बदलाव की राजनीति या वंशवाद का फेर? जानें जनसुराज की नई सूची

बिहार विधानसभा चुनाव की हलचल तेज हो चुकी है। पहले चरण के नामांकन जारी हैं और राजनीतिक पार्टियों में हलचल चरम पर है। इस बीच रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने अपनी दूसरी उम्मीदवार सूची का ऐलान कर दिया है। इस सूची में न केवल राजनीतिक परिवारों के नाम शामिल हैं, बल्कि 17 ऐसे दलबदलुओं को भी टिकट मिला है, जिससे पार्टी की रणनीति और वंशवाद की राजनीति पर बहस फिर से उभर गई है। सोमवार को जारी इस दूसरी सूची में कुल 65 उम्मीदवारों के नाम हैं, जिससे अब तक पार्टी ने कुल 116 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। Prashant Kishore
पहली सूची में ही पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की पोती जागृति ठाकुर को मैदान में उतारकर पार्टी ने राजनीतिक पारिवारिक रिश्तों का जिक्र कर दिया था। इस बार भी सूची में ऐसे नाम शामिल हैं, जिनका बिहार की राजनीति में परिवारिक पृष्ठभूमि रही है, जिससे जनसुराज की चाल ने विरोधियों के लिए नया बहस का मंच तैयार कर दिया है। Prashant Kishore
दूसरी लिस्ट में विवादित और वंशवादी उम्मीदवारों की एंट्री
जनसुराज पार्टी की दूसरी सूची में 17 ऐसे उम्मीदवार शामिल हैं जिन्होंने हाल ही में अपने पुराने दल छोड़कर पार्टी में शामिल होना चुना। इस लिस्ट में एक नाम विवादास्पद भी है — उस पर हत्या का मामला दर्ज है और वह कई महीने जेल में भी रह चुका है, जिससे पार्टी की रणनीति पर सवाल खड़े हो गए हैं। साथ ही, अब तक जारी दो सूचियों में राजनीतिक वंशवाद की झलक साफ दिखाई दे रही है। पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर, जो पहले वंशवाद के कट्टर आलोचक रहे हैं, इस बार अपनी चुनावी रणनीति में उसी पर भरोसा कर रहे हैं। कुल मिलाकर 4 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनका किसी राजनीतिक परिवार से सीधा नाता है, और यह दिखाता है कि जनसुराज भी पारिवारिक राजनीतिक संबंधों को ताकत बनाकर चुनावी पारी खेलने से पीछे नहीं हट रही।
पूर्व केंद्रीय मंत्री के राजनीतिक वारिस को भी मौका
पहली सूची में जब वंशवाद के सवाल उठाए गए, तो प्रशांत किशोर ने सफाई देते हुए कहा कि जागृति ठाकुर सिर्फ कर्पूरी ठाकुर की पोती नहीं हैं, बल्कि एक डॉक्टर और पढ़ी-लिखी महिला भी हैं, जो मोरवा में लंबे समय से सामाजिक कार्य में जुटी हैं। इसी तरह लता सिंह के मामले में भी पार्टी ने उनका पेशेवर और योग्य पक्ष रेखांकित किया। पार्टी की दूसरी सूची में बक्सर सीट से तथागत हर्षवर्धन को टिकट दिया गया है। तथागत के पिता, केके तिवारी, केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और बिहार की राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे।
उन्होंने 1980 और 1984 में बक्सर लोकसभा सीट से सांसद के रूप में कार्य किया और राजीव गांधी सरकार में मंत्री भी रहे। तथागत हर्षवर्धन सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर चुके हैं और जनसुराज पार्टी में शामिल होने से पहले 11 साल तक बक्सर में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष के रूप में राजनीति में अनुभव हासिल कर चुके हैं।
यह भी पढ़े: भारत के कफ सिरप पर WHO की चेतावनी, बच्चों की जान ले रहा है ये जहर!
सात बार चुनाव जीतने वाले नेता के बेटे को भी टिकट
जनसुराज पार्टी ने चैनपुर सीट से हेमंत चौबे को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। हेमंत लालमुनि चौबे के बेटे हैं, जिन्होंने बक्सर से चार बार सांसद और चैनपुर से तीन बार विधायक के रूप में अपने राजनीतिक करियर की लंबी छाप छोड़ी। केंद्र और राज्य दोनों स्तर की राजनीति में सक्रिय रहे लालमुनि चौबे बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। अब उनके बेटे हेमंत चौबे पार्टी के जरिए अपने राजनीतिक वारिस होने का दावा करते हुए मैदान में उतर रहे हैं।
नीतीश के करीबी नेता के वारिस को भी मिली जगह
नालंदा की अस्थावां सीट से जनसुराज पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की बेटी, लता सिंह, को मैदान में उतारा है। आरसीपी सिंह पहले जनता दल यूनाइटेड में थे और लंबे समय तक नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते थे। बाद में उन्होंने जेडीयू छोड़कर जनसुराज पार्टी का दामन थामा। लता सिंह पेशे से वकील हैं और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही हैं। इससे पहले वह पटना हाई कोर्ट में वकालत कर चुकी हैं। Prashant Kishore
उनके इस कदम ने पार्टी की छवि में पेशेवर और योग्य उम्मीदवारों के मिश्रण को और मजबूत किया है। इस तरह देखा जाए तो प्रशांत किशोर, जो लंबे समय तक राजनीतिक वंशवाद के कट्टर आलोचक रहे हैं, अब उसी पर भरोसा कर बिहार चुनाव में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। अब तक 116 उम्मीदवारों की सूची जारी हो चुकी है, जिसमें 4 राजनीतिक वारिस शामिल हैं। शेष 127 सीटों पर कितने राजनीतिक वारिसों को मौका मिलेगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। Prashant Kishore
बिहार विधानसभा चुनाव की हलचल तेज हो चुकी है। पहले चरण के नामांकन जारी हैं और राजनीतिक पार्टियों में हलचल चरम पर है। इस बीच रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने अपनी दूसरी उम्मीदवार सूची का ऐलान कर दिया है। इस सूची में न केवल राजनीतिक परिवारों के नाम शामिल हैं, बल्कि 17 ऐसे दलबदलुओं को भी टिकट मिला है, जिससे पार्टी की रणनीति और वंशवाद की राजनीति पर बहस फिर से उभर गई है। सोमवार को जारी इस दूसरी सूची में कुल 65 उम्मीदवारों के नाम हैं, जिससे अब तक पार्टी ने कुल 116 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। Prashant Kishore
पहली सूची में ही पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की पोती जागृति ठाकुर को मैदान में उतारकर पार्टी ने राजनीतिक पारिवारिक रिश्तों का जिक्र कर दिया था। इस बार भी सूची में ऐसे नाम शामिल हैं, जिनका बिहार की राजनीति में परिवारिक पृष्ठभूमि रही है, जिससे जनसुराज की चाल ने विरोधियों के लिए नया बहस का मंच तैयार कर दिया है। Prashant Kishore
दूसरी लिस्ट में विवादित और वंशवादी उम्मीदवारों की एंट्री
जनसुराज पार्टी की दूसरी सूची में 17 ऐसे उम्मीदवार शामिल हैं जिन्होंने हाल ही में अपने पुराने दल छोड़कर पार्टी में शामिल होना चुना। इस लिस्ट में एक नाम विवादास्पद भी है — उस पर हत्या का मामला दर्ज है और वह कई महीने जेल में भी रह चुका है, जिससे पार्टी की रणनीति पर सवाल खड़े हो गए हैं। साथ ही, अब तक जारी दो सूचियों में राजनीतिक वंशवाद की झलक साफ दिखाई दे रही है। पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर, जो पहले वंशवाद के कट्टर आलोचक रहे हैं, इस बार अपनी चुनावी रणनीति में उसी पर भरोसा कर रहे हैं। कुल मिलाकर 4 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनका किसी राजनीतिक परिवार से सीधा नाता है, और यह दिखाता है कि जनसुराज भी पारिवारिक राजनीतिक संबंधों को ताकत बनाकर चुनावी पारी खेलने से पीछे नहीं हट रही।
पूर्व केंद्रीय मंत्री के राजनीतिक वारिस को भी मौका
पहली सूची में जब वंशवाद के सवाल उठाए गए, तो प्रशांत किशोर ने सफाई देते हुए कहा कि जागृति ठाकुर सिर्फ कर्पूरी ठाकुर की पोती नहीं हैं, बल्कि एक डॉक्टर और पढ़ी-लिखी महिला भी हैं, जो मोरवा में लंबे समय से सामाजिक कार्य में जुटी हैं। इसी तरह लता सिंह के मामले में भी पार्टी ने उनका पेशेवर और योग्य पक्ष रेखांकित किया। पार्टी की दूसरी सूची में बक्सर सीट से तथागत हर्षवर्धन को टिकट दिया गया है। तथागत के पिता, केके तिवारी, केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और बिहार की राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे।
उन्होंने 1980 और 1984 में बक्सर लोकसभा सीट से सांसद के रूप में कार्य किया और राजीव गांधी सरकार में मंत्री भी रहे। तथागत हर्षवर्धन सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर चुके हैं और जनसुराज पार्टी में शामिल होने से पहले 11 साल तक बक्सर में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष के रूप में राजनीति में अनुभव हासिल कर चुके हैं।
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सात बार चुनाव जीतने वाले नेता के बेटे को भी टिकट
जनसुराज पार्टी ने चैनपुर सीट से हेमंत चौबे को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। हेमंत लालमुनि चौबे के बेटे हैं, जिन्होंने बक्सर से चार बार सांसद और चैनपुर से तीन बार विधायक के रूप में अपने राजनीतिक करियर की लंबी छाप छोड़ी। केंद्र और राज्य दोनों स्तर की राजनीति में सक्रिय रहे लालमुनि चौबे बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। अब उनके बेटे हेमंत चौबे पार्टी के जरिए अपने राजनीतिक वारिस होने का दावा करते हुए मैदान में उतर रहे हैं।
नीतीश के करीबी नेता के वारिस को भी मिली जगह
नालंदा की अस्थावां सीट से जनसुराज पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की बेटी, लता सिंह, को मैदान में उतारा है। आरसीपी सिंह पहले जनता दल यूनाइटेड में थे और लंबे समय तक नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते थे। बाद में उन्होंने जेडीयू छोड़कर जनसुराज पार्टी का दामन थामा। लता सिंह पेशे से वकील हैं और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही हैं। इससे पहले वह पटना हाई कोर्ट में वकालत कर चुकी हैं। Prashant Kishore
उनके इस कदम ने पार्टी की छवि में पेशेवर और योग्य उम्मीदवारों के मिश्रण को और मजबूत किया है। इस तरह देखा जाए तो प्रशांत किशोर, जो लंबे समय तक राजनीतिक वंशवाद के कट्टर आलोचक रहे हैं, अब उसी पर भरोसा कर बिहार चुनाव में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। अब तक 116 उम्मीदवारों की सूची जारी हो चुकी है, जिसमें 4 राजनीतिक वारिस शामिल हैं। शेष 127 सीटों पर कितने राजनीतिक वारिसों को मौका मिलेगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। Prashant Kishore


