ट्रंप का बड़ा कदम: फेडरल रिजर्व गवर्नर लिसा कुक बर्खास्त

ट्रंप का बड़ा कदम: फेडरल रिजर्व गवर्नर लिसा कुक बर्खास्त
locationभारत
userचेतना मंच
calendar26 Aug 2025 11:24 AM
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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने फेडरल रिजर्व की गवर्नर लिसा कुक को हटाकर अमेरिकी मौद्रिक नीति और राजनीति दोनों में हलचल पैदा कर दी है। ट्रंप ने अपने पत्र में कुक पर गृह ऋण आवेदनों में गलत बयानी का आरोप लगाया, जो फेडरल हाउसिंग फाइनेंस एजेंसी के निदेशक बिल पुल्टे के दावे पर आधारित है। ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किए गए पत्र में फेडरल हाउसिंग फाइनेंस एजेंसी के निदेशक बिल पुल्टे के आरोपों का हवाला देते हुए कहा कि कुक ने गृह ऋण आवेदन से जुड़े मामलों में गलत बयानी की थी। उल्लेखनीय है कि पुल्टे की ओर से न्याय विभाग में इस बाबत जांच की मांग किए जाने के चार दिन बाद ही ट्रंप का यह कदम सामने आया है।  America News

कुक का पलटवार

बर्खास्तगी के तुरंत बाद कुक ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप ने मुझे तथाकथित 'कारण बताकर' पद से हटाने का दावा किया है, जबकि क़ानून उन्हें ऐसा कोई अधिकार नहीं देता। मैं इस्तीफा नहीं दूंगी और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की सेवा जारी रखूंगी। कुक फेडरल रिज़र्व बोर्ड में गवर्नर के पद पर पहुंचने वाली पहली अश्वेत महिला हैं। उनकी नियुक्ति 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने की थी। कुक ने अपनी पैरवी के लिए नामचीन वकील एब्बे लोवेल को नियुक्त किया है। लोवेल ने बयान जारी कर कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप का यह फैसला क़ानूनी प्रक्रिया से रहित है। वे बार-बार सोशल मीडिया का इस्तेमाल धमकाने और दबाव बनाने के लिए करते हैं। हम अदालत में इस अवैध कार्रवाई को चुनौती देंगे।"

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राजनीतिक और वित्तीय हलकों में हलचल

ट्रंप के कदम पर सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे "अवैध और निराशा से उपजा निर्णय" बताते हुए कहा कि, "यह फेडरल रिज़र्व अधिनियम का उल्लंघन है और अदालत इसे पलट देगी।" वित्तीय सलाहकार फर्म रेमंड जेम्स के प्रबंध निदेशक एडवर्ड मिल्स के मुताबिक, "यह फैसला फेड की स्वतंत्रता पर ऐतिहासिक हमला है। इसका असर बाजार पर नकारात्मक हो सकता है और भविष्य की नीतियों को लेकर अनिश्चितता बढ़ेगी।  America News

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बलोचिस्तान में फिर भड़की हिंसा, बरसी पर BLA ने सेना को बनाया निशाना

बलोचिस्तान में फिर भड़की हिंसा, बरसी पर BLA ने सेना को बनाया निशाना
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 11:15 AM
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बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के ‘ऑपरेशन हेरोफ’ की पहली वर्षगांठ पर सोमवार को बलोचिस्तान के कई हिस्सों में हिंसक झड़पें और नाकाबंदियां देखने को मिलीं। बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के कुख्यात ‘ऑपरेशन हेरोफ’ की पहली बरसी पर सोमवार को पूरा बलोचिस्तान अशांत हो उठा। मस्तुंग जिले के आमच बांध इलाके में बीएलए लड़ाकों और पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई, जिसमें कई सैनिकों के मारे जाने और घायल होने की खबर है। प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया कि हेलीकॉप्टरों से शवों और घायलों को क्वेटा ले जाया गया, जबकि हालात काबू में करने के लिए अतिरिक्त फौज तैनात कर दी गई है।  Balochistan News

कई जिलों में तनाव और नाकाबंदी

‘द बलोचिस्तान पोस्ट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, बीएलए के लड़ाकों ने मस्तुंग के दश्त इलाके में चौकियां स्थापित कीं। दिन में कडकोचा क्षेत्र में भी हथियारबंद लोगों ने राजमार्ग बंद कर दिया, जिससे घंटों यातायात ठप रहा। केच जिले के कलातुक में विद्रोहियों ने मुख्य मार्ग पर लेवी चौकी पर कब्जा किया और जवानों को कुछ समय के लिए बंधक बनाया। उन्हें बाद में छोड़ दिया गया, लेकिन हथियार जब्त कर लिए गए। वहीं, सिबी जिले के मिथरी क्षेत्र में सुरक्षा चौकी पर हमला किया गया और तुरबत में पाकिस्तानी बलों को निशाना बनाकर ग्रेनेड विस्फोट किया गया। सूत्रों के मुताबिक, इन घटनाओं में दो से अधिक जवान हताहत हुए।

सुरक्षा सख्त, ट्रेन सेवाएं भी प्रभावित

बढ़ती असुरक्षा को देखते हुए पाकिस्तानी प्रशासन ने कई जिलों में पाबंदियां कड़ी कर दी हैं। रेलवे ने क्वेटा-पेशावर के बीच चलने वाली जफर एक्सप्रेस को दो दिनों के लिए निलंबित कर दिया है। बसीमा में रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक आवागमन रोक दिया गया है। केच के नसीराबाद क्षेत्र में बाजार बंद हैं।
इसके अलावा, जियारत में 10 अगस्त को अफसर अफजल बाकी और उनके बेटे के अपहरण के बाद से लगातार कर्फ्यू जैसे हालात हैं। वहां स्कूल, कॉलेज और दुकानें बंद हैं। कई जिलों में इंटरनेट, मोबाइल और बैंकिंग सेवाएं भी निलंबित हैं।

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क्या है ‘ऑपरेशन हेरोफ’?

बीएलए ने 25 अगस्त 2024 को ‘ऑपरेशन हेरोफ’ की शुरुआत की थी, जिसे संगठन ने बलोचिस्तान को “पुनः प्राप्त करने” की लड़ाई का पहला चरण बताया था। ‘हेरोफ’ शब्द का अर्थ बलोची और ब्राहुई भाषाओं में “काला तूफान” होता है। इस बहुचरणीय अभियान में बीएलए की मजीद ब्रिगेड, स्पेशल टैक्टिकल ऑपरेशंस स्क्वॉड (एसटीओएस) और फतेह स्क्वॉड की विशेष इकाइयों ने हिस्सा लिया था।

लगभग 20 घंटे चले इस हमले के दौरान विद्रोहियों ने दावा किया था कि उन्होंने 130 से अधिक पाक सैनिकों को मार गिराया और कई जिलों में सरकारी प्रतिष्ठानों, पुलिस व लेवी चौकियों तथा राजमार्गों पर कब्जा जमाया। रेलवे पुल उड़ाए गए, सड़कें बंद की गईं और हथियार लूटे गए। उस समय इसे बलोच विद्रोह के इतिहास की सबसे बड़ी समन्वित कार्रवाई करार दिया गया था। तब से बीएलए समय-समय पर अपने अभियानों को अंजाम देता आ रहा है।  Balochistan News

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भारत पर ट्रंप का 50% टैरिफ लागू: अब देश के सामने क्या हैं विकल्प ?

भारत पर ट्रंप का 50% टैरिफ लागू: अब देश के सामने क्या हैं विकल्प ?
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 01:37 AM
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी आखिरकार हकीकत बन गई है। रूस से कच्चे तेल की बड़ी मात्रा में खरीद पर नाराज़ अमेरिका ने भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, जो आज से प्रभावी हो गया। इसके साथ ही भारत पर अमेरिका का कुल टैरिफ बोझ बढ़कर 50% हो गया है। इस कदम के बाद भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो अमेरिकी व्यापार नीति के सबसे सख्त दायरे में हैं—ब्राज़ील इसका पहला उदाहरण है।   Trump Tariffs

अमेरिकी प्रशासन ने साफ कर दिया है कि यह टैरिफ रूस से भारत की बढ़ती ऊर्जा साझेदारी का सीधा जवाब है। इससे पहले 1 अगस्त को ट्रंप ने 25% शुल्क लगाया था, जिसे आज दोगुना कर दिया गया। नई अधिसूचना के मुताबिक 27 अगस्त की मध्यरात्रि से ही नया दर लागू हो गया है।

किन क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा असर?

हालांकि दवाओं, सेमीकंडक्टर और ऊर्जा से जुड़े कुछ क्षेत्रों को इस टैरिफ से छूट मिली है, लेकिन भारतीय निर्यात का बड़ा हिस्सा—टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण, चमड़ा, केमिकल्स, मरीन प्रोडक्ट्स और ऑटो पार्ट्स—सीधे झटके की जद में आ गया है। भारत का अमेरिका को निर्यात 87 अरब डॉलर का है, जो देश की जीडीपी का लगभग 2.5% है। ऐसे में 50% टैरिफ का असर हल्के में नहीं लिया जा सकता। वहीं, व्यापार घाटे पर भी इसका असर साफ दिखेगा। साल 2024 में भारत का अमेरिका के साथ ट्रेड डेफिसिट 45.8 अरब डॉलर था, जो अब और बढ़ने का अंदेशा है।

क्यों नहीं बनी बात?

India-US व्यापार समझौते पर महीनों से बातचीत चल रही थी, लेकिन ट्रंप प्रशासन भारत से अपने कृषि और डेयरी उत्पादों पर भारतीय बाजार खोलने की लगातार मांग कर रहा था। भारत किसानों के हितों को देखते हुए इस शर्त को मानने को तैयार नहीं था। लिहाज़ा बातचीत की राह लगभग बंद हो चुकी है और टैरिफ का रास्ता और कठिन होता जा रहा है।

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भारत के सामने अब क्या रास्ते खुले हैं?

1. नए बाज़ारों की तलाश - अमेरिकी बाज़ार महंगा पड़ने के बाद भारत के लिए सबसे सीधा विकल्प नए निर्यात गंतव्यों की खोज है। यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीकी देशों में व्यापार बढ़ाकर अमेरिका पर निर्भरता घटाई जा सकती है। इससे न केवल भारतीय निर्यातकों को राहत मिलेगी, बल्कि टैरिफ के असर को भी संतुलित किया जा सकेगा।

2. रूस के साथ नई रणनीति - अमेरिका का गुस्सा दरअसल भारत-रूस तेल व्यापार पर है। ऐसे में भारत रूस के साथ वैकल्पिक व्यवस्थाओं को मजबूत कर सकता है—जैसे रुपये-रूबल भुगतान प्रणाली या तेल और गैस में नई साझेदारियां। रूस लगातार भारतीय उत्पादों के लिए अपने बाज़ार खोलने का भरोसा दे रहा है। साथ ही, भारत वेनेजुएला और अफ्रीका जैसे देशों से भी तेल के नए स्रोत तलाश सकता है।

3. जवाबी टैरिफ की तैयारी - भारत भी चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाकर पलटवार कर सकता है। 2019 में भारत ने बादाम, सेब और स्टील पर इसी तरह के कदम उठाए थे। अगर बातचीत का कोई रास्ता नहीं निकलता, तो कृषि और तकनीकी उपकरण जैसे अमेरिकी उत्पाद भारत के जवाबी कदम का निशाना बन सकते हैं।

4. घरेलू उद्योगों को राहत - सरकार टैरिफ से प्रभावित क्षेत्रों को सब्सिडी और प्रोत्साहन देकर संभाल सकती है। खासतौर पर टेक्सटाइल और आईटी सेक्टर में राहत पैकेज देकर घरेलू उद्योगों को मज़बूत करना भारत के लिए व्यवहारिक विकल्प होगा।  Trump Tariffs