MSP Guarantee Law किसानों के लिए एमएसपी गारंटी कानून लागू करने के सवाल को क्यों टाल गए राहुल गाँधी

MSP Guarantee Law / अशोक बालियान, चेयरमैन, पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन
MSP Guarantee Law : कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गाँधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान करनाल-कुरुक्षेत्र सीमा पर समानाबाहू गांव के पास पत्रकार वार्ता की थी। इस वार्ता ने जब एक पत्रकार ने राहुल गाँधी से सवाल किया कि आपने देश में कृषि कानून विरोधी आंदोलन का समर्थन था और इस आन्दोलन में किसानों की एमएसपी गारंटी की मांग व डॉ. स्वामीनाथन तिपोर्ट लागू करने की मांग भी थी, आपकी सरकार ने भी वर्ष 2006 में आयी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं की थी? क्या यदि आपकी सरकार आती है तो आप स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करेंगे और एमएसपी पर गारंटी देंगे? किसानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एमएसपी पर गारंटी देने व डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने के सवाल को टालते हुए कहा कि यह चर्चा हम अपनी चुनावी मेनिफेस्टो कमेटी में करते हैं। डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट आने के बाद 8 वर्ष तक देश में कांग्रेस पार्टी की सरकार रही थी। इस रिपोर्ट को आये हुये 16 वर्ष हो चुके है, लेकिन राहुल गांधी की पार्टी ने अभी तक इस पर विचार ही नहीं किया।
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कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गाँधी के पत्रकार वार्ता में दिए गए इस बयान से किसान संगठन इस बात से हैरान है कि राहुल गांधी किसान आन्दोलन का समर्थन किस बात को लेकर कर रहे थे या केवल मोदी सरकार का विरोध कर किसानों को गुमराह कर रहे थे। राहुल गाँधी के इस बयान के बाद भी उनकी इस भारत जोड़ो यात्रा में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव और पत्रकार रवीश कुमार सहित कई किसान नेता शामिल हुए और करीब एक किलोमीटर तक राहुल गाँधी साथ चले। इससे पता चलता है कि ये कथित किसान नेता अपना राजनीतिक स्वार्थ पूरा करने के लिए किसानों को गुमराह कर रहे हैं। राहुल गांधी ने किसान हित के तीनों कृषि कानूनों का विरोध सिर्फ राजनीतिक मकसद से किया था। देश में मोदी सरकार किसानों को किसान सम्मान निधि के रूप में सीधा 6 हजार रूपये की सहायता प्रतिवर्ष कर रही है और डॉ स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को भले ही आंशिक रूप से स्वीकार किया, लेकिन इससे किसानों को उनकी लागत का डेढ गुणा देने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। राहुल गांधी भी बताएं कि यूपीए के 10 वर्ष के कार्यकाल में कितने पैसे किसानों को दिए गए? और डॉ स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर उनकी सरकार ने क्या किया था। कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गाँधी, मोदी के साथ जोड़कर जिन उद्योगपतियों का नाम ले रहे हैं क्या वे केवल साढ़े चार साल में पैदा हुए है। देश में उद्योगपति पहले से ही है। जब इंदिरा गांधी थी, राजीव गांधी थे, तब भी ये उद्योगपति थे। क्या उद्योगपति देश से बाहर चले जाएं। यदि कोई उद्योगपति कोई गलती करे तब सवाल उठाना चाहिए, विपक्ष का काम भी यह है। लेकिन बिना सोचे विचारे सिर्फ सत्ता की लालसा में किसानों को गुमराह करना ठीक नहीं है। तीनों कृषि कानूनों के आने के बाद देश में किसानों को अपनी फसल बेचने के एक से अधिक विकल्प मिल गए थे, लेकिन किसानों को गुमराह करने के लिए देश की कांग्रेस पार्टी भी जिम्मेदार है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं व विपक्षी नेताओं ने आजतक ये नहीं बताया कि इन कृषि कानूनों के कौन से प्रावधान से किसानों को नुकसान पहुंच रहा था और किस प्रावधान के तहत पूंजीपतियों को फायदा हो रहा था। और न ये बताया कि इन कानूनों के किस प्रावधान से किसानों की जमीन छीन जाती व किस प्रावधान से पूंजीपति किसान की जमीन पर ऋण ले लेता। देश के किसानों को इन बातों को समझना होगा कि संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेता अपने स्वार्थ में विपक्ष के साथ मिलकर उन्हें गुमराह कर रहे है और उनके हित में लिए जा रहे मोदी सरकार के निर्णयों को उनके विरुद्ध बताकर उनका विरोध कर किसान को पीछे धकेल रहे है। संयुक्त किसान मोर्चा में अनेकों वही चेहरे है, जो विदेशी नागरिकता संशोधन कानून में शाहीन बाग में आन्दोलन को हवा दे रहे थे।
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MSP Guarantee Law / अशोक बालियान, चेयरमैन, पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन
MSP Guarantee Law : कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गाँधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान करनाल-कुरुक्षेत्र सीमा पर समानाबाहू गांव के पास पत्रकार वार्ता की थी। इस वार्ता ने जब एक पत्रकार ने राहुल गाँधी से सवाल किया कि आपने देश में कृषि कानून विरोधी आंदोलन का समर्थन था और इस आन्दोलन में किसानों की एमएसपी गारंटी की मांग व डॉ. स्वामीनाथन तिपोर्ट लागू करने की मांग भी थी, आपकी सरकार ने भी वर्ष 2006 में आयी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं की थी? क्या यदि आपकी सरकार आती है तो आप स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करेंगे और एमएसपी पर गारंटी देंगे? किसानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एमएसपी पर गारंटी देने व डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने के सवाल को टालते हुए कहा कि यह चर्चा हम अपनी चुनावी मेनिफेस्टो कमेटी में करते हैं। डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट आने के बाद 8 वर्ष तक देश में कांग्रेस पार्टी की सरकार रही थी। इस रिपोर्ट को आये हुये 16 वर्ष हो चुके है, लेकिन राहुल गांधी की पार्टी ने अभी तक इस पर विचार ही नहीं किया।
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कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गाँधी के पत्रकार वार्ता में दिए गए इस बयान से किसान संगठन इस बात से हैरान है कि राहुल गांधी किसान आन्दोलन का समर्थन किस बात को लेकर कर रहे थे या केवल मोदी सरकार का विरोध कर किसानों को गुमराह कर रहे थे। राहुल गाँधी के इस बयान के बाद भी उनकी इस भारत जोड़ो यात्रा में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव और पत्रकार रवीश कुमार सहित कई किसान नेता शामिल हुए और करीब एक किलोमीटर तक राहुल गाँधी साथ चले। इससे पता चलता है कि ये कथित किसान नेता अपना राजनीतिक स्वार्थ पूरा करने के लिए किसानों को गुमराह कर रहे हैं। राहुल गांधी ने किसान हित के तीनों कृषि कानूनों का विरोध सिर्फ राजनीतिक मकसद से किया था। देश में मोदी सरकार किसानों को किसान सम्मान निधि के रूप में सीधा 6 हजार रूपये की सहायता प्रतिवर्ष कर रही है और डॉ स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को भले ही आंशिक रूप से स्वीकार किया, लेकिन इससे किसानों को उनकी लागत का डेढ गुणा देने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। राहुल गांधी भी बताएं कि यूपीए के 10 वर्ष के कार्यकाल में कितने पैसे किसानों को दिए गए? और डॉ स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर उनकी सरकार ने क्या किया था। कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गाँधी, मोदी के साथ जोड़कर जिन उद्योगपतियों का नाम ले रहे हैं क्या वे केवल साढ़े चार साल में पैदा हुए है। देश में उद्योगपति पहले से ही है। जब इंदिरा गांधी थी, राजीव गांधी थे, तब भी ये उद्योगपति थे। क्या उद्योगपति देश से बाहर चले जाएं। यदि कोई उद्योगपति कोई गलती करे तब सवाल उठाना चाहिए, विपक्ष का काम भी यह है। लेकिन बिना सोचे विचारे सिर्फ सत्ता की लालसा में किसानों को गुमराह करना ठीक नहीं है। तीनों कृषि कानूनों के आने के बाद देश में किसानों को अपनी फसल बेचने के एक से अधिक विकल्प मिल गए थे, लेकिन किसानों को गुमराह करने के लिए देश की कांग्रेस पार्टी भी जिम्मेदार है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं व विपक्षी नेताओं ने आजतक ये नहीं बताया कि इन कृषि कानूनों के कौन से प्रावधान से किसानों को नुकसान पहुंच रहा था और किस प्रावधान के तहत पूंजीपतियों को फायदा हो रहा था। और न ये बताया कि इन कानूनों के किस प्रावधान से किसानों की जमीन छीन जाती व किस प्रावधान से पूंजीपति किसान की जमीन पर ऋण ले लेता। देश के किसानों को इन बातों को समझना होगा कि संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेता अपने स्वार्थ में विपक्ष के साथ मिलकर उन्हें गुमराह कर रहे है और उनके हित में लिए जा रहे मोदी सरकार के निर्णयों को उनके विरुद्ध बताकर उनका विरोध कर किसान को पीछे धकेल रहे है। संयुक्त किसान मोर्चा में अनेकों वही चेहरे है, जो विदेशी नागरिकता संशोधन कानून में शाहीन बाग में आन्दोलन को हवा दे रहे थे।








अंशु नैथानी[/caption]
Brazil[/caption]
संजीव रघुवंशी (वरिष्ठ पत्रकार)[/caption]
Gender Equality : लैंगिक समता के मामले में भारत 146 देशों में से 135 वें पायदान पर है। हद तो यह है कि दक्षिण एशिया में सिर्फ पाकिस्तान और अफगानिस्तान ही हमसे पीछे हैं। रिपोर्ट की समता सूची बताती है कि हम बांग्लादेश से 60 पायदान पीछे हैं, जबकि नेपाल से 39, श्रीलंका से 25, मालदीव से 18 और भूटान से 9 पायदान पीछे हैं। महिला स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा के लिहाज से तो हमारी स्थिति एकदम गई-गुजरी है।