क्यों विशेष है इस बार करवा चौथ का व्रत? पांच साल बाद बना ऐसा योग

- मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़
कार्तिक कृष्ण पक्ष में करक चतुर्थी अर्थात करवा चौथ (karwa chauth 2021) का लोकप्रिय व्रत सुहागिन और अविवाहित स्त्रियां (married and unmarried women) पति की मंगल कामना एवं दीर्घायु के लिए निर्जल रखती हैं। इस दिन न केवल चंद्र देवता की पूजा होती है अपितु शिव-पार्वती और कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है। इस दिन विवाहित महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए गौरी पूजन का भी विशेष महात्म्य है। आधुनिक युग में चांद से जुड़ा यह पौराणिक पर्व महिला दिवस से कम नहीं है जिसे पति व मंगेतर अपनी अपनी आस्थानुसार मनाते हैं।
क्यों है खास इस बरस करवा चौथ ?
व्यावहारिक दृष्टि से इस बार कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 24 तारीख, दिन रविवार को पड़ रही है, जब अधिकांशतः कार्यालयों तथा व्यापारिक प्रतिष्ठानों में अवकाश होता है। इसलिए कामकाजी महिलाओं के लिए, व्रत रखना सुगम रहेगा। दूसरे ज्योतिषीय दृष्टि से करवा चौथ पर चंद्रमा अपने सर्वप्रिय नक्षत्र रोहिणी में उदित होंगे जो अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन चंद्र दर्शन से बहुत सी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह संयोग पांच साल बाद बन रहा है। यदि करवा चौथ रविवार या मंगलवार को पड़े तो यह कर्क चतुर्थी अधिक शुभ एवं शक्तिशाली मानी जाती है।
अंक शास्त्र के अनुसार इस वर्ष करवा 24 तारीख को है अर्थात 6 का अंक जो शुक्र का प्रतिनिधित्व करता है। शुक्र ग्रह ,महिलाओं, सुहाग, ऐश्वर्य, विलासिता,पति- पत्नी के संबंधों का प्रतीक है, इसलिए भी इस बार का व्रत बहुत सौभाग्य शाली होगा। जिनका जन्म 6,15,24 तारीखों या शुक्रवार को हुआ है, वे यह व्रत अवश्य रखें।
कब निकलेगा चांद ? चतुर्थी रविवार को सुबह 3 बजे आरंभ होगी और 25 अक्तूबर, सोमवार की सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। रविवार को चांद सायंकाल 8 बजकर 03 मिनट पर निकलेगा परंतु सपष्ट रुप से साढ़े 8 बजे के बाद ही नजर आएगा।
पूजन का शुभ समय
सायंकाल 7 बजे से 9 बजे तक रहेगा।
कैसे करें पारंपरिक व्रत? प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके पति,पुत्र,पौत्र,पत्नी तथा सुख सौभाग्य की कामना की इच्छा का संकल्प लेकर निर्जल व्रत रखें। शिव ,पार्वती, गणेश व कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र का पूजन करें। बाजार में मिलने वाला करवा चौथ का चित्र या कैलेंडर पूजा स्थान पर लगा लें। चंद्रोदय पर अर्घ्य दें। पूजा के बाद तांबे या मिटट्ी के करवे में चावल, उड़द की दाल भरें।
सुहाग की सामग्री
कंघी,सिंदूर ,चूड़ियां,रिबन, रुपये आदि रखकर दान करें। सास के चरण छूकर आर्शीवाद लें और फल, फूल, मेवा, बायन, मिष्ठान,बायना, सुहाग सामग्री, 14पूरियां,खीर आदि उन्हें भेंट करें। विवाह के प्रथम वर्ष तो यह परंपरा सास के लिए अवश्य निभाई जाती है। इससे सास- बहू के रिश्ते और मजबूत होते हैं।
करवा चौथ की पूजा विधि?
- करवा चौथ वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें। अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लें-
'मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये'
पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें-
'ऊॅ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥'
करवा चौथ में सरगी
करवा चौथ के दिन सरगी का भी विशेष महत्व है। इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं और लड़कियां सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद सरगी खाती हैं। सरगी आमतौर पर सास तैयार करती है। सरगी में सूखे मेवे, नारियल, फल और मिठाई खाई जाती है। अगर सास नहीं है तो घर का कोई बड़ा भी अपनी बहू के लिए सरगी बना सकता है। जो लड़कियां शादी से पहले करवा चौथ का व्रत रख रही हैं उसके ससुराल वाले एक शाम पहले उसे सरगी दे आते हैं। सरगी सुबह सूरज उगने से पहले खाई जाती है ताकि दिन भर ऊर्जा बनी रहे।
- मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़
कार्तिक कृष्ण पक्ष में करक चतुर्थी अर्थात करवा चौथ (karwa chauth 2021) का लोकप्रिय व्रत सुहागिन और अविवाहित स्त्रियां (married and unmarried women) पति की मंगल कामना एवं दीर्घायु के लिए निर्जल रखती हैं। इस दिन न केवल चंद्र देवता की पूजा होती है अपितु शिव-पार्वती और कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है। इस दिन विवाहित महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए गौरी पूजन का भी विशेष महात्म्य है। आधुनिक युग में चांद से जुड़ा यह पौराणिक पर्व महिला दिवस से कम नहीं है जिसे पति व मंगेतर अपनी अपनी आस्थानुसार मनाते हैं।
क्यों है खास इस बरस करवा चौथ ?
व्यावहारिक दृष्टि से इस बार कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 24 तारीख, दिन रविवार को पड़ रही है, जब अधिकांशतः कार्यालयों तथा व्यापारिक प्रतिष्ठानों में अवकाश होता है। इसलिए कामकाजी महिलाओं के लिए, व्रत रखना सुगम रहेगा। दूसरे ज्योतिषीय दृष्टि से करवा चौथ पर चंद्रमा अपने सर्वप्रिय नक्षत्र रोहिणी में उदित होंगे जो अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन चंद्र दर्शन से बहुत सी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह संयोग पांच साल बाद बन रहा है। यदि करवा चौथ रविवार या मंगलवार को पड़े तो यह कर्क चतुर्थी अधिक शुभ एवं शक्तिशाली मानी जाती है।
अंक शास्त्र के अनुसार इस वर्ष करवा 24 तारीख को है अर्थात 6 का अंक जो शुक्र का प्रतिनिधित्व करता है। शुक्र ग्रह ,महिलाओं, सुहाग, ऐश्वर्य, विलासिता,पति- पत्नी के संबंधों का प्रतीक है, इसलिए भी इस बार का व्रत बहुत सौभाग्य शाली होगा। जिनका जन्म 6,15,24 तारीखों या शुक्रवार को हुआ है, वे यह व्रत अवश्य रखें।
कब निकलेगा चांद ? चतुर्थी रविवार को सुबह 3 बजे आरंभ होगी और 25 अक्तूबर, सोमवार की सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। रविवार को चांद सायंकाल 8 बजकर 03 मिनट पर निकलेगा परंतु सपष्ट रुप से साढ़े 8 बजे के बाद ही नजर आएगा।
पूजन का शुभ समय
सायंकाल 7 बजे से 9 बजे तक रहेगा।
कैसे करें पारंपरिक व्रत? प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके पति,पुत्र,पौत्र,पत्नी तथा सुख सौभाग्य की कामना की इच्छा का संकल्प लेकर निर्जल व्रत रखें। शिव ,पार्वती, गणेश व कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र का पूजन करें। बाजार में मिलने वाला करवा चौथ का चित्र या कैलेंडर पूजा स्थान पर लगा लें। चंद्रोदय पर अर्घ्य दें। पूजा के बाद तांबे या मिटट्ी के करवे में चावल, उड़द की दाल भरें।
सुहाग की सामग्री
कंघी,सिंदूर ,चूड़ियां,रिबन, रुपये आदि रखकर दान करें। सास के चरण छूकर आर्शीवाद लें और फल, फूल, मेवा, बायन, मिष्ठान,बायना, सुहाग सामग्री, 14पूरियां,खीर आदि उन्हें भेंट करें। विवाह के प्रथम वर्ष तो यह परंपरा सास के लिए अवश्य निभाई जाती है। इससे सास- बहू के रिश्ते और मजबूत होते हैं।
करवा चौथ की पूजा विधि?
- करवा चौथ वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें। अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लें-
'मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये'
पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें-
'ऊॅ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥'
करवा चौथ में सरगी
करवा चौथ के दिन सरगी का भी विशेष महत्व है। इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं और लड़कियां सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद सरगी खाती हैं। सरगी आमतौर पर सास तैयार करती है। सरगी में सूखे मेवे, नारियल, फल और मिठाई खाई जाती है। अगर सास नहीं है तो घर का कोई बड़ा भी अपनी बहू के लिए सरगी बना सकता है। जो लड़कियां शादी से पहले करवा चौथ का व्रत रख रही हैं उसके ससुराल वाले एक शाम पहले उसे सरगी दे आते हैं। सरगी सुबह सूरज उगने से पहले खाई जाती है ताकि दिन भर ऊर्जा बनी रहे।



