Sania Mirza- सानिया मिर्जा और शोएब मलिक के बीच बढ़ने लगी है दूरियां, क्या दोनो में होने वाला है तलाक

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calendar08 Nov 2022 07:58 PM
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Sania Mirza and Shoeb Malik- भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा और पाकिस्तानी पूर्व क्रिकेटर शोएब मलिक के रिश्ते के बीच शादी के 12 सालों बाद आ रही है दूरियां। पाकिस्तानी मीडिया का दावा है कि शोएब मलिक ने सानिया मिर्जा को दिया है धोखा और दोनों रह रहे हैं अलग।

12 साल पहले एक हुए थे सानिया और शोएब -

सानिया मिर्जा और शोएब मलिक (Sania Mirza and Shoeb Malik) की मुलाकात साल 2004-2005 में हुई थी। हालांकि उस समय इन दोनों के बीच ज्यादा बातचीत शुरू नहीं हुई। इसके बाद 2009-10 में सानिया टेनिस टूर्नामेंट के लिए ऑस्ट्रेलिया गई हुई थी, उसी समय शोएब भी पाकिस्तान की टीम की तरफ से ऑस्ट्रेलिया टूर पर थे। इस टूर के दौरान ही सानिया और शोएब के मुलाकातों का सिलसिला बड़ा और दोनों के बीच नज़दीकियां बढ़ने लगी। 5 महीने तक एक दूसरे के साथ रिलेशनशिप में रहने के बाद अप्रैल 2010 में इन्होंने शादी का फैसला लिया। शोएब मलिक पहले से शादीशुदा थे। शोएब और सानिया की शादी के दौरान उनकी पहली पत्नी ने काफी बवाल भी किया था। आखिरकार पहली पत्नी को तलाक देने के बाद 12 अप्रैल 2010 को सानिया और शोएब ने हैदराबाद में शादी की। इसके बाद लाहौर में इनकी एक ग्रैंड रिसेप्शन पार्टी भी रखी गई। शादी के 10 सालों बाद साल 2020 में इनके बेटे इजहान का जन्म हुआ।

शादी के 12 साल बाद खतरे में है इनका रिश्ता -

शादी के 12 साल बाद अब इनके रिलेशनशिप में खटास की खबरें सामने आ रही है। पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया है कि सानिया मिर्जा और शोएब मलिक एक दूसरे से अलग अलग रह रहे हैं और इस कोशिश में हैं कि इनके बच्चे को मां-बाप का बराबर प्यार मिल सके। इसके साथ ही सानिया मिर्जा (Sania Mirza Social Media Post) के सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट भी इस बात का बयां कर रहे हैं कि सानिया और शोएब के रिश्ते में कुछ ना कुछ मनमुटाव चल रहा है। अपने इंस्टाग्राम पर सानिया मिर्जा ने लेटेस्ट स्टोरी डाली है कि- "व्हेयर डू ब्रोकन हार्ट गो टू फाइंड अल्लाह" जिसका मतलब है "टूटे हुए दिल कहां जाते हैं खुदा को खोजने के लिए"। इस पोस्ट से कहीं ना कहीं यह साफ जाहिर हो रहा है कि सानिया मिर्जा का दिल टूटा है।
 
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पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया है कि शोएब और सानिया तलाक की तैयारियों में लगे हुए हैं। हालांकि इन दोनों की तरफ से अभी इस मामले में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
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World Radiography Day 2022- जानें इस दिन का इतिहास एवं महत्व

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calendar30 Nov 2025 07:02 PM
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World Radiography Day 2022- जब बात आती है रेडियोग्राफी टेक्निक की तो हर किसी के मन में पहला विकल्प X- ray ही आता है। इसकी मदद से आज मेडिकल क्षेत्र बहुत आगे बढ़ गया है और शरीर के अंदर जो भी समस्या चल रही होती है उसका पता इससे लगाया जाता है। लेकिन रेडियोग्राफी मात्र X- ray तक ही सीमित नहीं है, इसका क्षेत्र काफी विस्तृत हो गया है। अब एमआरआई, सीआर एवं एंजियोग्राफी आदि में भी रेडियोग्राफी तकनीक का प्रयोग किया जाने लगा है। इन सबकी मदद से डॉक्टर मरीज के शरीर के अंदर की पूरी जानकारी आराम से प्राप्त कर पाते हैं और उसी के अनुसार मरीजों का ट्रीटमेंट कर पाते हैं। ये सच में बहुत बड़ा आविष्कार है। रेडियो टेक्निक आज पूरी दुनिया में छाई हुई है। ऐसे में इसके महत्व को समझाने के लिए और इस क्षेत्र में होने वाले विकास से लोगों को रूबरू कराने के लिए हर साल 8 नवंबर को वर्ल्ड रेडियोग्राफी डे मनाया जाता है। वर्ल्ड रेडियोग्राफी डे को मनाने का उद्देश्य ही यही है कि लोगों को रेडियो क्षेत्र में होने वाले विकास से वाकिफ कराया जा सके। आज 8 नवंबर यानी रेडियोग्राफी डे है। इसीलिए इस मौके पर आइये जानते हैं इसके इतिहास एवं महत्व को।

वर्ल्ड रेडियोग्राफी डे का इतिहास:- (History of World Radiography Day)

8 नवंबर 1895 में X-ray की खोज की थी। इसकी खोज जर्मनी वारबर्ग यूनिवर्सिटी के फिजिक्स के प्रोफेसर विल्हेम कॉनरैड रॉएंटजेन ने की थी। जब इस तकनीक को विकसित किया गया था तो इसका इस्तेमाल करना काफी मुश्किल हुआ करता था। फिर वक़्त के साथ इसमें काफी बदलाव होते गए और आज लगभग हर जगह धड़ल्ले से रेडियोग्राफी तकनीक का ही इस्तेमाल किया जाता है ताकि शरीर के अंदर चल रही किसी भी समस्या का पता लगाया जा सके। पहली बार वर्ल्ड रेडियोग्राफी डे 2012 में मनाया गया था और तभी से हर साल X- ray के आविष्कार के दिवस के दिन इस दिन को मनाया जाता है।

वर्ल्ड रेडियोग्राफी डे का महत्व:- (Importance of World Radiography Day)

हर साल इस विशेष दिन को X- ray की खोज के रूप।में मनाया जाता है। इन दिन का विशेष महत्व है। इस दिन को लोगों के बीच मेडिकल इमेजिंग के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है। इससे लोगों को ये बताया जाता है कि उन्हें रेडियो टेक्निक से क्या क्या लाभ हुए हैं। अभी भी गांव में या शहर में भी कुछ ऐसे लोग हैं जो रेडियो तकनीक को इस्तेमाल करने से घबराते हैं। ऐसे में लोगों को जागरूक करना ही इस दिन को मनाने का लक्ष्य है।
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डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकट रमन

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calendar01 Dec 2025 12:40 AM
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  डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकट रमन डॉ सीवी रमन, आधुनिक भारत के महान वैज्ञानिक के जन्म दिवस की सभी भारतीयों को बहुत बहुत बधाइयाँ। सर रामन विज्ञान के पंडित, वीणा वादन में पारंगत, आठ भाषाओं के ज्ञाता, नोबेल तथा अन्य अनेक पुरस्कारों के विजेता  की गिनती भारत के सबसे महान वैज्ञानिकों में होती है। ‘डॉ रमन का जन्म 7 नवंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था। उनके पिता गणित और भौतिकी के व्याख्याता थे। रमन बचपन से ही बहुत प्रतिभाशाली छात्र थे। डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकट रमन उन्होंने ही हमें संदेश दिया था कि प्रकृति के हर क्रिया-कलाप में कोई न कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण होता है। वे दिन में नौकरी तथा रात में देर रात तक प्रयोगशाला में प्रयोग करते थे। प्रयोगशाला से प्रसारित बुलेटिन से ही उनकी ख्याति दूर देशों तक पहुंची थी। समुद्री यात्रा के दौरान रमन ने जब समुद्र का नीला जल देखा तो वहीं ये प्रश्न उनके दीमाग में कौंधा कि “समूद्र का जल नीला कैसे?” और इसी प्रश्न के कारण “रामन प्रभाव” की खोज हो सकी। भारत लौटते ही वे इस प्रश्न के उत्तर की  खोज में लग गए। अनेक प्रयोगों के पश्चात् वे इस निर्णय पर पहुँचे कि समुद्र के जल में नीला रंग प्रकाश के प्रभाव से होता है। उनके इस प्रयोग को रमन इफैक्ट  का नाम दिया गया । डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकट रमन रमन इफेक्ट ’की खोज के लिए ही उनको भौतिकी में 1930 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, तब से प्रतिवर्ष उन्हीं के सम्मान में इस दिन को “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस” के रूप में मनाया जाता है। वे एक सच्चे देशभक्त थे। पुरस्कार लेने गए तो उनके पीछे ब्रिटेन का झंडा था। इसके लिए उन्होंने अपने भाषण में भी कहा कि वे हिंदुस्तान का नेतृत्व कर रहे हैं। भोज समारोह में भी उन्होंने कह ही दिया कि भारत पर अंग्रेजों का राज सर्वथा अनुचित है तथा वो दिन दूर नहीं जब अंग्रेजों को भारत छोड़ना होगा। सी वी रमनको 1954 में भारत रत्न ’ से सम्मानित किया गया था। नवम्बर 21, 1970  को उनकी मृत्यु भारत के बेंगलुरु शहर में हुई। लेकिन रामन इफेक्ट के लिए वे प्रत्येक भारतीय के दिल में बस्ते हैं। ऐसी महान विभूति को शत शत नमन।