुलूस अचानक भड़काऊ नारेबाजी का रूप ले गया, जैसे “जय मां काली…”, “बच्चा-बच्चा राम का…” और “मुसलमान जाओ पाकिस्तान। जुलूस के तातारपुर इलाके से गुजरते ही माहौल तनावपूर्ण हो गया और दंगा शुरू हो गया। भगदड़ मची, दुकानों में तोड़फोड़ हुई और पुलिस को स्थिति संभालने के लिए फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए।

अफवाहों ने स्थिति को और भयानक बना दिया: कहा गया कि मुसलमानों ने सैकड़ों हिंदुओं को कुएँ में डाल दिया, और यह खबर पूरे इलाके में फैल गई। कुछ ही घंटों में भागलपुर और आसपास के गांवों में हिंसा का भंवर फैल गया, घर जलाए गए और हजारों लोग पलायन करने को मजबूर हुए। इस दंगे में 116 मुसलमानों की हत्या कर उन्हें दफनाया गया, और ऊपर से उनकी कब्रों पर गोभी रोप दी गई। यह घटना न सिर्फ एक साम्प्रदायिक त्रासदी बन गई, बल्कि बिहार की राजनीतिक और सामाजिक संवेदनाओं पर आज भी गहरा असर छोड़ती है।  Bihar Assembly Election 2025

वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य

भागलपुर की सियासी तस्वीर हमेशा से ही जटिल रही है। वर्तमान में कांग्रेस के अजीत शर्मा इस क्षेत्र से विधायक हैं, जबकि JDU के अजय कुमार मंडल दूसरे स्थान पर रहे। इस विधानसभा क्षेत्र में मुसलमान आबादी लगभग 26% है, जो चुनावी समीकरणों को बेहद नाज़ुक बनाती है। ऐसे में प्रशांत किशोर की रणनीति बेहद सूझ-बूझ वाली नजर आती है। ब्राह्मण और मुस्लिम दोनों समुदायों को ध्यान में रखते हुए अभयकांत झा का टिकट इस बार पार्टी की संतुलित राजनीतिक चाल को दर्शाता है। न केवल यह जनसुराज पार्टी के नए और भरोसेमंद चेहरे को सामने लाता है, बल्कि भागलपुर की संवेदनशील सामाजिक और राजनीतिक परिस्थिति में सामंजस्य कायम करने का भी एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।  Bihar Assembly Election 2025