Covid vs Heart Attack : कोरोना के बाद बढ़े थे हार्ट अटैक के मामले, अब हालात सामान्य : डॉ. अजय कौल

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Heart attack cases increased after Corona, now the situation is normal: Dr. Ajay Kaul
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calendar29 Nov 2025 09:46 PM
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नई दिल्ली। भारत में पिछले कुछ सालों में दिल संबंधी बीमारी के कारण मौत की घटनाएं बड़ी संख्या में सामने आई हैं। बैठे-बैठे और राह चलते भी दिल का दौरा पड़ने से लोगों की मौत की घटनाएं सुर्खियां बनी हैं। इन्हीं सब मुद्दों पर देश के जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ और नोएडा के फोर्टिस अस्पताल के हृदय विज्ञान (कार्डियक साइंस) विभाग के अध्यक्ष डॉ. अजय कौल से पांच सवाल और उनके जवाब

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सवाल : चलते-चलते, बैठे-बैठे, नृत्य करते और गाना गाते-गाते लोगों को दिल का दौरा पड़ रहा है और मौतें हो रही हैं। इन घटनाओं को आप किस प्रकार देखते हैं?

Covid vs Heart Attack

जवाब : आज से करीब 30-40 साल पहले दिल का दौरा पड़ने की घटनाएं बहुत कम होती थीं। अब धीरे-धीरे बहुत सारी चीजें बदल गई हैं। इस वजह से लोगों की आदतों में भी काफी बदलाव आया है। धूम्रपान, शराब का सेवन, मधुमेह और रक्तचाप की बीमारी के साथ-साथ तनाव बहुत आम हो गया है। इन सभी वजहों से दिल का दौरा पड़ने की घटनाएं बढ़ी हैं। सवाल : लेकिन कम उम्र के लोग भी अब इसका शिकार हो रहे हैं? जवाब : यह बात बिल्कुल सही है। पहले 60-65 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ता था, लेकिन हाल के कुछ सालों में देखा गया है कि अब तो 20-22 वर्ष से लेकर 35-40 वर्ष की उम्र तक के लोगों के साथ भी ऐसा हो रहा है। जैसा कि मैंने पहले कहा है कि कुछ गलत आदतें और कुछ बीमारियां इसकी एक बड़ी वजह हैं, लेकिन साथ ही हमें अपने दिल का ध्यान भी रखना होता है। आमतौर पर हम हृदय जांच नहीं कराते। हमें हृदय जांच भी करानी चाहिए, ताकि पता चले कि कोई समस्या तो नहीं है। अगर आपको दिल संबंधी कोई समस्या है तो ऐसे मरीजों को भारी व्यायाम नहीं करना चाहिए, तनाव नहीं लेना चाहिए, खानपान और दिनचर्या का बहुत ख्याल रखना चाहिए। अगर आपका दिल सामान्य है तो तो आप किसी भी स्तर का तनाव ले सकते हैं, लेकिन आपको अगर छोटी-मोटी भी समस्या है तो आप एक स्तर से ज्यादा तनाव नहीं ले सकते हैं। यह लोग समझते ही नहीं हैं। इसी की वजह से अचानक ऐसी घटनाएं हो रही हैं।

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सवाल : दिल का दौरा पड़ने के संकेतों की पहले पहचान कैसे की जा सकती है? जवाब : दिल का दौरा पड़ने के तीन सबसे बड़े कारण मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप हैं। जैसे अगर किसी को मधुमेह है, उसको मालूम ही नहीं है कि उसे यह बीमारी है, क्योंकि इसका लक्षण मौजूद नहीं है। उच्च रक्तचाप 170 से ऊपर जाता है, तब सिर में दर्द होता है, अन्यथा इसका पता नहीं चलता। कोलेस्ट्रॉल का भी पता नहीं चलता। किडनी और लीवर से संबंधित बीमारियों के लक्षण पता चल जाते हैं। इसमें डॉक्टर की सलाह लेना और नियमित जांच जरूरी है। अगर आप डॉक्टर के पास जाएंगे तो वह आपको बताएगा कि आप इससे ज्यादा मेहनत नहीं कर सकते, एक सीमा से अधिक तनाव नहीं ले सकते और अगर इससे ज्यादा आप करेंगे तो दिल का दौरा पड़ने की आशंका रहेगी। इसलिए इकोकार्डियोग्राफी (इको) और इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) की जांच जरूर कराएं।

Covid vs Heart Attack

सवाल : सावधानी और बचाव के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि मौत की आशंका को कम किया जा सके? जवाब : सबसे पहला काम बुरी आदत या लत में सुधार करना है। बीमारी के पारिवारिक इतिहास का ख्याल रखना भी आवश्यक है। आप बहुत तनाव में काम करते हैं। आपको अक्सर पसीना बहुत आ रहा है, छाती में भारीपन लग रहा है तो आप तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। कोई भारी व्यायाम न करें। अपने रक्तचाप, मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच कराएं और सब कुछ सामान्य है तो भी 40-45 वर्ष की उम्र में दिल की जांच जरूर कराएं। हालांकि यदि इस प्रकार की बीमारी का पारिवारिक इतिहास रहा है, मसलन आपके घर में किसी की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है या फिर किसी को यह दौरा पड़ा है और रक्तचाप, मधुमेह एवं कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं रही हैं, तो फिर 20 साल की उम्र में दिल की जांच करा लेनी चाहिए। एक और अहम चीज, रोजाना तीन किलोमीटर पैदल जरूर चलें। पहले 60 मिनट में तीन किलोमीटर चलें, फिर यह समयसीमा कम करके 50 मिनट और उसके बाद 40 मिनट तक ले आएं। अगर आप हर दिन ऐसा करते हैं तो इससे अच्छा कोई व्यायाम नहीं है, लेकिन लोग शरीर बनाने के लिए जिम के चक्कर में पड़ जाते हैं। सवाल : दिल का दौरा पड़ने की हाल की घटनाओं को कोरोना महामारी और टीकों के प्रभाव के रूप में भी देखा जा रहा है। आप इस बारे में क्या कहेंगे? जवाब : इस बारे में निष्कर्ष निकालने के लिए अभी कोई ठोस आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। हां, इतना जरूर है कि कोरोना से पहले अगर 10 लोगों को दिल का दौरा पड़ता था, तो उसके बाद ऐसे मरीजों की संख्या बढ़कर 20 हो गई। कोरोना की वजह से लोगों को कई तरह की समस्याएं आ रही थीं। दिल से संबंधित समस्याएं भी थीं, लेकिन अब यह समस्या नहीं है। कोविड-19 का असर बहुत कम हुआ है। अब धीरे-धीरे स्थितियां पहले की ओर लौट रही हैं। कोविड के दो साल में जरूर बहुत ज्यादा समस्याएं आईं, लेकिन अब सब सामान्य होता जा रहा है। हां, लेकिन जिन्हें कोविड के समय फेफड़ों की समस्या हुई थी, उनके फेफड़े अब भी पूरी तरीके से विकसित नहीं हुए हैं। फेफड़ों पर अब भी कोविड का असर शेष है। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Gene Therapy for Eye : जीन थेरेपी करेगी आँखो की अनुवांशिक बीमारी का इलाज

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Gene Therapy for Eye: Gene therapy will cure genetic disease of eyes
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calendar11 Mar 2023 03:28 PM
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  Gene Therapy for Eye :आँखो की आनुवंशिक बीमारी का इलाज जीन थेरेपी (Gene Therapy) से अब संभव हो गया है ।आईआईटी के वैज्ञानिकों ने अब आँखो के इलाज के लिये जीन थेरेपी विकसित की है । जीन थेरेपी (Gene Therapy)  का उपयोग  किसी भी वंशानुगत बिमारी के इलाज के लिये किया जाता है ।इसमे कोशिकाओं और ऊतकों मे किसी जीन को प्रविष्ट करा कर किसी बीमारी का इलाज किया जाता हैं ।इसका लाभ हर किसी को मिले इसके लिये आईआईटी संस्थान (IIT Institute) ने रिलायंस लाईफ साइंसेज (Reliance Life Sciences) के साथ समझौता कर उसे इस तकनीक का लाईसेंस दिया है ।

Gene Therapy for Eye :

  रिलांयस इस तकनीक के इस्तेमाल के लिये मशीनें बनाएगा।जिसका प्रयोग करके चिकित्सक आँखो के जेनेटिक रोग ठीक कर सकेंगे।इस मौके पर आईआईटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर और रिलायंस लाइफ साइंसेज के अध्यक्ष केवी सुब्रमण्यम मौजूद रहे।आईआईटी के प्रो. जयनधरन गिरिधर राव व शुभम मौर्य ने अनुवांशिक विकार के इलाज के लिये जीन संशोधन करने की तकनीक विकसित की है,जिसका पेटेंट भी मिल गया है ।

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प्रो.राव ने बताया की तकनीक मे कई वंशानुगत बिमारियों विशेष रूप से वंशानुगत आँखो की बीमारियों के लिये जीन सुधार करने की क्षमता है ।इस तकनीक के एनिमल ट्रायल मे द्रष्टि दोष को ठीक करने मे सफलता मिली है ।आईआईटी कानपुर में, हम ऐसे  कई आनुवंशिक विकारों के लिए निकट भविष्य में  कई प्रभावशाली तकनीकों को विकसित होते देख रहे हैं और आने वाले वर्षों में इसके प्रभाव को देखने के लिए उत्साहित हैं वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है कि इस थेरेपी की मदद से मानव कोशिकाओं मे माइटोकॉन्ड्रियल प्रदर्शन में सुधार किया जिसमें OPA1 जीन में उत्परिवर्तन शामिल था, जिससे उम्मीद है कि यह लोगों के इलाज मे काफी प्रभावी हो सकता है।जल्द ही लोगो को इसका लाभ मिलेगा।

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Health : छात्राओं, महिलाओं को सस्ती दरों पर सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराएगी महाराष्ट्र सरकार

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Maharashtra government will provide sanitary napkins to girl students, women at affordable rates
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calendar02 Dec 2025 12:01 AM
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मुंबई। महाराष्ट्र सरकार स्कूली छात्राओं और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की महिलाओं को रियायती दरों पर सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराएगी। इसके लिए सरकार एक महीने के भीतर योजना शुरू करेगी। राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री गिरीश महाजन ने शुक्रवार को विधानसभा में यह जानकारी दी।

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एक महीने के भीतर योजना शुरू करेगी सरकार

महाजन ने प्रश्नकाल के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विधायक नमिता मुंदडा के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सरकार स्कूली छात्राओं के लिए आठ सैनिटरी नैपकिन के पैकेट की कीमत एक रुपये निर्धारित करने पर विचार कर रही है। मुंदडा ने कहा कि ग्रामीण छात्राओं को आठ सैनिटरी नैपकिन का पैकेट पांच रुपये में उपलब्ध कराने से जुड़ी अस्मिता योजना 2022 में बंद कर दी गई थी। उन्होंने सरकार से इस योजना को फिर शुरू करने का आग्रह किया।

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बजट में 100 करोड़ रुपये का प्रावधान

महाजन ने कहा कि हमने राज्य के बजट में अब इस बाबत 100 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया है। हम आठ सैनिटरी नैपकिन के पैकेट की कीमत पांच रुपये से घटाकर एक रुपये करने पर विचार कर रहे हैं। हम शहरी क्षेत्रों में इस योजना के कार्यान्वयन की संभावनाएं तलाश रहे हैं। हम सैनिटरी नैपकिन को आसानी से उपलब्ध कराने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि इस संबंध में एक महीने के भीतर अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा।

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भाजपा सदस्य भारती लावेकर ने लड़कियों और महिलाओं को मुफ्त में सैनिटरी नैपकिन वितरित करने और इन्हें राशन की दुकानों पर उपलब्ध कराने की मांग की। कांग्रेस विधायक एवं राज्य की पूर्व स्कूल शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड ने कहा कि अस्मिता योजना पंकजा मुंडे के कार्यकाल में बनाई गई थी, जो 2014 से 2019 तक ग्रामीण विकास मंत्री थीं। उन्होंने कहा कि लड़कियों और कम उम्र की महिलाओं की मासिक धर्म स्वच्छता की रक्षा के लिए सभी महिला विधायकों ने इस योजना पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। गायकवाड ने यह बताने की मांग की कि इस योजना को क्यों बंद कर दिया गया और सरकार इसे बेहतर बनाने के लिए क्या कदम उठाने जा रही है।

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इस पर महाजन ने कहा कि सरकार अस्मिता योजना में सुधार करने को लेकर सकारात्मक है। उन्होंने बताया कि 2018 से 2022 तक 19 लाख स्कूली छात्राएं और एसएचजी की 29 लाख महिलाएं इस योजना से लाभान्वित हुईं। महाजन ने कहा कि इस योजना की अवधि 2022 में समाप्त हो गई। हम स्कूली छात्राओं को आठ सैनिटरी नैपकिन का पैकेट एक रुपये में और एसएचजी की महिलाओं को न्यूनतम दरों पर उपलब्ध कराने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।